अब ‘मेहरम’ पर मोदी से फुंका ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फुंक गया है। मेहरम के मामले पर उसने सरकार के फैसले पर विरोध जताया।
New Delhi Jan 02 : अभी 31 दिसंबर की ही बात है। साल के आखिरी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के जरिए देशवासियों को संबोधित किया था। अपने इस संबोधन में उन्होंने एक बार फिर मुस्लिम महिलाओं के हक की बात की थी। लेकिन, ये बात ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को नागवार गुजर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि वो देश की मुस्लिम महिलाओं को अकेले हज पर जाने की इजाजत देंगे। बगैर मेहरम के मुस्लिम महिलाएं हज पर जा सकेंगी। लेकिन, मोदी सरकार का ये फैसला ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को पसंद नहीं आया है। बोर्ड एक बार फिर मोदी के विरोध में खड़ा हो गया है। उसका कहना है कि ये धार्मिक मामला है सरकार इसमें दखल ना दे।
इससे पहले ट्रिपल तलाक के खिलाफ भी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मोदी के खिलाफ मोेर्चा खोल चुका है। लेकिन, बोर्ड पहले कानूनी जंग हारा इसके बाद अब उसे संसद में भी इस मामले पर मुंह की खानी पड़ी है। बोर्ड के विरोध के बावजूद मोदी सरकार ट्रिपल तलाक के खिलाफ बिल को संसद में ना सिर्फ पेश कर कर चुकी है। बल्कि ये बिल लोकसभा से पास भी हो चुका है। अब इस बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कांग्रेस की मदद से इस बिल को राज्यसभा में लटकाना चाहता है। ये विवाद अभी शांत भी नहीं हुआ था कि बोर्ड के सामने एक और चुनौती खड़ी हो गई है। बोर्ड को लग रहा है कि मोदी सरकार उसके अधिकार क्षेत्र पर अतिक्रमण कर रहा है।
जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि वो सिर्फ मुस्लिम महिलाओं को उनका हक दिलाना चाहते हैं। जबकि AIMPLB सेक्रेटरी मौलाना अब्दुल हामिद अजहरी का कहना है कि ये एक धार्मिक मसला है, ये कोई ऐसा मामला नहीं है जिसे संसद में लाया जाएगा और उस पर कानून बनाया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा से खफा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि 99 फीसदी मुसलमान वैसा ही करते हैं जैसा धर्मगुरु कहते हैं। प्रधानमंत्री या फिर दूसरे किसी व्यक्ति की बात नहीं मानी जाती है। अब्दुल हामिद अजहरी का कहना है कि एक मुस्लिम महिला बिना मेहरम के तीन या फिर 78 मील से ज्यादा सफर नहीं कर सकती है। बात चाहें हज जाने की हो या फिर कहीं और।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सेक्रेटरी मौलाना अब्दुल हामिद अजहरी का कहना है कि महिला सिर्फ उसी सूरत में अकेले हज पर जा सकती है जब उसके पास पुरुष अभिभावक यानी मेहरम ना हो। या फिर उसके पास मेहरम को हज पर ले जाने के लिए पैसा ना हो। इन दो ही सूरत में उसे अकेले हज पर जाने की इजाजत मिल सकती है। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि ये मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय है। सालों से देश में ऐसा चल रहा है। किसी ने इसके खिलाफ काई आवाज नहीं उठाई। जबकि कई मुस्लिम देशों ने इस नियम को खत्म कर दिया है। मोदी का कहना है कि हमने नई हज नीति में मुस्लिम महिलाओं को अकेले हज पर जाने की इजाजत दे दी है। लेकिन, इस पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड फुंक गया है।