चालाक चीन रच रहा है अभेद चक्रव्यूह, रक्षा विशेषज्ञों ने मोदी सरकार को किया अलर्ट !

आपको लगता है कि डोकलाम के बाद से चीन खामोश बैठा है। ऐसा नहीं है बल्कि मोदी सरकार के लिए एक और अलर्ट है। वो भारत को चारों तरफ से घेर रहा है।

New Delhi, Jan 05: डोकलाम के बाद से कहा जा रहा था कि चीन अब भारत की तरफ निगाहें नहीं डालेगा। जानकारों की मानें तो चीन इसके ठीक उलट काम कर रहा है और मोदी सरकार के लिए बड़ी टेंशन खड़ी कर रहा है। आपको याद होगा कि नरेंद्र मोदी ने जब भारत के प्रधानमंत्री का पद संभाला था तो नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी का ऐलान किया था। लेकिन बीते करीब चार साल से पड़ोसी मुल्क भारत से ज्यादा चीन के करीब दिख रहे हैं। पाकिस्तान और चीन के बीच का अटूट रिश्ता तो आप जानते ही होंगे। दक्षिण एशिया में चीन सिर्फ भूटान को छोड़कर बाकी सभी देशों पर अपनी पकड़ बना चुका है। चीन धनबल के जरिए भारत के तमाम पड़ोसी मुल्कों की मदद कर रहा है।

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सबसे पहले उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार के नजदीक कहे जाने वाले नेपाल की बात करते हैं। नेपाल में लेफ्ट पार्टियों की साझा सरकार में केपी शर्मा ओली के हाथों में सत्ता है। ओली ने कई बार चीन के प्रति अपना झुकाव साबित किया है। नेपाल भौगोलिक तौर पर भी भारत के ज्यादा करीब है। इस बीच नेपाल के नए संविधान में भारतीय मूल के मधेसियों की उपेक्षा के आरोपों के बाद से भारत और नेपाल के रिश्तों में एक तनाव सा है। नेपाल में चीन ने अपना निवेश बढ़ा दिया है। यहां चीन रेल लाइन बिझाने जा रहा है। साफ है कि भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी ये एक बड़ा खतरा है। इसके साथ ही हाल ही में चीन औरक मालदीव के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट हुआ है।

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इसे भारत के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। पाकिस्तान के बाद मालदीव दक्षिण एशिया में दूसरा ऐसा देश है, जहां चीन के साथ फ्री फ्री ट्रेड अग्रीमेंट हुआ है। खास बात ये है कि हिंद महासागर के अहम कारोबारी रूट पर मालदीव स्थित है। मालदीव में चीन कई बड़े प्रोजक्ट चला रहा है। बताया जा रहा है कि चीन अब श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश के साथ भी फ्री ट्रेड अग्रीमेंट करने की तैयारी कर रहा है। श्रीलंका ने हंबनटोटा पोर्ट को 99 साल की लीज पर चीन की कंपनी को दिया है, जो कि सामरिक मामलों की अहम कड़ी कहा जा सकता है। उधर बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार की भी बात कर लेते हैं। बांग्लादेश और चीन के बीच 2002 में एक बड़ा रक्षा समझौता हुआ था।

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बांग्लादेश को दो चीनी पनडुब्बियां दी जा रही हैं और ये भारत की चिंता का बड़ा सबब है। बात म्यांमार की करें को भारत यहां के इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश कर रहा है, लेकिन वहां चीन के बढ़ता निवेश साबित कर रहा है कि म्यांमार भी श्रीलंका की तरह चीन के कर्ज में बंध जाएगा। अब सवाल ये है कि मोदी सरकार इस पर क्या कदम उठाएगी। बताया तो ये भी जा रहा है कि डोकलाम पर विवाद होने के बाद चीन भूटान को भी साधने की कोशिशों में जुटा है। रक्षा विशेषज्ञ बताते हैं कि डोकलाम के बदले चीन भूटान को कोई और जमीन ऑफर कर सकता है। ऐसा हुआ तो भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हो सकता है।