‘ठंडी’ पॉलिटिक्‍स : अब 44 लोगों की मौत से भी फर्क नहीं पड़ता बिना मफलर वाले केजरीवाल को ?

दिल्‍ली में ठंड से 44 लोगों की मौत हो गई है। लेकिन, केजरीवाल सरकार की सेहत पर कोई फर्क पड़ता नजर नहीं आ रहा है। क्‍यों बदल गए हैं AAP ?

New Delhi Jan 08 : ज्‍यादा पुरानी बात नहीं है। जब आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ठंड में हर वक्‍त मफलर के साथ नजर आते थे। खांसते हुए दिखाई पड़ते थे। विपक्ष उनके मफलर और खांसी का मजाक उड़ाता था। लेकिन, केजरीवाल ने उस वक्‍त में विपक्ष के इसी मजाक को अपनी ताकत बना लिया था और मफलरमैन के नाम से मशहूर हो गए थे। दिल्‍ली की सत्‍ता में बंपर जीत हासिल कर वापसी कर ली थी वो भी ये कहते हुए कि उनकी राजनीति दूसरे दलों से अलग होगी। इस वक्‍त दिल्‍ली शीत लहर की चपेट में है। हर ओर ठिठुरन है। गरीब आदमी बेहाल है। बेघरों की कोई सुध लेने वाला नहीं है। इस ठंड में केजरीवाल की राजनीति भी ठंडी पड़ती नजर आ रही है। लेकिन, उनका मफलर उतर चुका है। यानी शायद उन्‍हें ठंड नहीं लगती होती। या कहें ठंड के साइड इफेक्‍ट नहीं होते होंगे। लेकिन, बेघरों पर ठंड का साइड इफेक्‍ट दिख रहा है। 44 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और सरकार खामोश है।

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जिस आम आदमी पार्टी के नेता कहते थे वो दूसरों से खुद को अलग साबित करके दिखाएंगे वो भी भेड़ चाल चलते ही दिख रहे हैं। संजय सिंह आम आदमी पार्टी के बड़े नेता हैं। कुछ दिनों में राज्‍यसभा के सांसद हो जाएंगे। उसने जब पूछा गया कि दिल्‍ली में ठंड से 44 बेघरों की मौत हो गई तो नेता जी कहते हैं कि झारखंड में भी तो लोग मरते हैं। संजय सिंह जी गरीब आदमी सिर्फ दिल्‍ली और झारखंड में ही नहीं मरता है। हर जगह मरता है। वो कभी भूख से मरता है तो कभी ठंड से। कभी गरीबी से मरता है तो कभी बीमारी से। लेकिन, अफसोस तब होता है जब केजरीवाल एंड कंपनी के लोग अपने यहां के हालात सुधारने की बजाए दूसरे राज्‍यों का उदाहरण देते हैं। अच्‍छा लगता अगर संजय सिंह ये कहते हैं कि वो इस मसले पर अपनी सरकार से बात करेंगे। दिल्‍ली में रैन बसेरे बढ़वाएंगे। कोई गरीब खुले आसमान में ना सोए इसका बंदोबस्‍त करेंगे।

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लेकिन, उन्‍होंने ऐसा कुछ नहीं कहा, क्‍योंकि केजरीवाल से लेकर आम आदमी पार्टी तक के वक्‍त और हालात बदल चुके हैं। यही वजह है कि दिल्‍ली बीजेपी के अध्‍यक्ष मनोज तिवारी ठंड से 44 लोगों की मौत के लिए केजरीवाल और उनकी सरकार को ही जिम्‍मेदार ठहरा रहे हैं। मनोज तिवारी ने ट्विटर पर एक वीडियो साझा करते हुए लिखा है कि सड़क से आंदोलन की शुरुआत करने वाले महलों में सो गए हैं और सड़क पर लोग मौत के मुंह में समा रहे हैं। मनोज तिवारी आगे लिखते हैं कि मुख्‍यमंत्री आवास से कुछ ही दूरी पर लोग ठंड में बाहर सड़क पर सो रहे हैं, ये सरकार पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। मनोज तिवारी अगर इस तरह के आरोप लगा रहे हैं तो केजरीवाल की सरकार को चेक कराना चाहिए। पहले तो ठंड में केजरीवाल के मंत्री सड़कों पर परेड करते थे। लेकिन, अब ऐसा क्‍या हो गया कि रात में एक भी नेता और मंत्री नहीं निकलता है हकीकत का जायजा लेने के लिए।

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इस पर संजय सिंह कहते हैं कि दिल्ली सरकार बेघरों के लिए शेल्टर होम का इंतजाम कर रही है। लेकिन, संजय सिंह आपको पता होगा कि ये इंतजाम पिछले साल से ही हो रहे हैं। आपकी सरकार ने दिल्‍ली में ना जाने कितने पोटा केबिन बनाने की बात कही थी। हकीकत क्‍या है आपसे बेहतर कोई नहीं जानता होगा। फिर भी आप कहते हैं कि ठंड से किसी की भी मौत होना दुखद है। इसके साथ ही संजय सिंह ये भी कहते हैं कि बीजेपी अपने राज्यों की चिंता करे, जहां पर बच्ची भात-भात कहकर मर जाती है। अफसोस हर एक मौत पर होना चाहिए। लेकिन, सिर्फ अफसोस करने से काम नहीं चलेगा। दिल्‍ली में केजरीवाल की सरकार है ऐसे में अगर सेंटर फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट नाम की संस्‍था ये दावा करती है कि ठंड से 44 लोगों की मौत हुई तो इसकी सीधी जिम्‍मेदारी सरकार की ही बनती है। उसे ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे गरीबों और बेघरों की जान बचाई जा सके। चार डिग्री तापमान में बंद कमरे में बैठकर राजनीति करना बहुत आसान है। लेकिन, खुले आसमान में रात गुजारनी उतना ही मुश्किल।