पाकिस्तान लातों का भूत है, बातों से नहीं मानेगा महबूबा मुफ्ती जी

जम्‍मू-कश्‍मीर की मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कश्‍मीर में अमन बहाली के लिए पाकिस्‍तान से बातचीत की वकालत की है। लेकिन, क्‍या ये मुमकिन है ?

New Delhi Jan 08: जम्‍मू-कश्‍मीर की मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती के दर्द को हम समझते हैं। हम हर उस कश्‍मीरी के दर्द को भी महसूस करते हैं जो इस वक्‍त आतंकवाद की आग में झुलस रहा है। हर घर से आतंकवादी पैदा हो रहा है। आतंकी संगठन और अलगाववादी नेता युवा पीढ़ी को भड़काकर आतंक की राह पर धकेल रहे हैं और कोई कुछ नहीं कर पा रहा है। मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती की सोच वाकई काबिले तारीफ है। वो घाटी में अमन चैन चाहती हैं। कहती हैं कश्‍मीर में अमन बहाली के लिए भारत और पाकिस्‍तान को आपस में बातचीत करनी चाहिए। लेकिन, महबूबा मुफ्ती जी आपको तो पता है पाकिस्‍तान लातों का भूत है। जो कभी भी बातों से नहीं मानेगा। आप तो उसकी हर हरकत को देखती हैं। लेकिन, क्‍या आपको लगता है भारत को पाकिस्‍तान की हरकतों के आगे सिर झुकाकर उसे बातचीत के लिए बुलाना चाहिए। शायद हरगिज नहीं।

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हो सकता है इस तरह का बयान देना आपकी मजबूरी हो। इसमें कोई बुराई भी नहीं है। लेकिन, हकीकत आपको पता है। भारत ने कभी भी अपनी ओर से पाकिस्‍तान के साथ रिश्‍ते खराब करने की पहल नहीं की है। लेकिन, उस पाकिस्‍तान से कैसे बातचीत की पहल की जा सकती है जिसके आतंकी हर रोज हमारे सैनिकों को अपना निशाना बनाते हों। कश्‍मीर के छोटे-छोटे बच्‍चों में जेहाद का जहर घोलते हों। युवा पीढ़ी को हथियार थमाते हों। आप ही बताइए महबूबा मुफ्ती जी क्‍या इस सूरत में भारत को पाकिस्‍तान से बात करनी चाहिए। बातचीत हमेशा एक अच्‍छे माहौल में ही मुमकिन हो सकती है। ये बात आपको भी पता है। कश्‍मीर का दर्द जितना इधर है उतना ही उधर है। आप कहती हैं कि दोनों ही देश इंसानियत का कत्‍ल होते नहीं देख सकते हैं। लिहाजा बातचीत की पहल जरुरी है। चलिए मान भी लें कि मोदी सरकार पाकिस्‍तान से बातचीत की एक बार फिर से पहल करे। लेकिन, इसकी क्‍या गारंटी है कि वो फिर कश्‍मीर में आतंकवाद को बढ़ावा नहीं देगा।

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महबूबा मुफ्ती जी आप दशकों से कश्‍मीर की राजनीति कर रही हैं। आप घाटी के हर नब्‍ज से वाकिफ हैं। क्‍या आपको कभी लगता है कि भारत की ओर से कश्‍मीर में इंसानियत का कत्‍ल किया गया। अगर आतंकियों का एनकाउंटर करना इंसानियत का कत्‍ल है तो ये कत्‍ल जरुरी हैं। ये आपको भी पता है। क्‍यों कि इंसानियत का कत्‍ल सिर्फ और सिर्फ पाकिस्‍तान कर रहा है। भारतीय फौज और जम्‍मू-कश्‍मीर की पुलिस अपनी जान जोखिम में डालकर हर रोज आतंकियों से कश्‍मीरियत और जमूहरियत की रक्षा करते हैं। इस रक्षा को इंसानियत का कत्‍ल नहीं कहा जा सकता है। कश्‍मीर मसले पर पाकिस्‍तान से बातचीत होनी चाहिए। लेकिन, अगर आप केंद्र सरकार को नसीहत देने की बजाए पाकिस्‍तान को नसीहत देती तो आपका कद और भी बढ़ता। महबूबा मुफ्ती जी आपको कड़े शब्‍दों में पाकिस्‍तान को कहना चाहिए था कि पहले आतंकवाद रोका फिर बातचीत होगी।

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महबूबा मुफ्ती जी आपको भी पता है कि गोली ओर बोली एक साथ नहीं चल सकती है। जिन लोगों को गोली की भाषा समझ में आती है उन्‍हें उसका जवाब बोली से नहीं दिया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो कश्‍मीर में आतंकी कम मरेंगे और जवान ज्‍यादा शहीद होंगे। हम सब को पता है कि कश्‍मीर में शांति के लिए बातचीत जरूरी है। लेकिन, ये बात पाकिस्‍तान को भी समझ में आनी चाहिए। इस्‍लामाबाद को ये बात समझनी चाहिए कि आतंकवाद से वो कभी कश्‍मीर की जंग नहीं जीत सकता है। आप कहतीं हैं कि पाकिस्‍तान की तरफ से फायरिंग होती है हमारे जवान शहीद होते हैं। फिर हमारी ओर से जवाबी कार्रवाई होती है उनके जवान मरते हैं। जिदंगी जब जाती है तो वापस नहीं आती है। मकसद क्‍या है। बस इसी मकसद का जवाब आप पाकिस्‍तान से पूछिए और अपने आप से पूछिए क्‍या हमारे जवान पाक फायरिंग और आतंकवाद में शहीद होते हैं और हम चुपचाप बैठे रह सकते हैं? पाकिस्‍तान लातों का भूत है बातों से नहीं मानेगा।