सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही फैसले को पलटा, सिनेमाघरों में राष्ट्रगान जरूरी नहीं

सिनेमाघरों में राष्ट्रगान अनिवार्य करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बदल दिया है, अब आपको फिल्म देखने से पहले राष्ट्रगान नहीं सुनना पड़ेगा, ना ही खड़ा होना होगा।

New Delhi, Jan 09: नेताओं को अपने वादों से पलटते तो कई बार देखा है ये शायद पहली बार है जब देश का सर्वोच्च न्यायालय अपने किसी आदेश को पलट रहा है। सिनेमाघरों में राष्ट्रगान को अनिवार्य करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की काफी आलोचना हुई थी। कहा गया कि कोर्ट जबरन लोगों को राष्ट्रभक्ति दिखाने के लिए कह रहा है, अब कोर्ट ने अपने इस फैसले को पलट दिया है, सनेमा घरों में राष्ट्रगान की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है। इस मामले में केंद्र सरकार का रुख बदलने के बाद से ही ये माना जा रहा था कि कोर्ट अपने फैसले को पलट सकता है। बता दें कि सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था कि अदालत को इस फैसले पर विचार करना चाहिए।

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सिनेमाघरों में राष्ट्रगान को लेकर इंटर मिनिस्ट्रियल कमेटी का गठन किया गया है, इस कमेटी का काम नई गाइडलाइन के बारे में विचार करना है। सुप्रीम कोर्ट के फैसला बदलने के बाद लोगों की अलग अलग राय सामने आ रही है, जब कोर्ट ने राष्ट्रगान को अनिवार्य किया था तो कहा गया था कि लोग मनोरंजन के लिए फिल्म देखने के लिए जाते हैं, उन पर जबरन देशभक्ति नहीं थोपी जा सकती है। इस फैसले के कारण कई घटनाएं भी सामने आई थी, सर्वोच्च अदालत ने नवंबर 2016 में ये फैसला दिया था, जिसके तहत सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाया जाएगा, इस दौरान फिल्मी परदे पर तिरंगा दिखाया जाएगा, और सभी को खड़ा होना होगा। केंद्र सरकार ने भी उस समय कोर्ट के फैसले का समर्थन किया था।

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उस समय के अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि कोर्ट को कड़ा फैसला देने की जरूरत है, इसी के साथ उन्होंने ये भी कहा था कि इस बात पर चर्चा होनी चाहिए कि स्कूल के पाठ्यक्रम में राष्ट्रगान गाने को अनिवार्य क्यों नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने राष्ट्रगान को लेकर जो फैसला दिया था उस पर काफी विवाद हो गया था, समाज के हर वर्ग से इसको लेकर राय सामने आ रही थी, साथ ही कई तरह की अप्रिय घटनाएं भी सामने आई थीं, जिनमें सिनेमा घरों में भीड़ ने राष्ट्रगान के समय खड़ा नहीं होने पर किसी को पीट दिया। साथ ही ये दुविधा भी थी कि जो शारीरिक रूप से अक्षम हैं वो कैसे खड़े होंगे।

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अब सुप्रीम कोर्ट ने अपना ही फैसला बदल दिया है, इसी के साथ सिनेमा घरों में फिल्म देखने जाने वाले लोगों को राहत मिली है, देशभक्ति जबरन किसी पर थोपी नहीं जा सकती है, आप देशभक्त हैं तो इसके लिए प्रमाण की जरूरत नहीं है, ना ही आपको बिल्ला टांग कर घूमने की जरूरत है। कोर्ट ने इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए अपने फैसले को बदल दिया है, अब इस पूरे प्रकरण पर विराम लग जाना चाहिए, साथ ही जिस तरह की घटनाएं सामने आ रही थी वो भी खत्म हो जानी चाहिए । फिल्में मनोरंजन का साधन होती हैं, अगर कोई ऐसी फिल्म लगी है जिसे अडल्ट सर्टिफिकेट मिला है तो उस से पहले देशभक्ति दिखाने के लिए खड़ा होने का क्या औचित्य है। इसी तरह के तमाम तर्क दिए जा रहे थे।