इस बार ‘जनेऊधारी’ राहुल गांधी भी नहीं बचा पाएंगे ‘हिंदू विरोधी’ सिद्धारमैया को ?

कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया को हिंदू टेरर कार्ड चलना भारी पड़ सकता है। चुनावों में उनकी हिंदू विरोधी छवि कांग्रेस को बहुत नुकसान पहुंचाएगी।

New Delhi Jan 10 : कर्नाटक का सियासी तापमान इन दिनों काफी चढ़ा हुआ है। जहां एक ओर भारतीय जनता पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह राज्‍य में डेरा जमाए हुए हैं वहीं, दूसरी ओर कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया ने विधानसभा चुनाव से पहले हिंदू टेरर कार्ड खेलने की कोशिश की है। ऐसे में दोनों के ही बीच जुबानी जंग शुरु हो गई है। लेकिन, माना जा रहा है कि सिद्धारमैया का हिंदू टेरर कार्ड कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकता है। जनेऊधारी राहुल गांधी भी उनकी कुर्सी बचा पाएंगे ये सवाल अभी से खड़े होने लगे हैं। कर्नाटक में सिद्धारमैया का रुख पार्टी अध्‍यक्ष राहुल गांधी को भारी पड़ सकता है। क्‍योंकि गुजरात विधानसभा चुनावों में राहुल गांधी ने अपनी साफ्ट हिंदुत्‍व की छवि बनाने की कोशिश की थी। लेकिन, कर्नाटक में कांग्रेस की छवि फिर से कट्टरवाद या कहें हिंदू विरोधी होती नजर आ रही है। अमित शाह ने भी सिद्धारमैया को एंटी हिंदू करार दिया है।

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बीजेपी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह राज्य में नव कर्नाटक परिवर्तन यात्रा कर रहे हैं। इसी दरम्‍यान उन्‍होंने कर्नाटक सरकार को एंटी हिंदू करार दिया। अमित शाह का कहना है कि सिद्धारमैया राज्‍य में वोट बैंक की पॉलिटिक्‍स कर रहे हैं। परिवर्तन यात्रा के दौरान अमित शाह ने कहा कि सिद्धारमैया सरकार ने SDPI (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया) के खिलाफ सभी केसों को वापस ले लिया है। जबकि ये SDPI भारत विरोधी संगठन है। वहीं राज्‍य के मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया ने भी अमित शा पर पलटवार किया और भारतीय जनता पार्टी, आरएसएस और बजरंग दल जैसे संगठनों को अतिवादी और कट्टरपंथी करार दिया। उनका कहना है कि इस संगठनों में इस तरह के तत्‍व भरे पड़े हैं। सिद्धारमैया का कहना है कि जो भी राज्‍य में शांति व्‍यवस्‍था में खलल डालेगा उस पर कार्रवाई की जाएगी। चाहें वो बजरंग दल हो या फिर आरएसएस या फिर SDPI ही क्‍यों ना हो।

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वहीं अमित शाह ने कर्नाटक सरकार से राज्‍य में विकास का हिसाब भी मांगा। अमित शाह ने मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया और कांग्रेस सरकार से पूछा कि आखिर उन्‍होंने कर्नाटक के लिए क्‍या किया है। शाह ने कर्नाटक सरकार को आंकड़ों से घेरने की कोशिश की। उन्‍होंने कहा कि जब देश में यूपीए की सरकार थी उस वक्‍त 13 वें वित्‍त आयोग के तहत कर्नाटक सरकार को 8,583 करोड़ रुपये जारी किए गए थे। जबकि केंद्र की मोदी सरकार के कार्यकाल में 14 वें वित्त आयोग के तहत कर्नाटक को 2 लाख 19 हजार करोड़ रुपये जारी हुए हैं। अमित शाह ने कर्नाटक सरकार से सवाल किया और पूछा कि केंद्र सरकार ने जो पैसा राज्‍य को दिया था वो कहां गया। उन्‍होंने आम जनता से पूछा कि क्‍या केंद्र सरकार का ये पैसा आपके गांवों तक पहुंचा। अमित शाह का कहना था कि कर्नाटक के लोगों के हालात नहीं बदले हैं लेकिन, कांग्रेसी जरुर बदल गए हैं।

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जो कांग्रेस पहले छप्‍पर के घरों में रहता था आज उसके पास चार मंजिला घर है। हर कांग्रेसी के घर के सामने एक कार खड़ी नजर आती है। ऐसे में जनता को हिसाब देना चाहिए कि केंद्र सरकार का पैसा खर्च हुआ तो हुआ कहां। दरअसल, राज्‍य में विधानसभा चुनावों से पहले ही यहां की सियासत काफी गरमा गई है। बीजेपी का आरोप है कि सिद्धारमैया और कांग्रेस के नेता राज्‍य में ध्रुवीकरण कर वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। इसीलिए भारत विरोधी संगठनों पर से केस वापस लिया जा रहा है और आरएसएस और बजरंग दल जैसे संगठनों पर निशाना साधा जा रहा है। यही वजह है कि बीजेपी को सिद्धारमैया को एंटी हिंदू बताने में ज्‍यादा वक्‍त नहीं लगा। ऐसे में कांग्रेस की चिंताएं बढ़ सकती हैं क्‍योंकि गुजरात में कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी का जो रुख था कर्नाटक में उसके विपरीत हवा बह रही है। सिद्धारमैया को उनकी ये हिंदू विरोधी छवि कहीं बहुत भारी ना पड़ जाए।