अंतरिक्ष में भारत की सेंचुरी, इसरो के ‘शतक’ से उड़े चीन-पाकिस्‍तान के होश

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन यानी इसरो ने अंतरिक्ष में एक नई कामयाबी हासिल कर ली है। भारत की इस शतकीय पारी से कईयों के होश उड़ गए हैं।

New Delhi Jan 12 : गुरुवार को इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन यानी इसरो ने नया मुकाम हासिल कर लिया है। इसरो ने अंतरिक्ष में शतकीय पारी खेलते हुए एक साथ 31 सैटेलाइट की कामयाब लॉन्चिंग की। इसे इसरो की शतकीय पारी इसलिए कहा जा रहा है कि जो 31 सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजे गए हैं उसमें इसरो का बयाना सौ वां सैटेलाइट भी शामिल हैं। 31 सैटेलाइट में 28 विदेशी सैटेलाइट हैं। पीएसएलवी श्रृंखला के इस सैटेलाइट का नाम कार्टोसेट-2 है। इस सैटेलाइट को इसरो ने आई इन द स्‍काई का नाम भी दिया है। जो खासतौर पर अंतरिक्ष से तस्‍वीरें भेजने के लिए बनाया गया है। बताया जा रहा है कि इस सैटेलाइट की मदद से भारत अब पाकिस्‍तान के साथ-साथ चीन की भी हर हरकत पर बारीकी से नजर रख सकेंगा। इसके साथ ही पाकिस्‍तान के आतंकी ठिकानों पर इस सैटेलाइट का खासतौर पर फोकस रहेगा। जाहिर है ऐसे में चीन और पाकिस्‍तान के होश उड़ने लाजिमी हैं।

Advertisement

इसरो का ये दूसरा ऐसा मौका है जब अंतरिक्ष में एक साथ इतनी संख्‍या में सैटेलाइट भेजे गए। अभी पिछले साल फरवरी में ही इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन ने एक साथ 104 सैटेलाइट ऑर्बिट में भेजकर वर्ल्‍ड रिकॉर्ड बनाया था। उस वक्‍त भी ज्‍यादातर सैटेलाइट विदेशी ही थे। इसरो ने अपने इस कामयाब मिशन को पीएसएलवी-सी40 के जरिए पूरा किया। सैटेलाइट्स का कुल वजन 1323 किलोग्राम है। इनमें कार्टोसेट-2 का ही वजन सिर्फ 710 किलोग्राम है। जबकि बाकी तीस सैटेलाइट का वजन 613 किलोग्राम है। इसरो ने अपनी इस शतकीय पारी में जिन देशों के सैटेलाइट ऑर्बिट में भेजे हैं उसमें भारत के अलावा कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, साउथ कोरिया, यूके और यूएसए के सैटेलाइट्स शामिल हैं। सीधे शब्‍दों में कहिए तो अंतरिक्ष में इसरो ने एक नया कीर्तिमान हासिल कर लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस शानदार कामयाबी के लिए इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी है।

Advertisement

बताया जा रहा है कि ये इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन के सबसे लंबे मिशनों में से एक है। सभी 31 सैटेलाइट्स की लांचिंग की पूरी प्रक्रिया में दो घंटे 21 मिनट का वक्‍त लगा। कार्टोसेट-2 को अर्थ नैविगेशन के लिए प्रक्षेपित किया गया है। ये कार्टोसेट-2 सीरीज मिशन का प्राथमिक उपग्रह है। इस उपग्रह में सह यात्री उपग्रह भी शामिल हैं। कार्टोसट-2 में सौ किलो के माइक्रो और 10 किलो के नैनो उपग्रह शामिल हैं। बताया जा रहा है कि कार्टोसेट-2 के जरिए धरती की बेहतर क्‍वालिटी वाली तस्‍वीरें मिल सकेंगी। इस सैटेलाइट के जरिए सड़क नेटवर्क की निगरानी की जा सकेगी। इसके साथ ही इसका इस्‍तेमाल अर्बन एंड रूरल प्लानिंग के लिए भी किया जा सकेगा। पिछले साल भी इस उपग्रह को लांच करने की कोशिश की गई थी। लेकिन, उस वक्‍त ये कोशिशें कामयाब नहीं हो पाई थीं। हीट शील्‍ड अलग होने से प्रक्षेपण आंशिक तौर पर असफल रह गया था।

Advertisement

इसरो की लगातार कामयाबी से देश नई बुलंदियों को छू रहा है। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन जून 2017 तक खुद के बनाए व्हीकल से 278 सैटेलाइट्स लांच कर चुका है। सभी सैटेलाइट्स की कामयाब लांचिंग के बाद इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन के चेयरमैन एएस किरण राव ने अपनी पूरी टीम को बधाई दी। एएस किरण राव का कहना है कि पीएसएलवी की पिछली लांचिंग में कुछ दिक्‍कतें आई थीं, लेकिन, हमने उन्‍हें सही तरह से समझकर दूर किया। ये देश के लिए नए साल का तोहफा है। सबसे खास बात ये है कि इसरो कम संसाधन और कम बजट में लगातार नया मुकाम हासिल कर रहा है। स्‍पेश रिसर्च में चीन, जापान, इटली और जर्मनी का बजट भारत से कहीं ज्‍यादा है। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन के पास 16 हजार वैज्ञानिक हैं। जबकि नासा के पास साढ़े 17 हजार वैज्ञानिक हैं। रुस में 23 हजार 800 वैज्ञानिक है।