भारतीय न्याय व्यवस्था के लिए आज का दिन काला दिवस है

वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार पंकज चतुर्वेदी ने एक ब्लॉग लिखा है। इसमें उन्होंने बताया है कि भारतीय न्याय व्यवस्था के लिए शुक्रवार का काला दिन रहा।

New Delhi, Jan 12: भारतीय न्याय व्यवस्था के लिए आज का दिन काला रहा है। पूंजीवाद , वैश्वीकरण ने देश के लोकतंत्र के सबसे महत्वपूर्ण स्तम्भ को इस हालात में ला दिया कि सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम जजों ने चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया के खिलाफ प्रेस कान्फ्रेंस कर दी। देश में पहली बार न्यायपालिका में शुक्रवार को असाधारण स्थिति देखी गई। सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जजों ने मीडिया को संबोधित किया. चीफ जस्टिस के बाद दूसरे सबसे सीनियर जज जस्टिस चेलमेश्वर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कभी-कभी होता है कि देश के सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था भी बदलती है। सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक तरीके से काम नहीं कर रहा है, अगर ऐसा चलता रहा तो लोकतांत्रिक परिस्थिति ठीक नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि हमने इस मुद्दे पर चीफ जस्टिस से बात की, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा भी इस मुद्दे पर जवाब दे सकते हैं।

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जस्टिस मिश्रा प्रेस कांफ्रेंस में अपने साथ अटॉर्नी जनरल को भी ला सकते हैं। हालांकि, सरकार ने अभी तक इस मामले में दूरी बनाई है। सरकारी सूत्रों की मानें, तो केंद्र अभी जस्टिस मिश्रा के किसी कमेंट का इंतज़ार कर रहा है। उसी के बाद ही सरकार अपना रुख भी सामने लाएगी। उन्होंने कहा कि अगर हमने देश के सामने ये बातें नहीं रखी और हम नहीं बोले तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा।  हमने चीफ जस्टिस से अनियमितताओं पर बात की। उन्होंने बताया कि चार महीने पहले हम सभी चार जजों ने चीफ जस्टिस को एक पत्र लिखा था। जो कि प्रशासन के बारे में थे, हमने कुछ मुद्दे उठाए थे। चीफ जस्टिस पर देश को फैसला करना चाहिए, हम बस देश का कर्ज अदा कर रहे हैं। जजों ने कहा कि हम नहीं चाहते कि हम पर कोई आरोप लगाए। यही पहली बार है कि सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जजों ने प्रेस कांफ्रेंस की हो। प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल थे।

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जस्टिस चेलामेश्वर ने पिछले साल मई में सुप्रीम कोर्ट में वाई-फाई फैसेलिटी न होने को लेकर सवाल उठाया था। जे चेलामेश्वर और फॉली नरीमन की दो जजों की बेंच ने ही इस कानून को रद्द किया था, जिसके तहत पुलिस को किसी भी ऐसे शख्स को अरेस्ट करने का ऑर्डर था, जिसने किसी को कुछ मेल किया हो या कोई इलेक्ट्रॉनिक मैसेज दिया हो, जिससे किसी को कुछ परेशानी हुई हो। जस्टिस रंजन गोगोई कोलकाता हाईकोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन को सजा सुनाने वाली सात जजों की बेंच में वे जज थे। सरकारी विज्ञापनों में राज्यपाल, केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और राज्य मंत्रियों की फोटो के इस्तेमाल की इजाजत दी थी। सुप्रीम कोर्ट का पिछला फैसला पलट दिया था। जस्टिस मदन लोकुर बिहार के एक मामले में बगैर तलाक लिए कानूनी तौर पर पति से अलग रह रही पत्नी को गुजारा भत्ता देने का फैसला दिया था।

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ओपन जेल के कंसेप्ट पर गृह मंत्रालय को बैठक करने का निर्देश दिया था। कोर्ट का कहना था कि अगर ऐसा होता है तो जेल में ज्यादा कैदियों की परेशानी से निजात मिलेगी। जस्टिस कुरियन जोसफ तीन तलाक को गैर-कानूनी करना का ऑर्डर देने वाली पांच जजों की बेंच में शामिल थे। गुड फ्राइडे पर कॉन्फ्रेंस बुलाने का विरोध किया था। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेटर लिखा था। इसमें उन्होंने कि वो गुड फ्राइडे की वजह से परिवार के साथ केरल में हैं और इस मौके पर होने वाले डिनर में नहीं आ पाएंगे। उन्होंने यह भी लिखा है कि दिवाली, दशहरा, होली, ईद, बकरीद जैसे शुभ और पवित्र दिन ऐसा कोई आयोजन नहीं होता। भारतीय न्याय व्यवस्था के लिए आज का दिन काला है।