राहुल गांधी के लिए कितने नेताओं की कुर्बानी लेगी कांग्रेस, अकेले युवराज बचेंगे

राहुल गांधी के लिए कांग्रेस के कितने नेता कुर्बानी देंगे, केवल राहुल को उभारने के लिए दूसरे नेताओं को किनारे लगा दिया जाता है, कहीं राहुल अकेले ना रह जाएं

New Delhi, Jan 14: कांग्रेस में एक परंपरा रही है, जो आज भी कायम है, गांधी परिवार पार्टी में सर्वेसर्वा होता है, नेहरू, इंदिरा, राजीव, सोनिया, राहुल गांधी ये लिस्ट बड़ी लंबी है। समय के साथ नाम बदलते हैं, लेकिन रुतबा नहीं बदलता है, एक समय था जब कांग्रेस के पास दूसरी पंक्ति के इतने धाकड़ नेता थे जिनके बारे में कहा जाता था कि वो आगे चलकर देश संभाल सकते हैं, लेकिन धीरे धीरे सब किनारे लगा दिए गए, कुछ का निधन हो गया। माधव राव सिंधिया, राजेश पायलट जैसे नेता अब नहीं हैं, किनारे लगाने का सबसे बड़ा उदाहरण तो प्रणब मुखर्जी हैं, जो प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे योग्य थे, लेकिन उनको राष्ट्रपति बना कर खामोश कर दिया गया। अब कांग्रेस का निजाम बदल गया है, लेकिन परंपरा कैसे बदल सकती है।

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राहुल गांधी के हाथ में कांग्रेस की कमान है,. उनको कांग्रेस नेक्स्ट पीएम के तौर पर प्रोजेक्ट कर रही है. लेकिन इस कोशिश में न जाने कितने प्रतिभावान कांग्रेसी नेताओं को कुर्बान कर दिया गया, जो राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के लिए बहुत काम आ सकते थे। राजेश पायलट के बेटे सचिन पायलट, माधव राव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस में वो भाव नहीं मिल रहा है जो मिलना चाहिए, एक समय था जब इन दोनों को राहुल के साथ कांग्रेस का भविष्य माना जाता था, लेकिन अब भविष्य के नेता के तौर पर केवल राहुल बचे हैं। दरअसल ये कांग्रेस पर कब्जे की जंग है, जो गांधी परिवार किसी भी कीमत पर हारना नहीं चाहता है। दूसरी पंक्ति के नेताओं को उभरने का मौका दिया तो वो आगे चलकर गांधी परिवार से बगावत कर सकते हैं।

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नेहरू गांधी परिवार ने एक बार वो समय देखा भी है जब कांग्रेस की कमान के साथ साथ प्रधानमंत्री का पद भी उनके पास से चला गया था. वो पीवी नरसिम्हा का दौर था, उसके बाद सीताराम केसरी कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे, उस से सबक लेकर अब नेहरू गांधी परिवार पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है, सोनिया गांधी के बाद राहुल कांग्रेस के अध्यक्ष बनेंगे इस में कोई संदेह नहीं था, राहुल को पूरा मौका दिया गया, वो अपने हिसाब से राजनीति करते रहे, जब लगा कि वो पूरी तरह से राजनीति में आ गए हैं तो बाकायदा चुनाव का नाटक करके उनकी ताजपोशी की गई, कांग्रेस में दूसरी पंक्ति का कोई नेता नहीं है इसका पता इसी बात से चलता है कि राहुल के नामांकन के खिलाफ किसी अन्य नेता ने नामांकन ही नहीं किया।

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कांग्रेस जिस तरह की राजनीति कर रही है उसकी धुरी गांधी नेहरू परिवार है, वैसे खास बात ये है कि इस परिवार को गांधी परिवार कहना उचित नहीं है, ये जवाहर लाल नेहरू का परिवार है, लिहाजा इसे नेहरू परिवार कहा जाना चाहिए, बहरहाल, जिस तरह से कांग्रेस में प्रतिभावान नेताओं को किनारे लगा दिया जाता है, और केवल वो आगे बढ़ते हैं जो चाटुकारिता में माहिर होते हैं, वो समय दूर नहीं जब राहुल के इर्द गिर्द केवल वो नेता होंगे जो शुतुरमुर्ग की तरह गर्दन जमीन में घुसा कर हर बात में हां मे हां बोलेंगे, इस से कांग्रेस का जो हाल होगा उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। राहुल के बाद प्रियंका या फिर उनके बेटे, इस तरह से ये सिलसिला चलता रहेगा।