पैरेंट्स कृपया ध्‍यान दें : कहीं हिंसक तो नहीं हो रहा आपके जिगर का टुकड़ा

आपका बच्‍चा आपके जिगर का टुकड़ा है, लेकिन, इसका ये कतई मतलब नहीं है कि आपके जिगर का टुकड़ा हिंसक हो जाए और आपको पता ही ना चले।

New Delhi Jan 21 : हर मां-बाप के लिए उसका बच्‍चा उनके जिगर का टुकड़ा है। लेकिन, इस वक्‍त बच्‍चों पर बहुत ध्‍यान देने की जरुरत है। अगर आप मां-बाप हैं तो अपने जिगर के टुकड़े की हर जानकारी अपने पास रखें। खासतौर पर उसके आक्रामक स्‍वभाव को कभी भी नजरअंदाज ना करें। नहीं तो आपका जिगर का टुकड़ा हत्‍यारा भी बन सकता है। पिछले कुछ महीनों में देश के भीतर कुछ ऐसी घटनाए हुई हैं जिनको जानने के बाद रोंगटे खड़े हो जाते हैं। गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्‍कूल का कांड तो आपको पता ही होगा। कैसे एक बच्‍चे ने सेकेंड स्‍टैंडर्ड के छात्र की बेरहमी से हत्‍या कर दी थी। कुछ ऐसा ही कांड लखनऊ के ब्राइटलैंड स्‍कूल में भी हुआ। जहां एक छात्रा ने कक्षा एक के छात्र की जान लेने की कोशिश की। वो भी स्‍कूल के भीतर। तीसरी वारदात की खबर हरियाणा के यमुनानगर से आई है। जहां एक छात्र ने स्‍कूल के भीतर ही अपनी प्रिंसिपल की गोली मारकर हत्‍या कर दी।

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इन घटनाओं को किसी भी कीमत पर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। शायद इस तरह की घटनाएं उन अभिभावकों के लिए सबक है जिनके बच्‍चों ने अब तक ऐसा कोई भी अपराध नहीं किया है लेकिन, उनका स्‍वभाव आक्रामक है। यकीन मानिए अगर आपके बच्‍चा या कहें जिगर का टुकड़ा आक्रामक है तो ये उसके और बाकी लोगों के लिए काफी घातक हो सकता है। ऐसे बच्‍चों को वक्‍त रहते काउंसलिंग की जरुरत है। ऐसे बच्‍चों के सामने कभी भी किसी भी तरह की हिंसा की बात नहीं करनी चाहिए। अगर आपके घर में कोई लाइसेंसी हथियार है तो भी अतिरिक्‍त सावधानी बरतने की जरुरत है। ताकि आपके हथियार आपके बच्‍चे तक ना पहुंच सके। अब हरियाणा के यमुनानगर की ही घटना को देख लीजिए। जिसमें 12 वीं के छात्र ने अपनी प्रिंसिपल की हत्‍या के लिए पिता के लाइेंससी हथियार का इस्‍तेमाल किया।

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जरा सोचिए 12वीं के जिस छात्र ने स्‍कूल के भीतर इस सनसनीखेज वारदात को अंजाम दिया आखिर उसके पैरेंट्स उसके हाव-भाव को क्‍यों नहीं समझ पाए। इसी नजरअंदाजी के चलते एक जिगर का टुकड़ा हत्‍यारा बन गया। वो भी भरी पीटीएम। दरअसल, हम अपने बच्‍चों की इस आदत के लिए काफी हद तक खुद जिम्‍मेदार हैं। हम अपने बच्‍चों की हर डिमांड को पूरी करते हैं। करना भी चाहिए। कई अभिभावक अपने बच्‍चों की जायज और नाजायज दोनों मांगों को पूरा करते हैं। जो ठीक नहीं है। ऐसा नहीं है कि मां-बाप के लिए ये अंदाजा लगाना मुश्किल है कि उनका जिगर का टुकड़ा किस दिशा में जा रहा है। लेकिन, सबकुछ जानते-बूझते भी लोग धृतराष्‍ट्र बन जाते हैं। बच्‍चों के प्‍यार का ये अंधापन उनकी जिदंगी को बर्बाद कर रहा है। अभी भी वक्‍त है, अभी भी कुछ ज्‍यादा नहीं बिगड़ा है अपने बच्‍चों पर नजर रखिए। उसकी संगत क्‍या है पता कीजिए।

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खासतौर पर किशोरावस्‍था में बच्‍चों पर सख्‍त निगरानी बेहद जरुरी है। अगर आपकी लापरवाह निगाहों ने ये सब छोड़ दिया तो यकीन मानिए चाहें बेटा हो या फिर बेटी आपके हाथ से निकल जाएंगे। गलत रास्‍ते पर चल पड़ेंगे। जिगर का टुकड़ा अपराधी बन जाएगा। इसलिए अपने बच्‍चों पर पड़ने वाली लापरवाह निगाहों को थोड़ा सख्‍त कीजिए। ताकि फिर किसी स्‍कूल में प्रद्युम्‍न ना मारा जाए। ताकि फिर किसी स्‍कूल में छात्र के निष्‍कासन पर पीटीएम में प्रिंसिपल की गोली मारकर हत्‍या ना की जाए। ताकि फिर कोई छात्रा छुट्टी की चाहत में मासूम बच्‍चे के कत्‍ल की कोशिश ना करे। आप अपने जिगर के टुकड़े को लाड कीजिए, प्‍यार कीजिए लेकिन, उन्‍हें लाड-प्‍यार में बरबाद मत कीजिए। ये उनकी और आपकी जिदंगी का सवाल है। अनुशासन और निगरानी का सवाल है। जो हर बच्‍चे के लिए बेहद जरुरी है। बचपन को जराइम की दुनिया में दाखिल होने से हम आप ही बचा सकते हैं।