वामपंथियों की आंख का कांटा बने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, महाभियोग की तैयारी

वामपंथी दल चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग की प्लानिंग कर रहे हैं, सीताराम येचुरी ने तो खुल कर बोल दिया कि वो विपक्षी दलों से बात कर रहे हैं।

New Delhi, Jan 23: सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके वो काम किया जो आजाद भारत मं कभी नहीं हुआ, सुप्रीम कोर्ट में गड़बड़ी की बात कह कर वो चारों जज तो निकल गए. अगले दिन से उनकी राय भी बदल गई. एक जज ने कहा कि अब कोई दिक्कत नहीं है. दूसरे ने कहा कि लोकतंत्र खतरे में नहीं है। यानि दो दिन के अंदर लोकतंत्र खतरे के निशान तक पहुंच कर वापस आ गया। जनता बेचारी यही सोचती रह गई कि आखिर लोकतंत्र है या बारिश में यमुना का पानी। बहरहाल इस पूरे प्रकरण ने राजनेताओं को मुद्दा दे दिया. खुद को सर्वोच्च समझने की ग्रंथि फिर से फूलने लगी. खास तौर पर वामपंथी दलों को ज्यादा की दर्द होने लगा. हमारे होते लोकतंत्र खतरे में कैसे, चीफ जस्टिस पर चारों जजों ने आरोप लगाया था. तो वामपंथी भी उनके पीछे पड़ गए।

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वैसे इस मामले में राजनीति की शुरूआत तो उसी समय हो गई थी, जब कथित तौर पर चार में से एक जज को वामपंथी नेता डी राजा से मिलते देखा गया। अब माकपा ने खुल कर इस पर राजनीति शुरू कर दी है। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने एक बयान दिया है, जिस से पता चलता है कि वो कितने आहत हैं सुप्रीम कोर्ट के विवाद से, वो चाहते हैं कि इसे खत्म किया जाए. इसके लिए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को निशाना बनाया जा रहा है। सीताराम येचुरी जिनकी बात उनकी पार्टी में कोई नहीं सुनता है, वो कह रहे हैं कि दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग को लेकर वो दूसरे विपक्षी दलों से बात कर रहे हैं। आने वाले बजट सत्र के दौरान दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग लाया जा सकता है।

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अब ये समझने की बात है कि माकपा नेता सीताराम येचुरी ये बात क्यों कर रहे हैं। जिन चारों जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके चीफ जस्टिस पर आरोप लगाया था. उनको लेकर जिस तरह से बातें सामने आई हैं उसके बाद ये कहा जा रहा था कि ये मामला राजनीति से प्रेरित है। अब माकपा महासचिव ने खुल कर मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग चलाने की बात कहकर इस संभावना को बल दिया है। सुप्रीम कोर्ट का मसला सुप्रीम कोर्ट के अंदर ही सुलझे इसी में लोकतंत्र की भलाई है. जिन जजों ने पीसी की थी, उन्होंने जो कुछ कहा था वो इशारों में कहा था, कुछ भी साफ नहीं था. उसके अगले ही दिन से चारों जजों की राय बदलने लगी थी। जिसका जिक्र हम ऊपर कर चुके हैं।

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तो सवाल ये है कि क्या मुख्य न्यायाधीश वामदलों की आंख का कांटा बन गए हैं. क्या चारों जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस राजनीति से प्रेरित थी, ये सारे सवाल आम जन के मन में खड़े हो रहे हैं, सवाल हैं वो तो कहीं भी खड़े हो सकते हैं. खास बात ये है कि हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट विवाद से नेताओं को दूर रहना चाहिए, वो इसलिए उस में दखल नहीं दे रहे हैं, ना ही सरकार दखल दे रही है। पीएम मोदी ने सभी दलों से भी अपील की थी कि वो इस पर राजनति ना करें. लेकिन अब तो माकपा खुल कर सामने आ गई है. सवाल ये भी है कि क्या सीताराम येचुरी का कोई अपना एजेंडा है जो वो महाभियोग के सहारे पूरा करना चाहते हैं। सवालों का सिलसिला चलता रहेगा. जवाब मिलने से पहले अगला सवाल खड़ा हो जाएगा।

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