अदालत पहुंचा हाफिज सईद, पाकिस्तान के ‘हुक्मरानी अब्बाओं’ पर नहीं है भरोसा

वैसे तो पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकन अब्‍बासी हाफिज सईद को साहेब-साहेब कहकर पुकारते हैं। लेकिन, उसे इन हुक्‍मरानी अब्‍बाओं पर भरोसा नहीं है।

New Delhi Jan 24 : पाकिस्‍तान की सरकार से संरक्षण मिलने के बाद भी जमात-उद-दावा का चीफ और लश्‍कर-ए-तैयबा का संस्‍थापक हाफिज सईद डर की जिदंगी जी रहा है। उसे हर वक्‍त इस बात का खौफ सताता रहता है कहीं अमेरिका और भारत पाकिस्‍तान में ही उसे ठिकाने ना लगा दें। कहीं पाकिस्‍तान की सरकार अमेरिकी दवाब में आकर उसे जेल में ना ठूंस दे। दरअसल, हाफिज सईद पाकिस्‍तानी सरकारों और हुक्‍मरानों के दोगलेपन से बखूबी वाकिफ है। इसलिए उसे हर वक्‍त इस बात का डर लगा रहता है कि कहीं वो कार्रवाई की जद में ना आ जाए। पाकिस्‍तान की इस संभावित कार्रवाई से बचने के लिए हाफिज सईद अब अदालत की शरण में पहुंच गया है। हाफिज सईद ने लाहौर हाईकोर्ट में एक अर्जी दायर कर अपनी संभावित गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की है। दरसअल, संयुक्‍त राष्‍ट्र की एक विशेष जांच टीम हाफिज के संगठनों और उस पर होने वाली कार्रवाई की जानकारी जुटाने के लिए पाकिस्‍तान पहुंच रही है।

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यूएन की स्‍पेशल टीम पाकिस्‍तान में इस बात की जांच करेगी कि पाकिस्तान सरकार ने हाफिज सईद और उसके संगठनों पर लगी बंदिशों पर कितना अमल किया है। हाफिज सईद को डर है कि कहीं इस टीम के पाकिस्‍तान आने से पहले ही अमेरिका और हिंदुस्‍तान के दवाब में पाकिस्‍तान की सरकार उसे गिरफ्तार ना कर ले। लाहौर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर हाफिज सईद ने कहा है कि वो लंबे समय से समाज की बेहतरी के लिए ही काम करता आ रहा है। उसने पाकिस्‍तान में पब्लिक वेलफेयर के ढेरों काम किए हैं। जानकारी के मुताबिक हाफिज सईद की ओर से उसके वकील एके डोगर ने लाहौर हाईकोर्ट में ये दायर की। वकील ने अपनी याचिका में कहा गया है कि अमेरिका और भारत के दवाब में पाकिस्‍तान की सरकार मेरे मुवक्किल हाफिज सईद को गिरफ्तार कर सकती है। लेकिन, सरकार को इस संबंध में आदेश जारी किया जाए कि वो ऐसा ना करे।

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याचिका में हाफिज सईद की ओर से कहा गया है कि उसने जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन जैसे कई सोशल वेलफेयर ऑर्गेनाइजेंशस बनाए हैं। इन्‍हीं संगठनों के जरिए पाकिस्‍तान में 142 स्कूल और 3 यूनिवर्सिटीज खोली गई हैं। जिन्‍हें देश की बेहतरी और भलाई के मकसद से बनाया गया है।हाफिज का दावा है कि वो पाकिस्‍तान में बहुत लंबे वक्‍त से समाज की बेहतरी के लिए ही काम कर रहा है। लाहौर हाईकोर्ट में दाय‍र याचिका में ये भी कहा गया है कि उनके मुवक्किल को इससे पहले भी बिना किसी ठोस आधार के हाउस अरेस्‍ट रखा जा चुका है। याचिका में कहा गया है कि अब पाकिस्‍तानी सरकार यूएन टीम के पाकिस्तान आने के पहले उसे गिरफ्तार करना चाहती है। जिस पर अदालत को रोक लगानी चाहिए। हाफिज सईद ने पाकिस्‍तान की सरकार पर ये मंशा ऐसे वक्‍त पर जाहिर की है जब वहां के प्रधानमंत्री शाहिद खाकन अब्‍बासी खुद उसकी पैरवी में कसीदे पढ़ चुके हैं।

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अभी हाल ही में पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकन अब्‍बासी ने एक इंटरव्‍यू में कहा था कि हाफिज साहेब के खिलाफ पाकिस्‍तान में कोई मुकदमा दर्ज नहीं है। इसलिए हम उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकते हैं। वहीं दूसरी ओर पाकिस्‍तानी प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद जब ये खबर आई कि यूएन की स्‍पेशल टीम पाकिस्‍तान पहुंच रही है तब भी सू्त्रों के हवाले से खबर आई कि पाकिस्‍तान इस केस में यूएन की स्‍पेशल टीम को डायरेक्‍ट एक्‍सेस नहीं देगा। यानी यूएन सिक्युरिटी काउंसिल की सैक्‍शंस मॉनीटरिंग टीम हाफिज सईद या फिर उसके संगठनों की जांच के लिए सीधी पहुंच मुहैया नहीं कराएगी। कहा तो ये भी जा रहा है कि यूएन सिक्युरिटी काउंसिल की सैक्‍शंस मॉनीटरिंग टीम से बचने के लिए ही पाक सरकार ने हाफिज सईद को अदालत जाने का ज्ञान दिया है। ताकि कानूनी पेचदियां गिनाकर हाफिज को बचाया जा सके।