पाकिस्तान के ‘गनतंत्र’ पर भारी पड़ेगा हिंदुस्तान का ‘गणतंत्र’

आज गणतंत्र दिवस है। पूरी दुनिया भारत की ताकत को देख रही है। पाकिस्‍तान को भी अब ये समझ लेना चाहिए कि उसका गनतंत्र यहां नहीं चलेगा।

New Delhi Jan 26 : पाकिस्‍तान के गनतंत्र पर हिंदुस्‍तान का गणतंत्र भारी पड़ रहा है। लोकतंत्र में यकीन रखने वाला हिंदुस्‍तान हमेशा चाहता है कि उसके संबंध पड़ोसी मुल्‍कों से बेहतर रहें। लेकिन, पाकिस्‍तान ने हमेशा हिंदुस्‍तान की पीठ में छूरा घोंपने की कोशिश की है। लेकिन, मौजूदा वक्‍त में भारत सरकार की नीति के आगे पाकिस्‍तान बेदम होता नजर आ रहा है। हिंदुस्‍तान और पाकिस्‍तान में फर्क ये है कि भारत गणतंत्र में यकीन रखता है। जबकि पाकिस्‍तान इसकी फर्जी दुहाई देता है। वो गनतंत्र के दम पर कूटनीति करता है। लेकिन, पाकिस्‍तान को अब ये कूटनीति भारी पड़ रही है। राजपथ से दिखने वाली भारत की भव्‍यता और ताकत से आज दुनिया वाकिफ हो रही है। पाकिस्‍तान को भी हमारी ताकत से वाकिफ हो जाना चाहिए। हम अच्‍छे दोस्‍त बन सकते हैं लेकिन, गनतंत्र के जरिए नहीं बल्कि गणतंत्र के जरिए। अगर पाकिस्‍तान को भारत की तरह तरक्‍की के रास्‍ते पर चलना है तो उसे गनतंत्र का सहारा छोड़ना पड़ेगा। आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी।

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आतंकवाद पर पाकिस्‍तान का दोगलापन अब काम नहीं आएगा। क्‍यों वो इस मसले पर पूरी दुनिया के सामने बेनकाब हो चुका है। अभी तीन साल ही हुए हैं केंद्र में मोदी सरकार को आए। सभी को ध्‍यान होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरुआती दौर में पाकिस्‍तान के साथ बेहतर संबंध बनाने की कोशिश की थी। मोदी ने उस वक्‍त के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अपने शपथ ग्रहण समारोह में भी बुलाया था। मोदी नवाज शरीफ की नातिन की शादी में अचानक पहुंच गए थे। लेकिन, बदले में पाकिस्‍तान ने हिंदुस्‍तान को क्‍या दिया। पठानकोट का हमला, उरी अटैक। हमें याद है कि उरी अटैक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि पाकिस्‍तान को अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर अलग-थलग करने की जरुरत है। भारत सरकार उस वक्‍त से इसी लाइन पर चल रही है। जिसका नतीजा है कि आज पाकिस्‍तान के गनतंत्र पर अमेरिकी ड्रोन से हमला हो रहा है और भारत का गणतंत्र सीना तानकर अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहा है।

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पाकिस्‍तान ने हमेशा अपने गनतंत्र रूपी आतंकवाद पर झूठ बोला है। वो आतंकवाद को अच्‍छी और बुरी नजर से देखता है। तभी तो उनसे अलकायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन को पाकिस्‍तान के एबटाबाद में पनाह दी हुई थी। जिसे बाद में अमेरिका ने सर्जिकल स्‍ट्राइक में मार गिराया था। पाकिस्‍तान उस वक्‍त भी बेनकाब हुआ था और उस वक्‍त भी बेनकाब हुआ है जब अमेरिकी ड्रोन ने उत्‍तरी वजीरिस्‍तान में हक्‍कानी नेटवर्क पर बमबारी की। आतंकवाद के खिलाफ भारत और अमेरिका एक है। पाकिस्‍तान जिस गनतंत्र का इस्‍तेमाल भारत के खिलाफ करता है उसी गनतंत्र का प्रयोग वो अफगानिस्‍तान में भी करता है। लेकिन, अब उसकी ये कार्रवाई भारी पड़ रही है। ये भारतीय गणतंत्र की ही कूटनीति है कि अमेरिका ने भी अब पाकिस्‍तान पर शिकंजा कस दिया है। हक्‍कानी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई शुरु हो गई है। हाफिज सईद जैसे आतंकियों पर कार्रवाई की जानकारी के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र की विशेष टीम पा‍किस्‍तान पहुंचती है।

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हालांकि भारत को भी पता है कि हिंदुस्‍तान के गणतंत्र को चोट पहुंचाने की नियत रखने वाले पाकिस्‍तान और पाकिस्‍तानी आतंकवाद से निपटना इतना आसान नहीं है, जितना इसे समझा जा रहा है। लेकिन, इसे भारतीय गणतंत्र की जीत ही कहेंगे कि कम से कम अब पाकिस्‍तान ये तो मानने लगा है कि उसके मुल्‍क में 32 छोटे-बड़े आतंकी गुट सक्रिय हैं। हाफिज सईद पाक में ही छिपा है। सैयद सलाहुद्दीन भी लाहौर में है। जैश-ए-मोहम्‍मद का सरगना मौलाना मसूद अजहर भी पाक अधिकृत कश्‍मीर में रहकर भारत के खिलाफ आग उगलता है। ये पाकिस्‍तान में गनतंत्र के वो स्‍तंम्‍भ हैं जिनकी बदौलत यहां की सरकारें चलती है। कश्‍मीर के मसले तय होते हैं। लेकिन, कब तक ? पाकिस्‍तान को इस बात पर विचार जरुर करना चाहिए। आखिर कब तक वो गनतंत्र के सहारे अपनी सत्‍ता चलाता रहेगा। जबकि भारत गणतंत्र के सहारे लगातार उस पर हावी होता जा रहा है।