क्या कश्मीर में महबूबा मुफ्ती तोड़ना चाहती हैं इंडियन आर्मी का मनोबल ?

शोपियां हिंसा में इंडियन आर्मी के अफसरों और जवानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के मामले में जम्‍मू-कश्‍मीर की मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सफाई दी है।

New Delhi Jan 30 : अभी 27 जनवरी का वाकया है। कश्‍मीर के शोपियां के गनोवपुरा गांव में कुछ लोगों ने आर्मी के काफिले को घेर लिया था। भीड़ ने ना सिर्फ आर्मी के काफिले पर पथराव किया बल्कि एक अधिकारी को जान से मारने की कोशिश भी की। उनके हथियार भी छीन लिए थे। इस हालात में अगर आप से पूछा जाए कि आर्मी के जवानों को क्‍या करना चाहिए था तो जाहिर है आपका जवाब होगा कि उन्‍हें गोलियां चलाकर भीड़ को खदेड़ देना चाहिए। आर्मी के जवानों ने भी ऐसा ही किया। अगर वो ऐसा नहीं करते तो शायद मारे जाते। लेकिन, आर्मी की इस रक्षात्‍मक फायरिंग में दो युवकों की मौत हो गई। जिस पर अब सियासत हो रही है। कश्‍मीर में मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती के आदेश में आर्मी के मेजर और कुछ जवानों के खिलाफ हत्‍या का मुकदमा दर्ज कराया गया है। वो भी नामजद, ऐसे में क्‍या समझा जाए कि महबूबा मुफ्ती आर्मी के जवानों का मनोबल तोड़ना चाहती हैं ?

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शोपियां के गनोवपुरा गांव में हुई इस घटना की गूंज जम्‍मू-कश्‍मीर विधानसभा में भी सुनाई दी। विपक्ष और सत्‍ता पक्ष का एक तबका जहां एक ओर मारे गए युवकों के लिए इंसाफ की मांग कर रहा था। वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी आर्मी के मेजर और जवानों के खिलाफ नामजद एफआईआर पर एतराज जता रही थी। बीजेपी की मांग है कि आर्मी अफसरों और जवानों पर दर्ज मुकदमें वापस लिए जाएं। लेकिन, मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती अजीबो-गरीब दलील दे रही हैं। महबूबा मुफ्ती का कहना है कि ये कार्रवाई रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण से बात के बाद की गई। महबूबा मुफ्ती कहती हैं कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई से सेना के मनोबल पर कोई असर नहीं पड़ेगा। साथ ही उनका ये भी कहना है कि वो इस मामले को किसी नतीजे तक ले जाएंगी।

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महबूबा मुफ्ती विधानसभा के भीतर कहती हैं कि सेना के अफसरों और जवानों के खिलाफ एफआईआर रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण से बात करने के बाद दर्ज की गई है। बकौल महबूबा मुफ्ती उन्‍होंने इस संबंध में निर्मला सीतारमण से बात की। उनका कहना है कि वो इस केस को लेकर काफी पॉजिटिव थीं। उन्‍होंने कहा कि इस मामले में एक्‍शन लिया जाना चाहिए अगर कुछ गलत हुआ है तो। महबूबा मुफ्ती का कहना है कि इस बातचीत के बाद ही उन्‍होंने इस मामले में मजिस्‍ट्रेट जांच के आदेश दिए और एफआईआर दर्ज कराई। लेकिन, महबूबा का जो बयान है उसमें उन्‍होंने कहीं ये नहीं कहा कि निर्मला सीतारमण से राज्‍य सरकार से कहा हो आप आर्मी के जवानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराइए। जाहिर है इस तरह के मुकदमों से सेना के जवानों का मनोबल टूटेगा। हर वक्‍त देश के लिए जान न्‍यौछावर करने को तैयार रहने वाला जवान क्‍या अपनी आत्‍म रक्षा में गोलियां भी नहीं चला सकता।

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शोपियां के गनोवपुरा गांव में भीड़ जूनियर कमीशंड अधिकारी को पीट रही थी तो क्‍या बाकी जवान उसे मरते हुए देख सकते थे ? आर्मी के जवानों ने वहीं किया जो हालात के मुताबिक ठीक था। अगर महबूबा मुफ्ती की सरकार ऐसे ही आर्मी के जवानों पर मुकदमें दर्ज करवाती रहीं तो यकीनन कश्‍मीर के हालात सुधरने की बजाए और बिगड़ेंगे। भीड़ और आक्रामक होगी। तब यही महबूबा मुफ्ती सरकार से शांति की दुहाई मांगेंगी। लेकिन, आज अपने वोट बैंक के चक्‍कर में उन्‍हें आर्मी के जवानों से ज्‍यादा हत्‍यारी भीड़ की परवाह है। बीजेपी की मांग है कि अगर राज्‍य सरकार को आर्मी के जवानों पर मुकदमा दर्ज ही करना है तो अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज करना चाहिए ना की नामजद। जांच में अगर किसी की गलती सामने आती है तो उसके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। लेकिन, कातिल भीड़ को बचाने के लिए आर्मी के जवानों पर मुकदमेंबाजी ठीक नहीं।