2019 के लोकसभा चुनाव में ‘मोदी केयर’ से ही हो जाएगा पूरे विपक्ष का ‘इलाज’ ?
आम बजट 2018 के जरिए मोदी सरकार ने 2019 के लोकसभा चुनाव की रणनीति पेश कर दी है। जिसमें मोदी केयर मील का पत्थर साबित होगा।
New Delhi Feb 01 : आम बजट पेश हो चुका है। केंद्र सरकार ने इस बार के बजट में दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ स्कीम का एलान करके गरीबों का दिल जीत लिया है। मोदी सरकार इस बार सिर्फ गरीबों ही नहीं बल्कि किसानों पर भी मेहरबान दिखी। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ स्कीम के जरिए 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर अभी से फिल्डिंग और बैटिंग की तैयारी कर दी है। कहा जा रहा है कि कहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ मोदी केयर से ही पूरे के पूरे विपक्ष का इलाज ना हो जाए। विपक्ष के लिए मोदी सरकार की ये नई योजना रुपी चाल बहुत भारी पड़ सकती है। नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम के जरिए मोदी सरकार ने एक तीर से कई शिकार कर डाले हैं। जिसमें बड़ी राहत गरीबों को मिलेगी। जबकि शिकार मोदी विरोधियों का होगा, विपक्ष का होगा। कैशलेस इलाज गरीबों का होगा और वोटलेस इलाज विपक्ष का होगा।
2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी मोदी सरकार ने एक ही झटके में चालीस से पचास करोड़ गरीब भारतीयों का दिल जीत लिया है। दरअसल, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में इस बात का एलान किया है कि नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम के तहत दस करोड़ गरीब परिवारों को सालाना पांच लाख रुपए का हेल्थ इंश्योरेंस देगी। मान लीजिए कि अगर एक गरीब परिवार में कम से कम चार लोग हैं तो इसका फायदा सीधे तौर पर चालीस करोड़ लोगों को होगा और अगर एक परिवार में सदस्यों की संख्या औसतन पांच मानी जाए तो इसका फायदा पचास करोड़ लोगों को होगा। हालांकि विपक्ष ने इस स्कीम के एलान के साथ ही इसके धरातल पर उतरने को लेकर सवाल खड़े करने शुरु कर दिए हैं। लेकिन, विपक्ष को ये बात नहीं भूलनी चाहिए कि जनधन योजना के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गरीबों का बैंक अकाउंट भी दस रुपए में खुलवा चुके हैं।
मोदी की जनधन योजना भी काफी सफल हुई थी। बेशक विपक्ष अपनी खिसियाहट को मिटाने के लिए इस स्कीम पर सवाल खड़े कर सकता है। लेकिन, उसे 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले इसकी काट निकालनी होगी। अगर वक्त रहते मोदी सरकार ने दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ स्कीम यानी नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम को लागू कर दिया तो यकीन मानिए 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी की आंधी का वेग 2014 से भी ज्यादा होगा। ऐसे में विपक्ष की स्थिति की कल्पना की जा सकती है। वैसे भी अगर इस वक्त देखें तो विपक्ष के पास मोदी सरकार को घेरने के लिए कोई खास मुद्दे नहीं हैं। तभी कभी गाय का मुद्दा उठाया जाता है तो कभी सांप्रदायिकता का। लेकिन, इन मुद्दों से बीजेपी को सिर्फ फायदा ही होगा। नुकसान नहीं। जबकि ट्रिपल तलाक के खिलाफ बिल पेश कर और हज पर अकेली महिला को जाने की इजाजत देकर मोदी सरकार पहले से ही मुस्लिम महिलाओं का दिल जीत चुकी है।
इसमें कोई शक नहीं है कि मोदी सरकार ने इस साल कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों और 2019 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर ही आम बजट पेश किया है। बेशक मोदी सरकार की ओर से नौकरीपेशा लोगों और मध्यम वर्गीय लोगों को राहत ना दी गई हो लेकिन, उन पर ज्यादा बोझ भी नहीं डाला गया है। जबकि गरीबों और किसानों पर पूरी मेहरबानी दिखाई गई है। ये संकेत हैं कि आने वाले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी कमर कस चुकी है। कहीं ऐसा ना हो कि विपक्ष सिर्फ मोदी के खिलाफ संयुक्त मोर्चे की प्लॉनिंग ही करता रह जाए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी एक योजना से ही पूरे के पूरे विपक्ष का इलाज कर दें। विपक्ष को विरोध के साथ-साथ फिल्डिंग भी टाइट करनी होगी। नहीं तो आने वाले दिनों में पता नहीं कितने छक्के लगेंगे। विपक्ष मोदी की नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम को हल्के में ना ले तो बेहतर होगा। ये मेरा सिर्फ सुझाव भर है।