राहुल गांधी को सवाल पूछने में मजा आता है, कभी जवाब देना पड़ गया तो

राहुल गांधी को सवाल पूछने में तो आनंद आता है, लेकिन जब उनसे सवाल किया जाता है तो उनको सांप सूंघ जाता है, दो उदाहरण हैं पढ़िए और समझिए।

New Delhi, Feb 04: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी शायद बचपन से सवालों के प्रति रुचि रखते हैं। वो आजकल सवाल बहुत कर रहे हैं, हर मुद्दे पर सवाल, कभी कभी तो वो सवाल छोड़कर जवाब पूछ लेते हैं। उनके सवाल केवल पीएम मोदी से होते हैं। देश में कुछ भी हो कहीं कोई घटना हो राहुल का सवाल पीएम मोदी से होता है। संघीय व्यवस्था के अंतर्गत राज्य का प्रबंधन और प्रशासन राज्य सरकारें देखती हैं। लेकिन राहुल को इस से फर्क नहीं पड़ता है। वो केवल सवाल पूछने में लगे रहते हैं। इस में उनको मजा आता है, लेकिन मजा तक तक ही होता जब तक कि उनसे पलट कर सवाल ना पूछ लिया जाए। उसके बारे में भी बताएंगे पहले ये तो देख लेते हैं कि राहुल का ताजा सवाल क्या है।

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राहुल गांधी ने नागा समझौते को लेकर पीएम मोदी से सवाल किया है, सवाल क्या है ये सियासी हमला है। राहुल ने सोशल मीडिया के जरिए लिखा है कि नरेंद्र मोदी देश के इकलौते ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिनकी बातों का कोई मतलब नहीं होता है, वो कुछ भी बोल देते हैं। राहुल ने नागा समझौते के वजूद में होने को लेकर सवाल खड़ा किया है। ट्वीटर पर राहुल ने लिखा कि अगस्त 2015 में मोदी जी ने नागा समझौते पर साइन कर के इतिहास रचने का दावा किया था। लेकिन फरवरी 2018 में भी नागा समझौता जमीन पर कहीं नहीं दिख रहा। मोदीजी पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिनकी बातों का कोई मतलब नहीं होता। ये राहुल का ट्वीट था, जिस में मोदी पर निशाना साधा गया था।

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2015 में अगस्त के महीने में केंद्र सरकार और नागा अलगाववादी संगठन नैशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (इसाक मुइवा गुट) NSCN (IM) के बीच शांति समझौता हुआ था। समझौते पर दस्तखत के दौरान पीएम मोदी भी मौजूद थे। समझौते के बाद टी. मुइवा ने कहा था कि अब रिश्तों का नया दौर शुरू हो रहा है। राहुल गांधी ने इसी समझौते को लेकर सवाल खड़ा किया है। उनका कहना है कि ये समझौता धरातल पर नहीं दिख रहा है। गौर करने वाली बात ये है कि नागालैंड में 27 फरवरी को चुनाव होने हैं लेकिन नगा नैशनल पॉलिटिकल ग्रुप जैसे संगठनों ने चुनाव के बहिष्कार का एलान किया है। इनकी मांग है कि पहले नागा मुद्दे का हल किया जाए। NNPG के डर से उम्मीदवार नामांकन नहीं दाखिल कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने चुनाव में सुरक्षा के लिए अर्धसैनिक बलों की 270 कंपनियों को नागालैंड में तैनात किया है।

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ये तो हो गई नागा समझौते और राहुल के सवाल की बात, अब बात करते हैं कि राहुल से कोई सवाल पूछा जाए तो उनका मजा क्यों खराब हो जाता है। इसका हालिया उदाहरण आम बजट के बाद देखने को मिला, बजट पेश होने के बाद तमाम दलों की तरफ से प्रतिक्रिया आई, सभी ने अपनी अपनी समझ के मुताबिक इस पर बयान दिया, पत्रकारों ने राहुल को भी पकड़ लिया, उनसे लगातार बजट को लेकर सवाल पूछे जाते रहे, बजट कैसा लगा, क्या ये अच्छा है या बेकार है, लेकिन मजाल है कि राहुल के मुंह से बजट को लेकर एक शब्द निकला हो, शायद उनको बजट की समझ नहीं है या फिर उनका बयान लिख कर तैयार नहीं था, इसलिए वो बिना कुछ बोले चले गए। सवाल पूछना अच्छी बात है, लेकिन सवालों के जवाब भी देने पड़ते हैं, शायद ये राहुल अभी तक समझ नहीं पाए हैं।