इन तीन मुद्दों के कारण 2019 में होगा घमासान, योगी आदित्यनाथ बनेंगे गेम चेंजर
लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की अहमियत बहुत ज्यादा है, योगी आदित्यनाथ की सरकार यहां पर है, 80 सीटों पर किस तरह की रणनीति काम करेगी।
New Delhi, Feb 06: आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बिसात अभी से बिछने लगी है, उत्तर प्रदेश की 80 सीटों का महत्व भारतीय राजनीति में अशर्फियों से कम नहीं है, जिसके हाथ ये लगी उसकी सत्ता बनी, पिछली बार बीजेपी ने 80 में से 71 सीटें अपने नाम की थी, बीजेपी के प्रचंड बहुमत के पीछे इन सीटों का बड़ा हाथ था। अब 2019 में बीजेपी के लिए यही प्रदर्शन दोहराने का दबाव है, वहीं दूसरी तरफ जिस तरह से विपक्षी दल एकजुट होने की कोशिश कर रहे हैं उस से बीजेपी की राह आसान नहीं होने वाली है, लेकिन बीजेपी के पास योगी आदित्यनाथ के रूप में ऐसा गेम चेंजर खिलाड़ी है जो तीन मुद्दों के सहारे विपक्ष की सारी रणनीति को फेल कर सकता है।
अभी तक जिस तरह से बयानबाजी हो रही है उस से ये साफ है कि 2019 में उत्तर प्रदेश में विकास के बजाय ध्रुवीकरण की राजनीति चलेगी. इस के लिए जमीन तैयार की जाने लगी है। बीजेपी और संघ परिवार ने तीन ऐसे मुद्दे पकड़े हैं जिनके दम पर वो आसानी से यूपी में अपनी पकड़ को बरकरार रख सकती है। ये तीन मुद्दे हैं अयोध्या में राम मंदिर, तीन तलाक और मुजफ्फरनगर दंगा मामला। योगी आदित्यनाथ की सरकार इन तीनों ही मुद्दों पर काफी मुखर रही है। खास तौर पर जिस तरह से मुजफ्फरनगर मामला फिर से चर्चा में आ रहा है, उस से ये बात साबित हो रही है, वहीं बीजेपी नेताओं पर इस मामले में दर्ज केस को वापस लेने की मांग उठने लगी है। अगर योगी सरकार ये करती है तो ये चुनाव में बड़ा मुद्दा बन सकता है।
सबसे बड़ा मुद्दा तो अयोध्या में राम मंदिर का है, 8 फरवरी से सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर सुनवाई हो रही है, बीजेपी से जुड़े संगठन नहीं चाहते हं कि राम मंदिर के निर्माण में कानूनी तौर पर देरी हो, वो ये भी नहीं चाहते हैं कि किसी संगठन के कारण मंदिर निर्माण में देरी हो, दूसरी तरफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी कानूनी जानकारों से सलाह मशविरा करने के बाद इस मुद्दे पर अपनी राय बना ली है। बता दें कि राम मंदिर के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच रोजाना 3 घंटे सुनवाई कर रही है। 30 दिन के अंदर सभी पक्षों की सुनवाई पूरी हो जाएगी। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट की बेंच अपना फैसला सुना सकती है। अगर फैसला मंदिर निर्माण के हक में आता है तो ये बीजेपी के लिए बहुत बड़ी जीत होगी।
अयोध्या का मुद्दा बीजेपी के लिए संजीवनी से कम नहीं है, वो रोजगार, महंगाई और दूसरे मुद्दों से घिरी हुई है, ऐसे में अयोध्या मुद्दा उसके लिए कवच का काम करेगा, वहीं तीन तलाक को लेकर जिस तरह से योगी आदित्यनाथ के साथ साथ केंद्र सरकार मुखर है, उस से ये भी साफ है कि ये मुद्दा भी चुनावी मुद्दा बनेगा। लोकसभा में तीन तलाक के खिलाफ कानून पास हो गया है, लेकिन राज्यसभा में पास नहीं हो पाया है। तीन तलाक के मुद्दे पर बीजेपी को मुस्लिम महिलाओं का समर्थन मिलने लगा है। कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव में विकास की राजनीति नहीं बल्कि ध्रुवीकरण की राजनीति देखने को मिलेगी। अब देखना ये है कि बीजेपी के इन तीन मुद्दों के तोड़ में विरोधी दल क्या सामने लेकर आते हैं।