क्या राफेल के बहाने देश की सुरक्षा को खतरे में डालना चाहते हैं राहुल गांधी ?
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इन दिनों राफेल डील पर बवाल मचा रखा है। वो इस मसले को लेकर लगातार मोदी सरकार पर हमला किए जा रहे हैं।
New Delhi Feb 09 : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कुछ साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कपड़ों को पकड़ा था। तब वो हर जगह एक ही बात कहते थे कि मोदी जी दस लाख सूट पहनते हैं। उन्हें सूटबूट की सरकार के नाम से संबोधित करते थे। बड़ी मुश्किल से राहुल गांधी के दिमाग से मोदी के कपड़ों का फोबिया निकल पाया। लेकिन, अब उनके दिमाग राफेल डील घुस गई है। राहुल गांधी आरोप लगा रहे हैं कि राफेल डील में गड़बड़ी हुई है। घोटाला हुआ है। तभी सरकार इस डील को जनता के सामने सार्वजनिक करने से कतरा रही है। जबकि केंद्र की मोदी सरकार की ओर से बार-बार ये बताया जा रहा है कि राफेल डील की अनुमानित लागत बताई जा चुकी है। देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इसकी बारीक डिटेल सार्वजनिक नहीं की जा सकती। ऐसा नहीं है कि ये काम सिर्फ मोदी सरकार के कार्यकाल में ही किया जा रहा है। जब यूपीए की सरकार थी उस वक्त भी रक्षा मंत्री इस तरह की डिटेल सार्वजनिक करने से कतराते थे।
दरसअल, इन दिनों राहुल गांधी से कुछ भी पूछो वो ये ही कहते हैं कि राफेल डील पर मोदी चुप क्यों हैं। सरकार के लोग जवाब क्यों नहीं दे रहे। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने मौन क्यों धारण किया हुआ है। जबकि सदन के भीतर वित्त मंत्री अरुण जेटली विपक्ष और खासतौर पर राहुल गांधी को ये समझा चुके हैं वो पूर्व रक्षा मंत्री रहे प्रणब मुखर्जी और एके एंटनी से नसीहत लें। जिस वक्त यूपीए की सरकार थी उस वक्त इन दोनों ही रक्षा मंत्रियों ने रक्षा डील से जुड़ी बारीक जानकारियों को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया था। तो क्या राहुल गांधी सिर्फ अपनी राजनीति की खातिर देश की सुरक्षा से समझौता करना चाहते हैं। या फिर इसके पीछे मंशा कोई और ही है। अगर यूपीए सरकार नेशनल सिक्योरिटी के नाम पर कुछ बातों को सार्वजनिक नहीं कर सकती है तो फिर वहीं कांग्रेस इस तरह की बातों की उम्मीद बीजेपी से क्यों करती है।
ये हाल तब हैं जब केंद्र सरकार की ओर से राफेल डील की अनुमानित लागत बताई जा चुकी है। खुद वित्त मंत्री अरुण जेटली कहते हैं कि अनुमानित लागत बताने में किसी को कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन, अगर हम इसकी डिटेल रिपोर्ट का खुलासा करेंगे तो ये देश की सुरक्षा के साथ समझौता होगा। दुश्मन देशों को भी पता चल जाएगा कि हमारी शक्ति कितनी है। राफेल की कैपेसिटी क्या है। रक्षा मामलों और देश हित के मामले में इस तरह की बातों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। इस बीच शुक्रवार को बीजेपी संसदीय दल की मीटिंग में भी राफेल डील पर कांग्रेस पार्टी के आरोपों से निपटने के लिए बीजेपी ने अपनी रणनीति तैयार कर ली है। इसी बैठक में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने राहुल गांधी पर सीधा वार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की राजनैतिक शैली अलोकतांत्रिक है। यही वजह हैं कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में भी अड़चनें पैदा कर रहे हैं।
इस मीटिंग के बाद मीडिया से बात करते हुए पार्टी के नेता अनंत कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने बैठक में कहा कि राफेल डील के मेन प्वाइंट बारे में बताया जा चुका है और आगे भी बताएंगे, लेकिन हर एक कंपोनंट को लेकर चर्चा करना देशहित में कितना उचित होगा ? बीजेपी ने राहुल गांधी पर सीधे सवाल खड़े करते हुए पूछा कि क्या वो देश की राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करना चाहते हैं। इस बीच, राफेल डील में घोटाले का आरोप लगाने वाले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को इस मामले में बहस की मांग को लेकर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को नोटिस भी दिया है। सीधे शब्दों में कहें तो राफेल पर रार जारी है। जहां एक ओर कांग्रेस इस मसले पर पीछे हटने को तैयार नहीं है। वहीं दूसरी ओर बीजेपी ने तय कर लिया है कि वो इस केस को लेकर कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी के झूठ का पर्दाफाश करके ही दम लेंगे।