सुंजवा में हुए हमले के बाद टीवी एंकर ने मोदी सरकार से पूछे सवाल, क्या ये हमारी विदेश नीति है ?

सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान और भी बेशर्म हो गया है, हमारे रिकॉर्ड सैनिक मारे जा रहे हैं! China के साथ भी हमारे संबंध बद से बदतर होते जा रहे हैं। 

New Delhi, Feb 11 : जम्मू के सुंजवा मे हुए हमले जिसमे हमारे सैनिक और आम नागरिक शहीद हुए हैं, उसके बाद, मेरे कुछ सवाल हैं इस “देशभक्त” सरकार से
1. 4 फरवरी को मौलाना मसूद ज़हर (Azhar) ने एक रैली की जिसमे ना सिर्फ भड़काऊ बयान दिए गए बल्कि भारत पर हमले की बात की गयी. 9 को अफजल गुरु की मौत की बरसी थी! सीधे तौर पर गुप्तचर रिपोर्ट थी, तो सैनिक अड्डों की सुरक्षा क्यों चाक चौबंद नहीं की गयी?

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2. ये base जम्मू पठानकोट राजमार्ग पर है.. एक बहुत संवेदनशील मार्ग, ऐसे मे जैश मोहम्मद रैली और अफजल गुरु की बरसी पर क्यों नहीं तमाम जगह पर तैनाती दुरुस्त की गयी?army1
3. सेना के उप प्रमुख जनरल फिलिप Campose की रिपोर्ट पठानकोट हमले के बाद तैयार हुई थी जिसमे perimeter fencing यानी सैनिक अड्डों के आसपास की सुरक्षा पर ज़ोर दिया गया था, साथ ही कमियों को expose किया गया था, मगर रक्षा मंत्रालय ने सिर्फ कुछ दिनों पहले ही 1487 करोड़ मुहैया कराए? रिपोर्ट पर देरी से कार्रवाई क्यों? क्या ये देश भक्त सरकार के लक्षण हैं?

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4. Surgical स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान और भी बेशर्म हो गया है.. हमारे रिकॉर्ड सैनिक मारे जा रहे हैं! China के साथ भी हमारे संबंध बद से बदतर होते जा रहे हैं.. हम दोनों के साथ तनाव बढ़ा कर क्या हासिल कर रहे हैं? China तो doklam मे बना हुआ है, अब वो Maldives मे आंख दिखा रहा है! हम क्यों खुद को हर तरफ से घेरने मे लगे हुए हैं? क्या ये हमारी विदेश नीति है?
5. कब तक सैनिकों को आप अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए इस्तेमाल करते रहेंगे? कब तक?

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6. क्या सैनिक का परिवार आपके लिए मायने नहीं रखता? सैनिक शहीद होता है, तो उसका परिवार को क्यों ज़िन्दगी भर नर्क भुगतना पड़ता है? ये सब आपकी भड़काऊ नीति का नतीजा तो नहीं?sujwa
7. आप कब सैनिक के नाम का राजनीतिक स्वार्थों के लिए इस्तेमाल करना बंद करेंगे? कब?
8.शहीद सैनिक का परिवार भी इंसाफ चाहता है? क्या उसके दर्द का कोई इलाज है आपके पास?
उम्मीद है आप ठंडे दिमाग से इन बातों पर गौर करेंगे?

(ABP News से जुड़े चर्चित पत्रकार अभिसार शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार है)