रेणुका जी की हंसी सबने सुनी, लेकिन उनके आंसू कोई नहीं देख पाया
रेणुका जी वापस सदन में आ चुकी हैं , हँस पड़ी तब तक हंसती रहीं जब तक अपने को रोके रहीं लेकिन अंत मे टूट ही गयी और आँसू लुढ़क पड़ा ।
New Delhi, Feb 11 : चुआ गुरु अमूमन गमगीन नही होते ।
– का बात है गुरु , चिंतित हो ?
– नही गुरु , चिंता ना है , कम्बख्त वक्त कितना खराब हो गया है रेणुका जी की हंसी सबने सुना , उनके आँसू जो आंख के कोने से लुढ़कने के पहले ही साड़ी के पल्लू में गिर गए थे , किसी ने नही देखा ।
– आँसू ? लेकिन वो तो हँस रही थीं ?
मुद्दत हुई है औरत को हँसे हुए । कहाँ हँस पाएगी । जब भी हंसी सुनो उसके मर्म को पकड़ो जितने गहरे में उतरोगे उतना ही भीगते जाओगे आंसुओं का समंदर है वहां ।
– लेकिन वो बात क्या थी जिस पर रेणुका जी हँस पड़ी ?
– सुनोगे ? तू नही रो सकोगे , पुरुष हो , तुममे सब कुछ है करुणा नही है । सुनो , प्रधानमंत्री जी अपने सरकार की तारीफ कर रहे थे आर्थिक मजबूती का जिक्र किया, आर्थिक हालात कितने बदले यहां तक आते आते रेणुका जी नोटबन्दी की कतार में जा चुकी थी । बे खाये पिये भूखप्यास से व्याकुल भीड़ कतार बन चुकी है । लूगा आगे नही बढ़ रहा कमजोर बदन की महिला कांप रही है आगे नही बढ़ रही ।
पीछे खड़ा नौजवान आगे बढ़ने का इशारा करता है औरत पलट कर कातर नजर से युवक को देखती है , आगे खाली हुई जगह के लिए औरत बढ़ गई । नौजवान आगे गीली जमीन को देखता है , और किसी की नजर न पड़े , जूते से जमीन रगड़ देता है वेबसी हांफने लगती है , निजाम ने कतार तो दे दिया , सुविधाएं ? आधे घंटे बाद यही औरत गिर गई थी ।
पोस्टमार्टम में मौत का कारण हृदयगति रुकना आया । यह खबर नही है । सवा सौ करोड़ की आबादी में लोगों का मरना कोई खबर थोड़े ही है । वो भी नोटबन्दी की कतार में ? प्रधानमंत्री जी यहां थे – इस तरह हमने देश को मजबूत किया और रेणुका जी वापस सदन में आ चुकी हैं , हँस पड़ी तब तक हंसती रहीं जब तक अपने को रोके रहीं लेकिन अंत मे टूट ही गयी और आँसू लुढ़क पड़ा ।
यह तुम्हे किसने बताया
हालात ने