शोपियां फायरिंग : SC ने मेजर आदित्य पर दर्ज FIR पर लगाई रोक, देशद्रोहियों के मुंह पर तमाचा
शोपियां फायरिंग केस में महबूबा मुफ्ती की सरकार ने मेजर आदित्य समेत कुछ जवानों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करा दिया था। इसी पर बवाल है।
New Delhi Feb 12 : देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट ने 10 गढ़वाल राइफल्स के मेजर आदित्य कुमार को बड़ी राहत दी है। शोपियां फायरिंग केस में सुप्रीम कोर्ट ने उन पर दर्ज हत्या की FIR पर रोक लगा दी है। सुप्रीम का ये फैसला उन देशद्रोहियों के मुंह पर करारा तमाचा है जो अपनी नापाक हरकतों से भारतीय सेना का मनोबल तोड़ना चाहते हैं। इस मामले में मेजर आदित्य के पिता लेफ्टिनेंट कर्नल कर्मवीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मेजर आदित्य के पिता की इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शोपियां फायरिंग में दर्ज FIR पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया। इसके साथ ही अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार और राज्य सरकार से जवाब भी मांगा है। मेजर आदित्य के पिता लेफ्टिनेंट कर्नल कर्मवीर सिंह ने अपनी याचिका में कहा था कि राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान की रक्षा के लिए अपनी जान की बाज़ी लगाने वाले जवानों के मनोबल की रक्षा की जाए।
दरअसल, ये मामला 27 जनवरी का है। इस दिन कश्मीर के शोपियां के गनोवपुरा गांव में भीड़ ने आर्मी के काफिले पर हमला कर दिया था। भीड के सिर पर खून सवार था। वो एक जूनियर कमीशंड अधिकारी को पीट रहे थे। भीड़ इस अधिकारी को जिंदा जलाना चाहती थी। जिसके बाद वहां मौजूद आर्मी के दूसरे जवानों ने आत्मरक्षा के लिए फायरिंग की थी। जिसमें दो युवकों की मौत हो गई थी। शोपियां के गनोवपुरा में भीड़ के चंगुल में फंसे जवानों का कहना था कि अगर वो आत्मरक्षा में फायरिंग नहीं करते तो भीड़ सबको मार डालती। इस यूनिट की कमान मेजर आदित्य संभाल रहे थे। मेजर आदित्य ने ही यहां पर पूरे ऑपरेशन को संभाल रखा था। लेकिन, जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शोपियां फायरिंग में मेजर आदित्य समेत गोली चलाने वाले जवानों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करा दिया था। जिसे लेकर काफी बवाल हुआ था।
हालांकि इस मामले में बेशक महबूबा मुफ्ती की सरकार ने मेजर आदित्य और दूसरे जवानों पर हत्या का मुकदमा दर्ज करा दिया हो लेकिन, पूरी की पूरी भारतीय सेना अपने मेजर और जवानों के साथ खड़ी हुई थी। उत्तरी क्षेत्र सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल देवराज अन्बु ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए आर्मी जवानों पर दर्ज एफआईआर को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया था। राजनीतिक गलियारों के साथ-साथ ये मामला अदालत की चौखट पर भी पहुंच गया था। हालांकि उस वक्त महबूबा मुफ्ती ने ये भी बयान दिया था कि इस मामले में उनकी सरकार ने जो भी कार्रवाई की है वो रक्षा मंत्री की सहमति के आधार पर ही की है। महबूबा मुफ्ती का कहना है कि उन्होंने इस घटना की जानकारी खुद रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण को दी थी और उन्होंने कहा था कि अगर किसी ने गलत किया है तो उसे उसकी सजा मिलनी चाहिए। जिसके बाद आर्मी के मेजर और जवानों के खिलाफ केस दर्ज किया गया।
जबकि मेजर आदित्य के पिता लेफ्टिनेंट कर्नल कर्मवीर सिंह ने अपनी याचिका में जम्मू-कश्मीर पुलिस पर मनमाने तरीके से काम करने का आरोप लगाया। लेफ्टिनेंट कर्नल कर्मवीर सिंह का कहना था कि पुलिस को पता था कि उनका सैन्य अधिकारी बेटा उस वक्त वहां मौजूद नहीं था। आर्मी के जवान वहां पर शांतिपूर्ण तरीके से काम कर रहे थे। जबकि हिंसक भीड़ लगातार उग्र हुए जा रही थी। उनका कहना था कि शोपियां में उग्र भीड़ ने सरकारी प्रॉपर्टी को बचाने और कानूनी तौर पर कार्रवाई करने के लिए आर्मी के जवानों को मजबूर किया। उनका कहना है कि आर्मी का ये काफिला केंद्र सरकार के निर्देश पर अपने कर्तव्यों का पालन करने जा रहा था। जाहिर है इस मामले में अब महबूबा मुफ्ती की सरकार और राज्य पुलिस कठघरे में आ गई है। बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी भी कह चुके हैं कि इस मामले में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण को सामने आकर बयान देना चाहिए। शोपियां फायरिंग में दो पत्थरबाजों की मौत हुई थी।