5वीं बार जाटों की ‘सारी’ मांगे मान ली सरकार ने, लेकिन खटौला यहीं बिछैगा

ठीक ऐसे ही सरकार जाटों की, अध्यापकों की, रोडवेज वालों की बात सारी मान लेती है, लेकिन काम तो सरकार की मर्जी और सुविधा के अनुसार ही होगा।

New Delhi, Feb 13 : किस्सा यूं है कि एक बार एक चौधरी ने गली के बिल्कुल बीच में अपना खटौला (छोटी खाट) बिछा लिया। थोड़ी ही देर में आसपास के लोगों ने देखा तो टोकना शुरू किया कि यहां खटौला बिछाकर मत बैठो। लेकिन चौधरी हर किसी को कह देता, ‘भाई, खटौला तो यहीं बिछैगा।’।
थोड़े समय में दिक्कत भी होने लगी और सबको चिंता भी। आनन फानन में गांव की पंचायत इकट्ठी हुई और चौधरी को समझाने पहुंच गए। सब लोगों को आते देख ताऊ ने सबका स्वागत किया, और कहा बताओ भाई कैसे आए।

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एक-एक कर सब चौधरी को समझाने लगे कि खटौला वहां से क्यूं हटा लेना चाहिए।
‘ताऊ, यहां से पशु गुजरने हैं, उन्हें दिक्कत होगी’
‘ठीक बात है’
‘चौधरी साहब, बच्चे खेलेंगे, साइकिल चलाएंगे, शोर करेंगे, आप भी परेशान, वे भी परेशान रहेंगे’
‘हां, ये बात भी ठीक है, मान लिया’
‘ताऊ, गाड़ियां निकलेंगी, कोई स्पीड में होगी तो भिड़ जाएगी’
‘हां, ये बात भी मान ली’
‘आपकी देखा देखी और लोग भी यहां खाट बिछाएंगे। गली ही भर जाएगी ऐसे तो’
‘सही बात है। ये भी मान ली।’

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‘वैसे भी यहां धूल उड़ती है। सांस की दिक्कत हो जाएगी’
‘सही कह रहा है बेटा, मानता हूं ये बात भी’
ऐसे ही चौधरी साहब ने पंचायतियों की सारी बातों पर हां में हां मिला दी। हर बात मान ली।
सबको लगा कि बात तो बनी पड़ी है बस। आखिर में पंचायत के मुखिया ने कहा, ताऊ जी, आपने तो बड़ी इज्जत रखी हमारी। कोई बात आप भी कहना चाहते हो तो बताओ।
चौधरी बोल्या, ‘देखो भाई, मैंने तुम्हारी सारी बात मान ली। मान ली या नहीं मान ली ?’
‘हां जी, बिल्कुल मान ली’

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‘अब एक बात मेरी तुम्हें माननी पड़ेगी’
‘बताओ चौधरी साहब बताओ, क्या बात है ?’
‘बात ये है कि खटौला तो यहीं बिछैगा’
ठीक ऐसे ही सरकार जाटों की, अध्यापकों की, रोडवेज वालों की बात सारी मान लेती है, लेकिन काम तो सरकार की मर्जी और सुविधा के अनुसार ही होगा। चौधरी से कम थोड़े है हमारी सरकार !
यानी खटौला तो वहीं बिछेगा जहां बिछा हुआ है।

(पत्रकार दीपकमल सहारण के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)