जेल में लालू यादव कसमसा रहे हैं, एक सीट के लिए कांग्रेस ने आरजेडी को रगड़ दिया

जेल में बंद लालू यादव के लिए परेशानी इस बात की है कि उनकी पार्टी में कोई ऐसा नेता नहीं है जो सोच समझ कर फैसला करे, जिसके कारण कांग्रेस से ठन गई है।

New Delhi, Feb 14: लालू यादव के जेल जाने के बाद पार्टी के लिए मुश्किलों की जो शुरूआत हुई थी उसका असर अब दिखने लगा है, लालू जैसा दूसरा कोई कद्दावर नेता आरजेडी में नहीं है, यहीं से सारी परेशानियों की शुरूआत हो रही है, बिहार में महागठबंधन अभी भी बरकरार है, जब तक लालू थे, तो महागठबंधन उनके लिए हलुवा था, जो वो फैसला लेते वो मान्य होता था, चाहे मामला सीट बंटवारे का ही हो, लेकिन लालू के जेल जाने के बाद कांग्रेस अपने तेवर दिखा रही है। भभुआ में होने वाले उपचुनाव को लेकर कांग्रेस और आरजेडी भिड़ गए हैं। कांग्रेस को जवाब देने वाला आरजेडी में कोई है नहीं, पार्टी लालू परिवार के हाथ में हैं, जो बड़े नेता हैं वो खामोश हैं।

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दरअसल बिहार में तीन सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं, इसी को लेकर सारा बवाल मचा हुआ है, चूंकि आरजेडी बड़ी पार्टी है तो कांग्रेस ने उसके लिए दो सीटें छोड़ दी हैं, वहीं आरजेडी तीनों सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने के मूड में हैं, इसका एलान भी हो चुका है, कांग्रेस को अररिया लोकसभा और जहानाबाद विधानसभा सीट को लेकर कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन वो भभुआ सीट किसी भी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहती है. जबकि आरजेडी तीनों सीटों पर जीत का दावा करते हुए उम्मीदवार उतार रही है, अब कांग्रेस और आरजेडी आमने सामने आ गए हैं। भभुआ सीट 2015 में बीजेपी ने जीती थी, महागठबंधन के तले इस सीट से जेडीयू ने चुनाव लड़ा था. लेकिन अब जेडीयू एनडीए का हिस्सा बन गई है।

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जेडीयू की सीट होने के कारण भभुआ पर कांग्रेस अपना दावा पेश कर रही है, कांग्रेस का कहना है कि भभुआ सीट आरजेडी के पास नहीं थी, इसलिए इस पर उसका दावा नहीं बनता है, लेकिन लालू यादव की पार्टी कोई बात सुनने को तैयार ही नहीं है। कांग्रेस नेता सदानंद सिंह ने कहा कि पिछले चुनाव में भभुआ सीट पर न तो आरजेडी खड़ी थी और न कांग्रेस. ऐसे में वहां की राजनीतिक परिस्थिति को देखते हुए यह सीट कांग्रेस के खाते में जाना चाहिए, बता दें कि कांग्रेस के दावे के पीछे ये कारण है कि कांग्रेस इस सीट से 7 बार चुनाव जीत चुकी है। जबकि लालू की पार्टी यहां से केवल 2 बार चुनाव जीतने में कामयाब रही है। इस समीकरण के आधार पर कांग्रेस अपना दावा ठोंक रही है।

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भभुआ सीट पर जो सामाजिक संरचना है वो कांग्रेस के ज्यादा मुफीद है। इसलिए कांग्रेस नेताओं का कहना है कि गठबंधन धर्म का पालन करते हुए आरजेडी को ये सीट कांग्रेस को दे देनी चाहिए। दूसरी तरफ आरजेडी ने तीनों ही सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए हैं। राबड़ी देवी ने ये फैसला लिया है, इसलिए कोई नेता कुछ बोल भी नहीं पा रहा है। आरजेडी का कहना है कि उम्मीदवार तय करने से पहले कांग्रेस की तरफ से कोई नहीं आया, वहीं कांग्रेस का कहना है कि जब गठबंधन के दलों के बीच कोई बात नहीं हुई तो फिर आरजेडी ने उम्मीदवार कैसे उतार दिए। उम्मीदवारों के चयन से पहले बाकी दलों से पूछना तो चाहिए था। कुल मिलाकर कांग्रेस तल्ख तेवर दिखा रही है, जिस से अंदेशा है कि इस सीट पर कांग्रेस और आरजेडी एक दूसरे के खिलाफ ही लड़ेंगे, जिसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है।