वेलेंटाइन डे पर कांग्रेस-जेडीयू में हो गया ब्रेकअप ? प्‍यार की जगह जूतमपैजार

बिहार की राजनीति ने एक बार फिर नया मोड़ ले लिया है। कांग्रेस-जेडीयू गठबंधन में दरार पड़ गई है। देखिए वेलेंटाइन डे पर क्‍यों हुआ ये ब्रेक-अप ?

New Delhi Feb 14 : बिहार की राजनीति में एक बार फिर घमासान शुरु हो गया है। कहते हैं कि साझे की खेती ज्‍यादा दिन तक नहीं चलती है। यही हाल कांग्रेस-जेडीयू गठबंधन में भी देखने को मिल रहा है। वेलेंटाइन डे के दिन दोनों के बीच ब्रेकअप होता नजर आ रहा है। प्‍यार की जगह तकरार ने ली है। ऐसे में बिहार का ये सबसे कमजोर गठबंधन कब तक चलेगा कह पाना बेहद मुश्किल है। लेकिन, जो बिहार की राजनीति में कांग्रेस-जेडीयू गठबंधन को लेकर जो हालात पैदा हुए हैं उससे साफ संकेत मिल रहे हैं कि ये गठबंधन भी अब ज्‍यादा दिनों का मेहमान नहीं रह पाएगा। दरसअल, बिहार में अगले महीने तीन सीटों पर उपचुनाव होने हैं। सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस-जेडीयू में तनातनी बढ़ गई है। कांग्रेस ने भभुआ विधानसभा सीट पर अपना दावा ठोंक दिया है। जो जेडीयू को पसंद नहीं आ रहा है। इसी सीट को लेकर कांग्रेस-जेडीयू गठबंधन में दरार पड़ गई है।

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सदानंद सिंह बिहार में कांग्रेस विधायक दल के नेता हैं। सदानंद सिंह का कहना है कि मैं पार्टी हाईकमान से आग्रह करूंगा कि भभुआ विधानसभा के उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी अपना उम्‍मीदवार उतारे। भभुआ के अलावा अररिया लोकसभा और जहानाबाद विधानसभा सीट पर भी 11 मार्च को उपचुनाव होने हैं। दरसअल, भभुआ सीट पर कांग्रेस पार्टी को लग रहा है कि यहां पर उनकी पकड़ मजबूत है। वहीं दूसरी ओर आरजेडी के महासचिव भोला यादव कहते है कि भभुआ में कांग्रेस के मुकाबले राष्‍ट्रीय जनता दल की पैठ ज्‍यादा तगड़ी है। भोला यादव का कहना है कि इस सीट पर राजद या फिर उसके सहयोगियों ने कई बार जीत हासिल की है। ऐसे में आरजेडी को यहां से अपना कैंडीडेट उतारना चाहिए। सीधे शब्‍दों में कहें तो आरजेडी नहीं चाहती है कि बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपने उम्‍मीदवार मैदान में उतारे। आरजेडी चाहते है कि तीनों सीटों पर उसी के उम्‍मीदवार उतरें।

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लेकिन, कांग्रेस पार्टी को आरजेडी की ये तानाशाही रास नहीं आ रही है। जाहिर है कि अगर दोनों के बीच इसी तरह से तरकरार चलती रही तो भभुआ के अलावा बाकी सीटों पर भी कांग्रेस-जेडीयू गठबंधन की बजाए ये दोनों ही दल एक दूसरे के सामने खड़े नजर आ आएंगे। हालांकि दोनों ही पार्टी हाईकमान को उम्‍मीद है कि वो जल्‍द ही इस विवाद को सुलझा लेंगे। लेकिन, कांग्रेस-जेडीयू के बीच चल रही ये तकरार इतनी जल्‍दी निपटती हुई नजर नहीं आ रही है। क्‍योंकि दोनों दलों में कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। हो सकता है कि बिहार में कांग्रेस-जेडीयू गठबंधन बचाने को लेकर कोई नई पहल हो सकती हो लेकिन, फिलहाल ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। देखना काफी दिलचस्‍प होगा कि बिहार का ये गठबंधन आने वाले दिनों में कौन सा मोड़ लेता है। वैसे आरजेडी के साथ गठबंधन को लेकर पहले से ही कांग्रेस में फूट पड़ चुकी है।

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दरअसल, बिहार में जब महागठबंधन टूट गया था और नीतीश कुमार आरजेडी और कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी के साथ चले गए थे, दरार की नींव उसी वक्‍त पड़ गई थी। कांग्रेस के तत्‍कालीन प्रदेश अध्‍यक्ष अशोक चौधरी नहीं चाहते थे आरजेडी के साथ अब और ज्‍यादा गठबंधन धर्म निभाया जाए। क्‍योंकि अशोक चौधरी और उनके गुट का मानना था कि लालू यादव और उनके परिवार की तानाशाही के चलते ही महागठबंधन टूटा था। हालांकि अशोक चौधरी के बागी बोल उस वक्‍त कांग्रेस हाईकमान को पसंद नहीं आए थे। लेकिन, अब एक बार फिर सीट शेयरिंग को लेकर बवाल शुरु हो गया है। कांग्रेस पार्टी का दूसरा धड़ा भी जेडीयू के खिलाफ खड़ा होता नजर आ रहा है। ऐसे में बिहार में कांग्रेस-जेडीयू को लेकर कांग्रेस हाईकमान में भी असमंजस की स्थिति है। अगर हाईकमान बिहार के नेताओं की बात को नजरअंदाज कर भभुआ की सीट भी आरजेडी को दे देते हैं तो जाहिर है बिहार कांग्रेस पर इसका बुरा असर पड़ेगा। देखिए उपचुनाव से पहले क्‍या होता है कांग्रेस-जेडीयू गठबंधन का।