स्मृति ईरानी ने अमेठी को दी नई पहचान, बिगड़ेगा राहुल गांधी का जायका

अमेठी की पहचान गांधी परिवार के कारण थी, लेकिन अब उसकी नई पहचान स्मृति ईरानी बना रही हैं, जिस से चुनाव में राहुल को भारी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है।

New Delhi, Feb 16: कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश में कुछ नहीं बचा है, पहले लोकसभा चुनाव उसके बाद विधानसभा चुनाव में जनता ने उसके किले को उखाड़ फेंका था, नाम लने के लिए केवल अमेठी और राय बरेली ही बचे हैं, अमेठी से राहुल गांधी और राय बरेली से सोनिया गांधी चुनाव लड़ते हैं। इस बार लगता है कि ये दोनों किले भी हाथ से निकल जाएंगे, पिछली बार अमेठी से राहुल को स्मृति ईरानी ने चुनौती दी थी, भले ही ईरानी चुनाव हार गई लेकिन उन्होंने अमेठी के लोगों का साथ नहीं छोड़ा, अमेठी जो कांग्रेस का गढ़ रहा है, वहां पर विकास के नाम पर गांधी परिवार ने कुछ नहीं किया। लगातार जीतने के बाद भी जो काम राहुल नहीं कर पाए वो काम ईरानी ने हारने के बाद भी कर दिखाया।

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अभी तक अमेठी की पहचान केवल गांधी परिवार के कारण होती थी, लेकिन अब उसकी पहचान बदल रही है, स्मृति ईरानी के कारण अमेठी की महिलाएं अब विकास की राह पर आगे बढ़ रही हैं। अब अमेठी की नई पहचान पूरी दुनिया पर छाने के लिए तैयार है। ईरानी ने इसके बारे में ट्वीट करके जानकारी दी. उन्होंने लिखा कि कमिंग सून अमेठी अचार- एक ब्रांड जन्मा, जिसे अमेठी की महिलाओं ने विकसित किया, ये सब हुआ अप्रैल 2017 में स्थापित प्रधानमंत्री कौशल केंद्र के कारण। ईरानी के ट्वीट से साफ है कि जो काम सत्ता में रहने के बाद भी गांधी परिवार नहीं कर पाया वही काम वो चुनाव हारने के बाद कर रही हैं। अमेठी अचार जिसको लेकर ईरानी काफी गंभीर हैं, वो लगातार इसका प्रचार कर रही हैं।

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बता दें कि अमेठी अचार को बनाने से लेकर इसे पैक करने का काम अमेठी की महिलाओं ने किया है। जिस तरह से गुजरात में अमूल ने सफलता के झंडे गाड़े उसी तरह से अमेठी अचार के लिए भी प्लान किया जा रहा है। पिछले साल यानि 2017 में अमेठी में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत एक सेंटर स्थापित किया गया था जिसके तहत स्थानीय महिलाओं ने यहां अचार तैयार किया है। ये अचार अब एक चुनावी हथियार का काम करेगा, 2019 के लोकसभा चुनाव में भी ईरानी यहीं से लड़ सकती हैं. ऐसे में इस अचार का स्वाद राहुल गांधी को शायद ही पसंद आए। वो अक्सर कहते रहते हैं कि केंद्र सरकार अमेठी का विकास नहीं कर रही है जबकि वो खुद यहां से सालों से सांसद हैं, कांग्रेस सत्ता में थी, उसके बाद भी वो कुछ नहीं कर पाए।

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स्मृति ईरानी लगातार अमेठी की जनता के संपर्क में हैं, 2014 में चुनाव जीतने के बाद जितनी बार राहुल अमेठी नहीं गए, उस से ज्यादा बार ईरानी अमेठी जा चुकी हैं. अमेठी की महिलाओं का जोरदार समर्थन भी उनको मिल रहा है। ऐसे में ये माना जा रहा है कि  2019 में राहुल गांधी के लिए यहां से चुनाव जीतना बहुत मुश्किल होने वाला है, जनता अब सवाल पूछ रही है, केवल गांधी परिवार के नाम पर वोट दे कर उसे क्या मिला, राहुल ने जितने भी वादे किए थे उनमें से कोई भी पूरा नहीं हुआ, जिस फूड पार्क को लेकर राहुल हमलावर थे, उसके बारे में भी जानकारी मिली को यूपीए सरकार ने उसे शुरू ही नहीं किया था। अब अमेठी अचार के साथ ही ईरानी को राहुल के खिलाफ बहुत बड़ा हथियार मिल गया है, जिस से निपट पाना राहुल के लिए आसान नहीं होगा।

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