बीजेपी हारेगी तभी EVM पाक साफ होगी, विपक्ष ने जनता को समझ क्या रखा है

एक बात आपने गौर की, देश में पिछले कुछ समय से उपचुनाव हो रहे हैं, लेकिन किसी भी दल ने EVM पर सवाल नहीं खड़ा किया, क्या है इसका कारण

New Delhi, Feb 16: शोर थम चुका है, हाल ही में हुए उपचुनावों में बीजेपी की हार के बाद एक चीज अच्छी हुई, लोकतंत्र के लिए बीजेपी की हार अच्छी साबित हो रही है, क्योंकि अगर बीजेपी जीत जाती तो फिर से EVM पर आरोप लगने शुरू हो जाते, चुनाव आयोग को निशाना बनाया जाता, इस तरह से देखें तो बंगाल और राजस्थान के उपचुनाव नतीजों ने ईवीएम को पाक साफ कर दिया। भले बीजेपी को झटका लगा लेकिन विपक्ष की लोकतंत्र में आस्था फिर से तो जागृत हो गई है। दोनों राज्यों में हुए उपचुनाव में कांग्रेस और टीएमी की जीत के बाद जिस तरह से ईवीएम पर हल्ला करने वाले शांत हुए हैं वो कई सवाल भी खड़े करता है। सवाल तो इस देश में हार बात पर खड़े हो जाते हैं, जवाब किसी के नहीं मिलते हैं।

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बंगाल और राजस्थान में हुए उपचुनाव के बाद EVM का मुद्दा क्या खत्म हो गया है। कोई ईवीएम के मुद्दे पर बात ही नहीं कर रहा है। जिस ईवीएम के दम पर बीजेपी लगातार जीत रही थी, उसी ईवीएम से वो हार गई, बात बीजेपी की हार की नहीं है, बात ये है कि कांग्रेस और टीएमसी जीत गए, यही दो दल हैं जो ईवीएम को लेकर सबसे ज्यादा हल्ला कर रहे थे। आम आदमी पार्टी भी हल्ला करने वालों में थी, लेकिन बीजेपी की हार से उसने सवाल खड़ा करना छोड़ दिया. एक दिलचस्प सवाल ये हो सकता है कि इन दोनों राज्यों में हुए उपचुनाव में अगर आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ती तो क्या वो कांग्रेस और टीएमसी की जीत पर ईवीएम पर सवाल खड़ा करती।

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जिस ईवीएम से बीजेपी जीत रही थी, उस से विपक्ष के लिए जीत का हार निकल रहा है। इस बात को समझना होगा कि किस तरह से विपक्षी दलों ने अपनी हार के लिए ईवीएम को बलि का बकरा बनाया है। पांच साल तक सरकार चलाने के बाद अगर किसी राज्य में कोई पार्टी हार जाती है तो उसके कई कारण होते हैं, जनता काम से खुश नहीं होगी तो वो सरकार बदल देती है। ये बात हर पार्टी जानती है, लोकतंत्र का सीधा सा सिद्धांत है, काम करेंगे तो जनता बार बार मौका देगी, लेकिन काम नहीं होगा तो जनता का हथौड़ा चलता है। लेकिन आज कल सियासी दल अपनी हार को पचा नहीं पा रही हैं, उस से भी बड़ी बात ये है कि वो बीजेपी की जीत को पचा नहीं पा रहे हैं। जीत को कमतर करने के लिए EVM पर सवाल खड़ा किया जाता है।

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दरअसल इसके पीछे एक सोची समझी रणनीति है, अगर किसी दल की जीत पर ईवीएम पर सवाल खड़ा किया जाए तो जनता के मन में संदेह पैदा होता है। इस से हारने वालों को लगता है कि उनका वोटबैंक अगली बार यही सोच कर वोट करेगा, मतलब ये कि आप खुद मत करिए और जनता में संदेह पैदा कर दीजिए। ये भी जीत की रणनीति हो सकती है। फिलहाल देश में इसी तरह की राजनीति हो रही है। मगर इसी के साथ ईवीएम पर सवाल उठाने वालों को ये भी ध्यान रखना होगा कि ईवीएम का इस्तेमाल जनता ही करती है, उसे बेवकूफ समझने की गलती ना करें। दोहरा रवैया किसी भी मुद्दे पर अपनाना ठीक नहीं होता है, इतनी समझ जनता के पास होती है।