आत्मदाह पर सियासत : जिग्नेश मेवाणी ने गुजरात में फिर भड़काई ‘दलित हिंसा’ ?
क्या गुजरात के दलित नेता और विधायक जिग्नेश मेवाणी नफरत की राजनीति कर रहे हैं। क्या एक बार फिर उन्होंने गुजरात में हिंसा भड़काने की कोशिश की ?
New Delhi Feb 18 : जिग्नेश मेवाणी गुजरात के दलित नेता हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में वो विधायक भी चुने गए। जिग्नेश मेवाणी का नाम देश की राजनीति में अचानक से और काफी तेजी से उभरा है। लेकिन, अब ये सवाल उठने शुरु हो गए हैं कि क्या जिग्नेश मेवाणी अपनी दलित राजनीति का बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं ? क्या वो समाज में दलित और गैर दलित के बीच नफरत का बीज बोना चाहते हैं ? क्या वो पुणे की तरह गुजरात में भी दलित हिंसा की आग भड़काना चाहते हैं ? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि पुणे के बाद अब गुजरात में दलित हिंसा भड़क गई है। ये हिंसा एक दलित कार्यकर्ता की मौत के बाद भड़की है। जिसने कुछ दिनों पहले आत्मदाह की कोशिश की थी। लेकिन, इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। जिग्नेश मेवाणी ने इस पर राजनीति करनी शुरु कर दी है। जिग्नेश गुजरात के पाटन में लोगों का जमावड़ा लगवाना चाहते थे लेकिन, पुलिस ने उन्हें पहले ही हिरासत में ले लिया।
दरअसल, जिग्नेश मेवाणी ने पाटन में दलित सामाजिक कार्यकर्ता भानुभाई वणकर की मौत के बाद प्रदर्शन का एलान किया था। जिग्नेश ने इसके लिए अपने कार्यकर्ताओं और दलितों से सारंगपुर में बाबा भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के पास जमा होने को कहा था। लेकिन, वो यहां पहुंच पाते इससे पहले ही गुजरात पुलिस ने उन्हें एहतियातन गिरफ्तार कर लिया। गुजरात पुलिस का कहना है कि दलित सामाजिक कार्यकर्ता भानुभाई वणकर की मौत के बाद यहां पर हालात काफी तनावपूर्ण बने हुए हैं। ऐसे में अगर जिग्नेश मेवाणी वहां पर पहुंचते तो हिंसा भड़क सकती थी। बेशक इस मामले में पुलिस ने जिग्नेश को हिरासत में ले लिया हो। लेकिन, दलित सामाजिक कार्यकर्ता भानुभाई वणकर की मौत के विरोध में अहमदाबाद में हिंसक प्रदर्शन हुआ। गुस्साए लोगों ने यहां पर कारों को आग के हवाले कर दिया। पुलिस बड़ी मुश्किल से हिंसा पर काबू पा पाई।
उधर, जिग्नेश मेवाणी का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें जबरदस्ती हिरासत में लिया। जिग्नेश का कहना है कि दलित की आवाज को दबाया नहीं जा सकता। इस मौके पर उन्होंने राज्य की बीजेपी सरकार को भी जमकर कोसा। दरसअल, पाटन में इस वक्त जमीन विवाद चल रहा है। इसी विवाद को लेकर कुछ दलित अनशन पर भी बैठे थे। इस विवाद में दलित सामाजिक कार्यकर्ता भानुभाई वणकर ने कलेक्टर आफिस पर खुद पर केरोसीन डालकर आग लगा ली थी। इस घटना में भानुभाई वणकर बुरी तरह झुलस गए थे। इसके बाद उन्हें गांधीनगर के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां उनका निधन हो गया। दलित सामाजिक कार्यकर्ता भानुभाई वणकर के निधन के बाद ही जिग्नेश मेवाणी ने अहमदाबाद बंद का एलान किया था। भानुभाई वणकर की मौत के विरोध में ही जिग्नेश सारंगपुर में विरोध प्रदर्शन करने वाले थे। लेकिन, इससे पहले ही उन्हें हिरासत में ले लिया गया।
हालांकि दलित संगठनों और जिग्नेश की ओर से अहमदाबाद के अलावा उत्तर गुजरात के उंझा में भी बंद का एलान किया गया। बंद के दौरान लोगों ने हाईवे पर जाम लगा दिया। पुलिस ने जब इस जाम को खुलवाने की कोशिश की तो उपद्रवियों ने पुलिसकर्मियों पर पथराव शुरु कर दिया। जिसके बाद यहां पर लाठीचार्ज भी करना पड़ा। इस विवाद में जिग्नेश मेवाणी के साथ-साथ पाटीदार नेता हार्दिक पटेल भी कूद पड़े हैं। हार्दिक पटेल ने दलित सामाजिक कार्यकर्ता भानुभाई वणकर के परिजनों से मुलाकात की। हार्दिक पटेल ने परिवार के लोगों से कहा कि वो उनकी इस जंग में शामिल हैं। परिवार को न्याय मिलने तक वो इस परिवार को पूरा समर्थन देंगे। भानुभाई वणकर दलितों को सरकार द्वारा आवंटित जमीन के कब्जे की मांग कर रहे थे। ये दलित परिवार जमीन पर कब्जे के लिए लगातार कलेक्टर आफिस के चक्कर काट रहा था। इस परिवार के कुछ सदस्य धरने पर भी बैठे थे।