डोकलाम पर भूटान में भारत की ‘टॉप सीक्रेट’ मीटिंग से सहमा चीन

डोकलाम विवाद के बीच भारत के तीन टॉप आफिसर्स ने भूटान में जाकर खास मीटिंग की। भारतीय अफसरों के इस आसाधारण दौरे से चीन सहम उठा है।

New Delhi Feb 19 : डोकलाम पर चीन लगातार अपना दावा ठोंकता रहा है। इतना ही नहीं हाल ही में उसने वहां पर सैन्‍य गतिविधियों को भी बढ़ा दिया था। इसके अलावा उत्‍तरी डोकलाम में चीन ने कुछ निर्माण भी कराया था। भारत की नजर काफी दिनों से इस विवाद पर टिकी हुई है। भारत नहीं चाहता है कि डोकलाम पर चीन कब्‍जा करे या फिर वहां पर किसी तरह का कोई निर्माण करे। इसी बात को लेकर चीन को भारतीय सेना का लंबा विरोध भी झेलना पड़ा था। इस विवाद के बीच भारत के तीन टॉप आफिसर्स ने भूटान का दौरा कर टॉप सीक्रेट मीटिंग की। हालांकि दो हफ्ते बाद इस मीटिंग का खुलासा हो गया है। इस खुलासे के साथ ही चीन एक बार फिर सहमा हुआ नजर आ है। दरअसल, चीन को पता है कि वो भूटान को तो अपने काबू में कर सकता है लेकिन, हिंदुस्‍तान पर हाथ डालने की उसकी हिम्‍मत नहीं है और इस मसले पर भारत भूटान के साथ खड़ा है।

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सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इसी महीने के शुरुआत में आर्मी चीफ बिपिन रावत, राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश सचिव विजय गोखले ने भूटान का दौरा किया था। इस दौरे को असाधारण करार दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक भारत के इन तीनों ही टॉप आफिसर्स ने डोकलाम विवाद पर भूटान के नेताओं और वहां के अफसरों से बात की। इस मीटिंग में डोकलाम के अलावा कई और रणनीतिक मुद्दों पर भी चर्चा हुई। बताया जा रहा है कि भूटान की ये टॉप सीक्रेट मीटिंग काफी सफल रही है। बताया जा रहा है कि आर्मी चीफ बिपिन रावत, राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश सचिव विजय गोखले इसी महीने की छह और सात तारीख को भूटान के दौरे पर गए थे। ये मीटिंग काफी सकारात्‍मक रही। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक चीन डोकलाम को लेकर भूटान पर दवाब बनाने की कोशिश कर रहा है।

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चीन की ओर से भूटान को एक प्रस्‍ताव भी भेजा गया। जिसमें चीन ने भूटान से कहा है कि वो डोकलाम को हमें दे दे और बदले में उत्‍तरी इलाके का एक बड़ा भूभाग हमसे ले ले। चीन चाहता है कि भूटान इस प्रस्‍ताव को मान ले और डोकलाम उसे दे दे। सीधे शब्‍दों में कहें तो चीन साम-दाम-दंड-भेद हर किसी का इस्‍तेमाल कर डोकलाम पर कब्‍जा करना चाहता है। लेकिन, सामरिक दृष्टि से बेहद महत्‍वपूर्ण इस इलाके पर भारत नहीं चाहता है कि चीन का नियंत्रण हो। इसलिए वो भूटान के साथ खड़ा हुआ है। भूटान भी इस इलाके को चीन की जद से बाहर ही रखना चाहता है। बताया जा रहा है कि इन्‍हीं सारी बातों को लेकर भूटान और भारत के अफसरों और नेताओं के बीच मीटिंग हुई। पिछले साल जुलाई में ही इस इलाके में भारतीय सेना और चीन के सैनिक आमने-सामने आ गए थे। ये विवाद काफी लंबा खिंचा था। आखिरकार चीनी फौज को यहां से पीछे हटना ही पड़ा था।

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बताया जा रहा है कि पिछले विवाद को भी निपटाने में विदेश सचिव विजय गोखले ने अपनी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई थी। डोकलाम का अपना सामरिक महत्‍व है। इसे चार देशों की सीमाओं को जोड़ने वाला चौराहा भी कहा जाता है। अगर चीन का इस इलाके पर पूरा नियंत्रण हो जाता है तो उसकी स्थिति यहां पर बहुत मजबूत हो जाएगी। इसके साथ ही अगर भूटान चीन के दबाव में आकर उसका प्रस्‍ताव भी मान लेता है तब भी भारत चीन को डोकलाम में निर्माण करने से नहीं रोक सकता है। इसके साथ ही चीन सिलीगुड़ी गलियारे को भी बाधित कर सकता है। ये गलियारा ही पूरे देश को उत्तर-पूर्वी राज्यों से जोड़ता है। जो काफी महत्‍वपूर्ण है। हालांकि इस टॉप सीक्रेट मीटिंग के बाद चीन के भी होश उड़े हैं। उसने मान लिया है कि अब उसकी उम्‍मीदों पर पूरी तरह पलीता लग चुका है। क्‍योंकि भारत भूटान को फुल सपोर्ट दे रहा है।