बीजेपी का नया दफ्तर विरोधी दलों के लिए सांप है, सभी को डसेगा

बीजेपी के नए दफ्तर के कारण दूसरे राजनीतिक दलों पर प्रेशर बढ़ गया है, लुटियंस जोन के बाहर दफ्तर शिफ्ट करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी है।

New Delhi, Feb 21: भारतीय जनता पार्टी का नया पता तो आप जान ही गए होंगे, 11 अशोक मार्ग अब पुराने समय की बात हो गई है, पहली बार किसी राष्ट्रीय पार्टी ने अपना हेडक्वार्टर लुटियंस दिल्ली से बाहर बनाया है, बीजेपी के नए दफ्तर का पता है  6, दीनदयाल मार्ग, नई दिल्ली. इस नए दफ्तर को बहुत ही आधुनिक तरीके से बनाया गया है, इसका उद्घाटन पीएम मोदी ने किया , इस दौरान उन्होंने भाजपा के इतिहास को लेकर जिस तरह से बातें की उस से साफ है कि भाजपा अब इतिहास में खुद का नाम सबसे ऊपर दर्ज करवाना चाहती है। मोदी ने कहा कि देश में राष्ट्रवाद और लोकतांत्रिक पार्टी केवल भाजपा ही है, और भी तमाम बातें पीएम मोदी ने कहीं, उस से भी खास बात ये है कि भाजपा का नया दफ्तर विरोधी दलों के कलेजे पर सांप की तरह लोट रहा है।

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भाजपा का नया दफ्तर विरोधी दलों के लिए दबाव का काम कर रहा है, अभी तक सभी बड़े सियासी दलों का दफ्तर लुटियंस दिल्ली में ही है, भाजपा ने लुटिएंस दिल्ली से बाहर अपना दफ्तर बना कर विरोधी दलों पर दबाव बना दिया है, कि वो भी लुटियंस दिल्ली से बाहर दफ्तर का निर्माण करें, ये कोई सरकारी दबाव नहीं है, बल्कि नैतिक दबाव है, सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी है। यही कारण है कि भाजपा का नया दफ्तर सांप की तरह विरोधी दलों को डस रहा है। नए ऑफिस के उद्घाटन के मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि ये दफ्तर किसी किसी व्यक्ति विशेष के सपनों को पूरा करने के लिए नहीं बना है, इसका मकसद देश के सपनों को पूरा करना है।

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दरअसल भाजपा और केंद्र सरकार पिछले काफी समय से वीआईपी कल्चर के खिलाफ काम कर रही है, भले ही वो जमीन पर दिख नहीं रहा है, लेकिन आवाज तो बुलंद की जा रही है, इस से कई दलों को दिक्कत होने लगी, खास तौर पर आम आदमी पार्टी को, जिसे लगता है कि आम आदमी का ठेका उसी के पास है। दिल्ली में एमसीडी चुनाव में भाजपा को इसका फायदा भी मिला। राजनीतिक दलों के अंदर लुटियंस दिल्ली में ऑफिस का सपना होता है, ऐसा होने से वीआईपी का ठप्पा लग जाता है, भाजपा ने लुटियंस जोन से बाहर दफ्तर का निर्माण करके दबाव बना दिया है. खास बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मुद्दे पर आदेश दे रखा है।

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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के लगभग एक दशक के बाद भी किसी राजनीतिक दल ने लुटियंस जोन के बाहर दफ्तर शिफ्ट करने की जहमत नहीं उठाई, बता दें कि 2010 के बाद से किसी भी दल को नया बंगला  अलॉट नहीं किया गया है। इसके बाद भी कांग्रेस, आरजेडी, जेडीयू, अन्नाद्रमुक, शिवसेना, अकाली दल, जेडीएस, आरएलडी और आम आदमी पार्टी का कब्जा बरकरार है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक लुटियंस जोन के बाहर राजनीतिक दलों के दफ्तर होने चाहिए, बीजेपी ने ऐसा करके विरोधी दलों पर दबाव बढ़ा दिया है, हालांकि इसकी उम्मीद कम ही है कि कोई राजनीतिक दल अपना दफ्तर लुटियंस जोन से बाहर शिफ्ट करेगा। कांग्रेस तो इसका खुल कर विरोध करेगी, लोकतंत्र खतरे में है ऐसे नारे लगने लगेंगे, आम आदमी पार्टी भी इस विरोध का सहयोग करेगी, इस तरह से लुटियंस दिल्ली में सियासी चिल्ल पों जारी रहेगी।