तेजस्वी यादव, सिक्कों में खुद को तौल रहे हैं, ये कैसी न्याय यात्रा

तेजस्वी यादव ने बिहार की गरीब जनता के साथ जो क्रूर मजाक किया है वो भारी पड़ सकता है, गरीब रोटी को तरसता है और तेजस्वी जैसे नेता सिक्कों में तौले जाते हैं

New Delhi, Feb 21: बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव इन दिनों न्याय यात्रा पर हैं, सत्ता से बेदखल किए जाने के दर्द को जनता से बांट रहे हैं, जनता के दम पर फिर से जनार्दन बनने के लिए न्याय यात्रा पर निकले हैं, नीतीश कुमार को लुटेरा बताते हैं, जिन्होंने जनादेश को लूट लिया, हमला करते हैं, लोहिया और जेपी की विचारधारा को आगे बढ़ाने की बात करते हैं, तेजस्वी बातें तो बड़ी बड़ी करते हैं, लेकिन अपने सार्वजनिक जीवन में वो इन बातों से कोसों दूर हैं। न्याय यात्रा सहरसा पहुंची तो वह पर तेजस्वी के सम्मान के लिए एक भव्य आयोजन किया गया, बिहार की गरीब जनता को न्याय दिलाने के नाम पर तेजस्वी को सिक्कों में तौला गया।

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ये अकबर का दरबार नहीं था, जो आप कन्फ्यूज हो जाएं, ये गरीब बिहार के सहरसा का चित्र है, जहां पर तेजस्वी अपनी न्याय यात्रा लेकर पहुंचे थे। सहरसा के ही एक महादलित टोले में तेजस्वी याद्व को सिक्कों में तौलने का इंतजाम किया गया था, आरजेडी के कार्यकर्ता ये दिखाना चाहते थे कि उनके लिए तेजस्वी कितने मूल्यवान हैं. इस तरह के आयोजनों से जनता के बीच में सुर्खियां बनाई जा सकती हैं लेकिन विचारधारा के स्तर पर ये खोखले हैं। लेकिन इन बातों से तेजस्वी को क्या मतलब है. वो खुश हो गए कि उनको सिक्कों में तौला जाएगा. भ्रष्टाचार के दोषी अपने पिता को क्रांतिकारी बताने वाले तेजस्वी भूल गए कि वो गरीब जनता का ही मजाक बना रहे हैं।

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तेजस्वी यादव को सिक्कों में तौलने के लिए एक बड़े से तराजू का इंतजाम किया गया, सैकड़ों लोगों की भीड़ के बीच एक पलड़े पर तेजस्वी बैठे और दूसरे पर सिक्के रखे गए, न्याय यात्रा के इस पड़ाव पर सिक्कों की आवाज से जनता का ध्यान भंग हो गया, वो तेजस्वी को भूल कर सिक्कों पर टूट पड़ी, जी हां, जिन सिक्कों से तेजस्वी को तौला जा रहा था, उन सिक्कों से किसी को रोटी मिल सकती थी, किसी के घर में चूल्हा जल सकता था, गरीबी सिक्कों का वजन नहीं देखती है, गरीबों को सिक्कों की आवाज सुनाई देती है, आवाज सुनने के बाद वो बेकाबू हो जाती है। यही सहरसा में भी हुआ, तेजस्वी के तराजू से हटने से पहले ही जनता बेकाबू हो गई.

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जनता को भर पेट खाना दने का वादा करने वाले नेता खुद को सिक्कों पर तुलवा रहे हैं, इतना क्रूर मजाक जनता के साथ अच्छा नहीं है तेजस्वी बाबू, अभी आप राजनीति में नए हैं, आपको अपने गृह प्रदेश बिहार की हालत पता होनी चाहिए, लेकिन कैसे पता होगी, बिहार में 7 साल तक जो जंगलराज था वो तो आप अपनी स्मृति से हटा चुके होंगे, क्योंकि वो आपके पिता का दौर था, जब बिहार में दिन दहाड़े अपराध होते थे, बहरहाल न्याय यात्रा के नाम पर पैसों का ये फूहड़ प्रदर्शन महंगा पड़ सकता है, इस प्रदर्शन से पहले अपने पिता लालू यादव से सलाह ले लेते तो वो मना कर देते, क्योंकि वो दिखावे की राजनीति में पारंगत हैं। वो जानते हैं कि गरीब को उल्लू बनाने के लिए खुद गरीब दिखना जरूरी है। तेजस्वी यादव तो खैर खुद को एक्सपोज कर ही चुके हैं।