‘नशामुक्त’ बिहार के नशेड़ी नेताओं को कब नकेल लगेगी ?

बिहार : ग्यारह घरों के चिराग बुझ गए, गरीब परिवारों के बच्चों की ऐसी मौत हुई, जिसके बारे में सोचकर जी सिहर उठता है।

New Delhi, Feb 27 : ग्यारह बच्चों का कातिल जब हुक्मरानों का बगलगीर हो तो उसे दबोचना आसान नहीं, उसे बचाने की तमाम कोशिशें हुई और अभी भी हो भी रही है, बिहार बीजेपी के इस नेता मनोज बैठा को घटना के तुरंत बाद से ही जेल में बैठना चाहिए था। स्कूल से लौट रहे बच्चों को जिस बेलगाम बोलेरो ने कुचल दिया, उसकी ड्राइविंग सीट पर यही शख्स बैठा था। चकमा देकर बचने की तमाम कोशिशों के बाद भी इसके सबूत तो मिल गए कि गाड़ी ये खुद चला रहा था लेकिन अब तक ये गिरफ्त से बाहर है ..पता नहीं कितनी पीकर और कितना बेलगाम होकर ये शख्स गाड़ी चला रहा था ? अब पता भी नहीं चलेगा।

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ग्यारह घरों के चिराग बुझ गए, गरीब परिवारों के बच्चों की ऐसी मौत हुई, जिसके बारे में सोचकर जी सिहर उठता है। दारु का नशा भी उतर चुका होगा, sushil Baitha1जिस्म में अल्कोहल होने का सबूत भी पानी हो चुका होगा। अब इसे बचाने की कोशिशें होंगी, उसी तरह से, जैसे आजतक होती रही है। 

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होशो हवास में गाड़ी चला रहे एक शख्स से हुए एक्सीडेंट साबित कर ये तो अब बच जाएगा लेकिन वो बच्चे तो अब वापस नहीं लौटेंगे, Biharजिंदगी भर रोते -कलपते रहेंगे, उन परिवारों के लोग, जिनके बच्चे दुनिया में नहीं रहे। 

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‘नशामुक्त’ बिहार के नशेड़ी नेताओं को अब तक नकेल नहीं लगी है, नशामुक्ति के नाम पर गरीब -कमजोर लोग पकड़े जाते हैं और ऐसे ही गरीबों के बच्चों नशेबाज नेताओं की गाड़ियों से कुचले जाते हैं । ( नोट – बच्चों की इस कदर मौत पर भी जिन्हें गुस्सा न आए , जिनकी आखें गीली न हों , गुस्सा मनोज बैठा पर होने की बजाय इस पोस्ट पर हो, उनके लिए मैं इतना ही कहूंगा कि आप भक्ति की चरम अवस्था को प्राप्त कर चुके हैं। मरने वाले की कराह और मासूम की मौतें भी आपको परेशान नहीं करती तो बजाते रहिए झाल -मजीरा।)

(चर्चित वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)