दीवार रिटर्न्स : ‘मोदी का मास्टर स्ट्रोक बाकी है, जब वह बोलेंगे- मेरे पास वोट है’

चुनाव से पहले नरेन्द्र “विजय” मोदी ताल ठोककर हर घोटाले, हर घटना, हर मामले पर दमदार तरीके से अटैक पर अटैक कर देते थे।

New Delhi, Feb 27 : मित्रों, 2014 से पहले नरेन्द्र मोदी जी “विजय” की भूमिका में थे। पीएम बनने के बाद “इंसपेक्टर रविवर्मा” की भूमिका में आ गये हैं। अपने समाज की विंडबना और कड़वी सच्चाई है कि यहां सिस्टम का खिलाफत करने वाले विजय के डायलॉग पर अधिक ताली बजती है। वही नायक होता है है। रवि वर्मा नहीं। जो चुनाव से पहले नरेन्द्र “विजय” मोदी ताल ठोककर हर घोटाले, हर घटना, हर मामले पर दमदार तरीके से अटैक पर अटैक कर देते थे, 50 करोड़ के गल्फ्रेंड से लेकर शहजादा जैसी बात कहते थे तो वैसी ही तालियां पड़ती थी जैसा विजय के डायॅलॉग पर पड़ती थी जब वह कहते थे-“मैं अब भी फेंके हुए पैसे नहीं उठाता।”

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लेकिन इंस्पेक्टर नरेन्द्र “रवि” मोदी ने पीएम बनने के बाद ऐसी आजादी नहीं उठा सकते हैं। अब देखये पीएनबी घोटाले पर चारों तरफ से घिरे हैं लेकिन अब वह बस ऐसे ही नहीं निकल सकते हैं। अब उन्हें बच कर कहना होगा। संभल कर। रैली की बात छोड़ दें तो उन्हें बतौर पीएम उसी सीमाओं से गुजरना पड़ता है जैसा डॉ मनमोहन सिंह को। अभी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ-मुद्दों पर मौनमोहन सिंह से मौन मोदी। वे रैंबो नहीं बन सकते। डायलॉग नहीं मार सकते। ठीक घर के मुखिया की तरह जिसे कई बार मजबूरियों के कारण चुप रहना पड़ता है। लेकिन इस चुप्पी में कमजोर से अधिक घर चलाने की जिम्मेदारी होती है। लेकिन घर के लोग उसकी जिम्मेदारी को उसकी कमजोरी समझते हैं। उसका मजाक उड़ाते हैं।

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ऐसे में भारतीय राजनीति में विजय की जगह खाली थी। चूंकि आसपास कोई विजय नहीं था, मोदी जी को दिक्कत नहीं होती थी। लेेकिन अब राहुल “विजय” गांधी डायलॉग मारना सीखने लगे हैं। जब भी मौका मिलता है, डायलाग मार देते हैं। pm modi rahulआज भी घोटालों पर राहुल ने कहा -“मोदी जी, जन-धन लूट योजना चल रही है।” इसपर तालियां पड़ती है। उनके ट्वीट क असर अब पीएम मोदी से अधिक हो रहा है। ऐसे आंकड़े आ रहे हैं। भारतीय पब्लिक को डायलॉग पसंद है। राहुल दिनों दिन विजय का स्पेस ले रहे हैं।

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नरेन्द्र “रवि वर्मा”मोदी और राहुल “विजय” गांधी की इस लड़ाई में अभी मोदी का मास्टर स्ट्रोक बाकी है जब वह बोलेंगे- “मेरे पास वोट है।” pm modi rahulउसके बाद राहुल “विजय” गांधी क्या जनता के पास जाकर- “आज ख़ुश तो बहुत होगे तुम. देखो जो आज तक तुमसे संपर्क नहीं , जिसने आज तक तुम्हारे सामने सर नहीं झुकाया… जिसने आज तक कभी तुम्हारे सामने हाथ नहीं जोड़े …वो आज तुम्हारे सामने हाथ फैलाये खडा है” तो क्या तब जनता उस “विजय” गांधी के लिए ताली बजाएगी।
देखते रहें दीवार रिटर्नस। मई 2019

(वरिष्ठ पत्रकार नरेन्द्र नाथ के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)