अब मोहम्मद अली जिन्ना के मुरीद हुए फारूख अब्दुल्ला, क्यों नहीं जाते पाकिस्तान ?
नेशनल कांफ्रेंस के मुखिया और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला अब मोहम्मद अली जिन्ना के मुरीद हो गए हैं। जानिए जरा कैसे ?
New Delhi Mar 05 : फारूख अब्दुल्ला किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। विवादित बयानों के मामले में उन्हें बेताज बादशाह कहा जा सकता है। नेशनल कांफ्रेंस के मुखिया और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला एक बार फिर विवादित बयान दिया है। फारूख अब्दुल्ला मोहम्मद अली जिन्ना के मुरीद हो गए हैं। उनके विवादित बयान के बाद सोशल मीडिया पर अब लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर फारूख अब्दुल्ला साहब पाकिस्तान क्यों नहीं चले जाते। अगर उन्हें पाकिस्तान से इतनी ही मोहब्बत है तो उन्हें वहां की नागरिकता लेकर इस्लामाबाद या फिर लाहौर में बस जाना चाहिए। दरअसल, फारूख अब्दुल्ला का मानना है कि मोहम्मद अली जिन्ना नहीं चाहते थे कि हिंदुस्तान का बंटवारा हो और पाकिस्तान बने। फारूख कहते हैं कि देश के बंटवारे और पाकिस्तान बनने के लिए जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल और मौलाना आजाद जिम्मेदार हैं।
इन्हीं तीनों नेताओं की वजह से पाकिस्तान का निर्माण हुआ और आज देश कश्मीर की समस्या से जूझ रहा है। वाकई उनका ये बयान काफी हैरान करने वाला है। इतिहास गवाह है कि मोहम्मद अली जिन्ना ने कांग्रेस पार्टी पर मुसलमानों के प्रति उदासीन रवैया अख्तियार करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस छोड़ दी थी और 1946 में लाहौर प्रस्ताव के तहत मुसलमानों के लिए अलग राष्ट्र का लक्ष्य निर्धारित कर दिया था। 1946 में इसका असर भी दिखा। ज्यादातर मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर मुस्लिम लीग की जीत हुई। जिसके बाद जिन्ना ने पाकिस्तान की आजादी का मूवमेंट और तेज कर दिया था। हर कोई ये कहता है और इतिहास में भी ये बात दर्ज है कि जिन्ना और नेहरू के अपने राजनैतिक लालच के चक्कर में देश का बंटवारा हुआ। लेकिन, फारूख अब्दुल्ला अब नया इतिहास लेकर सामने आए हैं और कहते हैं कि मोहम्मद अली जिन्ना तो चाहते ही नहीं थे कि पाकिस्तान का निर्माण हो।
फारूख अब्दुल्ला दावा करते हैं कि मोहम्मद अली जिन्ना तो सिर्फ एक कमीशन बनवाने के पक्ष में थे जिसमें मुसलमानों, सिखो और अन्य अल्पसंख्यकों के लोगों को कुछ विशेष अधिकार देने की बात थी। फारूख अब्दुल्ला का इतिहास कहता है कि जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल और मौलाना आजाद ने उस वक्त कमीशन की शर्तों को ही मानने से इनकार कर दिया था। अब्दुल्ला का कहना है कि कमीशन में ये बातें कहीं गई थीं हिंदुस्तान का बंटवारा ना किया जाए बल्कि यहां पर मुसलमानों को अलग से लीडरशिप की जगह दी जाए। उनके मुताबिक जिन्ना को कमीशन की शर्त मंजूर थी लेकिन, पंडित जवाहर लाल, मौलाना आजाद और सरदार वल्लभ भाई पटेल को ये मंजूर नहीं था। जिसके बाद मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान की मांग पर अड़ गए थे। यानी फारूख अब्दुल्ला कहना चाहते हैं कि बंटवारे के लिए जिन्ना कतई जिम्मेदार नहीं हैं।
फारूख अब्दुल्ला का कहना है कि अगर उस वक्त कांग्रेस पार्टी के इन तीनों ही नेताओं ने ये गलती ना की होती तो आज ना तो हिंदुस्तान का बंटवारा हुआ होता और ना ही पाकिस्तान और बांग्लादेश बनता। इन नेताओं की गलती की वजह से ही आज हर कोई परेशान है। उन्होंने कहा कि उस वक्त बोया गया नफरत का बीज हम आज भी काट रहे हैं। फारूख अब्दुल्ला कहते हैं कि आज देश को जाति धर्म के नाम पर बांटा जा रहा है। लेकिन, इन सब के बीच सोशल मीडिया पर लोगों ने फारूख के इस जिन्ना प्रेम पर उनकी खिंचाई करनी शुरु कर दी है। सोशल मीडिया पर सक्रिय यूजर्स का कहना है कि आप जैसे लोग ही कश्मीर में रह कर पाकिस्तान के गुणगान करते हैं। आप जैसे लोगों को तो पाकिस्तान चले जाना चाहिए। इससे पहले भी फारूख कई बार कश्मीर और पाकिस्तान को लेकर भी विवादित बयान दे चुके हैं। सुंजवान अटैक के दौरान भी इन्हीं की पार्टी के एक विधायक ने विधानसभा के भीतर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए थे। जिस पर अब तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है।