New Delhi, Mar 14 : महाराष्ट्र के इस किसान आंदोलन ने बहुत कुछ सिखाया है। पहला तो ये कि हक के लिए आंदोलन कैसे करें। 40 हजार से ज्यादा किसान थे, लेकिन न कोई उत्पात, न कोई हिंसा। 180 किलोमीटर पैदल चलकर नासिक से मुंबई पहुंचे, लेकिन रास्ते भर कोई शोरगुल नहीं, न कोई हंगामा। इंसानियत के इतने कायल कि सोमवार की सुबह छात्रों को इम्तिहान के लिए स्कूल जाने में दिक्कत ना हो, इस नाते सुबह का पहले से तय सफर रात में ही तय कर लिया।
न आराम किया और न ही कायदे से खाया-पिया। स्वाभिमान इतना कि सरकार ने उन्हें सोमैया मैदान से आजाद मैदान तक जाने के लिए 72 बसें दी थीं,
किसानों के इस आंदोलन को लाल-भगवा चश्मे से न देखें। कई वामपंथी साथी इसे वामपंथ की ताकत कह रहे है, ये अन्नदाता को दी गई सबसे बुरी गाली है।
बतौर पत्रकार मैंने देखा है आंदोलन के नाम पर अराजकता फैलाने वालों को। ट्रेन के डिब्बे और बसें फूंकने वालों को, सड़क पर टायर जलाकर उत्पात मचाने वालों को।
आईपीएल 2023 में तिलक वर्मा ने 11 मैचों में 343 रन ठोके थे, पिछले सीजन…
ज्योति मौर्या के पिता पारसनाथ ने कहा कि जिस शादी की बुनियाद ही झूठ पर…
अजित पवार ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार पर निशाना साधते हुए कहा आप 83 साल…
धतूरा शिव जी को बेहद प्रिय है, सावन के महीने में भगवान शिव को धतूरा…
भारत तथा वेस्टइंडीज के बीच पहला टेस्ट मैच 12 जुलाई से डोमनिका में खेला जाएगा,…
मेष- आज दिनभर का समय स्नेहीजनों और मित्रों के साथ आनंद-प्रमोद में बीतेगा ऐसा गणेशजी…
Leave a Comment