मोदी जी, आम जनमानस सबकुछ सह सकती है, लेकिन एरोगेंस और दंभ नहीं

यह भी सही है कि पिछले एक साल में लोकसभा की 8 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं जिनमें सभी में बीजेपी हारी है।

New Delhi, Mar 16 : बार-बार कह रहा हूं कि बीजेपी और मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ा बोझ उनके नेता-मंत्री के साथ उनके उद्दंड, घमंड और बुल्डोज़ी सपोर्टर्स बन रहे हैं। अब यह रवैया भारी पड़ रहा है। बिहार-यूपी में लोकसभा की तीनों सीट पर हार इसका संकेत है।
भारतीय जनमानस की आम पहचान है कि वह सब कुछ सह सकता है, एरोगेंस और दंभ नहीं। इंदिरा गांधी को 300 से अधिक सीट देकर दो साल बाद सड़क पर खड़ा कर दिया। राजीव गांधी को 400 से अधिक सीट देकर सड़क पर खड़ा कर दिया।

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बस इस कारण कि उन्होंने खुद को देश से ऊपर समझ लिया। खुद को ही देश समझ लिया। बीजेपी नेता और उनके सपोर्टर भी ऐसा संदेश देते हैं कि उनका होना ही एहसान है। वही देश हैं। उनका विरोध देश का विरोध है। मानो वे नहीं होते तो हम लोग कहीं जंगल में कीड़े मकोड़े की तरह थे। जो कुछ हुआ है वह तो बस 2014 के बाद ही हुआ है। सिर्फ वही संत है बाकी शैतान। सिर्फ वही इमानदार हैं, बाकी भ्रष्ट। जो उनका सपोर्ट नहीं करे वह जेहादी। जबकि सब काम ये वही कर रहे हैं जो पुरानी सरकार काम करती रही थी। सब तिकड़म वही। वही जातिवाद। वही करप्शन। वही राजनीति।

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बस संजोग कि राजनीतिक जीत मिलती जा रही थी। लेकिन यह भी सही है कि पिछले एक साल में लोकसभा की 8 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं जिनमें सभी में बीजेपी हारी है। इनमें 6 सीट तो ऐसी थी जिसे 2014 में बीजेपी ने बड़ी मार्जिन से जीती थी। हालत यह हो रही है कि 282 लोकसभा सीट जीतने वाले बीजेपी इसी टर्म में पूर्ण बहुमत से कम होने के खतरे में आ गयी है। अगले महीने दो और सीट पर चुनाव होने वाला है। 2014 के बाद बीजेपी लगातार वही चुनाव जीत रही है जहां पार्टी पहले दूर तक सत्ता में नहीं थी। 2014 के बाद सिर्फ दो राज्यों में चुनाव हुए हैं जहां बीजेपी पहले से सत्ता में थी। एक गोवा में जहां बीजेपी चुनाव में हार गयी। अलग बात की बाद में सरकार बनी। और दूसरा गुजरात। जहां पीएम मोदी-अमित शाह का स्टेट रहने के बावजूद जीतने में पूरा तेल जल गया।

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मतलब जहां भी पहले से सत्ता में है वहां अब परेशानी हो रही है। याद रखें 2019 में जब चुनाव होगा तब महाराष्ट्र, बिहार, यूपी, राजस्थान, एमपी, हरियाणा जैसे बड़े राज्य ऐसे होंगे जहां उनकी सरकार रहेगी और अधिकतर लोकसभा सीटें वहीं है। योगी के गढ़ में हार में बीजेपी नेता और उनके सपोर्टर के लिए सही समय में आया एलार्म है। सुधारें। दूसरों को कोसने के बजाय जमीन पर ध्यान दें। उन्हें दूसरों को बुलडोज करने के लिए वोट नहीं मिला है। जिस गोरखपुर में बीजेपी को सबसे खराब दिनों में भी जीतने में कोई दिक्क्त नही हुई वहां हार बहुत कुछ कहती है। अभी वक्त है। कोर्स करेक्शन करे। यही जनता को जो दंभ को ध्वस्ता करना जानती है वही माफ करना भी जानती है। एक मौका भी देना जानती है।

(वरिष्ठ पत्रकार नरेन्द्र नाथ के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)