कांग्रेसी संस्कृति के करीब जा चुकी बीजेपी अपने गिरेबां में झांके, अभी समय है

यूपी उपचुनाव : कहां गया अमित शाह का बूथ मैनेजमेंट ? कार्यकर्ता अपने मतदाताओं को पोलिग बूथ तक लाने में क्यो नाकाम रहे ? 

New Delhi, Mar 16 : यूपी उपचुनाव में गोरखपुर और फूलपुर दोनों सीटों पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है। आपको बता दें कि इन दोनों सीटों को सीएम आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाग मौर्य ने खाली किया था। इस उपचुनाव में अघोषित बीजेपी-सपा गठबंधन ने जीत दर्ज की है। इस पर तमाम राजनीतिक विश्लेषक अपने तरीके से विश्लेषण कर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार पद्मपति शर्मा ने भी बीजेपी के इस चुनावी हार का विश्लेषण किया है, उन्होने इसे अहंकार और दंभ का हार बताया, उन्होने फेसबुक पर क्या लिखा है, शब्दशः पढिये…

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सरकार के कप्तान और उनके नायब दोनों की करारी शिकस्त को लेकर तरह तरह के कारण गिनाए जा रहे है. लेकिन असली वजह कोई नहीं बता रहा कि भाजपा तो मतदान वाले दिन ही हार चुकी थी जब उसका समर्थक वोट देने निकला ही नहीं. 37 और 48 प्रतिशत मतदान ने तय कर दिया था परिणाम. कहां गया अमित शाह का बूथ मैनेजमेंट ? amit shahकार्यकर्ता अपने मतदाताओं को पोलिग बूथ तक लाने में क्यो नाकाम रहे ? इसकी जिम्मेदारी किसी न किसी को लेनी ही होगी.

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आज की भाजपा की हालत 1971 की कांग्रेस की तरह हो चुकी है जब उसके कार्यकर्ता अहंकार से भर कर कहा करते थे, ” कुछ करने की जरूरत क्या है , amit shahइंदिरा जी ( श्रीमति इंदिरा गाँधी ) हैं न “. आज भाजपायी यही दावा करते हैं, ” मोदी जी है न “.

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भाजपायी यह भी भूल चुके है जिस सोशल इंजीनियरिंग की अवधारणा के जनक उसके कभी बतौर ‘चाणक्य’ की पहचान रखने वाले गोविंदाचार्य भले ही वनवास में हों मगर उनका ही वह फार्मूला सपा-बसपा के गठजोड़ ने कितनी चतुरायी से लागू किया, amit shahयह काबिल-ए-तारीफ रहा. कांग्रेसी संस्कृति के करीब जा चुकी भाजपा को अब अपने गिरेबान में झाँकने की जरूरत है. मोदी जी भगवान नहीं, वह भी हाड माँस के ही बने हैं.

(वरिष्ठ पत्रकार पद्मपति शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)