गोरखपुर-फूलपुर : क्या भाजपा उम्मीदवारों की हार का यह भी एक कारण रहा ?
योगी सरकार के नकल विरोधी अभियान की आलोचना करते हुए अखिलेश ने यह भी कहा कि ‘90 प्रतिशत लोगों ने अपने छात्र जीवन में परीक्षा में थोड़ी -बहुत पूछताछ की होगी।
New Delhi, Mar 17 : गोरखपुर और फूलपुर में बीजेपी को मिली करारी शिकस्त के बाद तमाम राजनीतिक विश्लेषक तरह-तरह से इसका विश्लेषण कर रहे हैं। कोई इसी यूपी सरकार द्वारा किये गये काम का ईनाम बता रहा है, तो कोई जातिय समीकरण को कारण बता रहा है। देश के चर्चित वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर ने भी गोरखपुर चुनावी समीकरण पर कुछ लिखा है। आगे पढिये उन्होने इस हार का कैसे विश्लेषण किया है।
पूर्व मुख्य मंत्री अखिलेश यादव ने हाल में कहा कि परीक्षा में थोड़ा बहुत पूछ लेना नकल नहीं।
योगी सरकार के नकल विरोधी अभियान की आलोचना करते हुए अखिलेश ने यह भी कहा कि ‘90 प्रतिशत लोगों ने अपने छात्र जीवन में परीक्षा में थोड़ी -बहुत पूछताछ की होगी। मैंने भी की है।’
इस बयान के बाद यह सवाल उठता है कि क्या फूलपुर-गोरखपुर लोस उप चुनाव पर भी सरकार के नकल विरोधी कदमों का असर पड़ा है ? क्या भाजपा उम्मीदवारों की हार का यह भी एक कारण रहा ?
1992 में कल्याण सिंह सरकार ने नकल विरोधी कानून बनाया था। कानून बहुत कड़ा था।
मुलायम सिंह यादव ने 1993 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इसे एक बड़ा मुद्दा बनाया।
उसका चुनावी लाभ भी सपा को मिला। कल्याण सिंह की पार्टी सत्ता से बाहर हो गयी।
इन दिनों पूरे देश में नकल माफिया सक्रिय हैं। इससे प्रतिभाओं का बड़े पैमाने पर हनन हो रहा है।
फिर भी देश की अधिकतर सरकारें कारगर कार्रवाई नहीं कर पा रही हैं।
क्योंकि उन्हें चुनाव हारने का डर है। कहां जा रहा है अपना देश ?