यदि सपा-बसपा मिलकर चुनाव लड़ेंगी तो 2019 में यूपी में बीजेपी को मिलेगी सिर्फ इतनी सीटें !

बिहार के हाल के उप चुनावों ने यह संकेत दिया है कि यह राज्य 2019 में राजग को खुश कर सकता है।

New Delhi, Mar 18 : यदि सपा और बसपा मिल कर चुनाव लड़ेंगी तो 2019 में उत्तर प्रदेश में लोक सभा की 80 में से सिर्फ 23 सीटें ही बीजेपी को मिल पाएंगी। हाल के उप चुनावों का यही संदेश है। चुनावी आंकड़ों के गहन विश्लेषण से यही तस्वीर बनती है। पर, बिहार के हाल के उप चुनावों ने यह संकेत दिया है कि यह राज्य 2019 में राजग को खुश कर सकता है। ऊपर से देखने से तो यही लगता है कि बिहार की तीन सीटों में से दो सीटों पर राजद को जीत मिली है।

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पर विधान सभा क्षेत्रवार विश्लेषण से दूसरी ही तस्वीर सामने आती है। बिहार में अररिया लोक सभा और जहानाबाद तथा भभुआ विधान सभा क्षेत्रों में उप चुनाव हुए थे। इन क्षेत्रों में पिछली बार जिस दल को सफलता मिली थी,उन्हीें दलों को इस बार भी मिली। अररिया लोक सभा क्षेत्र के नीचे पड़ने वाले छह विधान सभा क्षेत्रों में से इस उप चुनाव में चार में राजद हार गया है। दो मुस्लिम बहुल क्षेत्रों यानी अररिया और जोकी हाट में राजद को इतने अधिक वोट मिल गए कि राजद उम्मीदवार लोक सभा पहुंच गया।वहां आक्रामक वोटिंग हुईं। याद रहे अररिया विधान सभा क्षेत्र में मुस्लिम आबादी 59 प्रतिशत और जोकी हाट में 70 प्रतिशत है।

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यानी बिहार के जिन चुनाव क्षेत्रों में यादव -मुस्लिम की मिली -जुली आबादी निर्णायक है, वहां से राजद को अब भी उम्मीद बनी हुई है। याद रहे कि भभुआ विधान सभा क्षेत्र में बीजेपी को पिछली बार की अपेक्षा इस उप चुनाव में अधिक वोट मिले हैं।भाजपा उम्मीदवार की जीत हुई है। उधर जहानाबाद व अररिया में राजद विजयी रहा। यानी यदि हाल के उप चुनावों को विधान सभा चुनाव क्षेत्रों की दृष्टि से देखें तो बिहार की इन आठ विधान सभा सीटों में से पांच में राजग की जीत हुई है। पर ,उत्तर प्रदेश में राजग के बारे में फिलहाल यही कहा जा सकता है कि ‘गईल गईया पानी’ में ।

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अब नरेंद्र मोदी तो इंदिरा गांधी हैं नहीं जो 1969 की तरह रौद्र रूप दिखाएंगे ! इंदिरा गांधी ने तब बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर के और राजाओं के प्रिवी पर्स-विशेषाधिकर समाप्त करके पांसा पलट दिया था। वैसे भी न तो मोदी जी, इंदिरा जी की तरह एकाधिकारवादी हैं और न ही भाजपा पर नरेंद्र मोदी वैसा वर्चस्व है जैसा इंदिरा जी का अपनी पार्टी पर था। वैसे आज भी बैंक-प्रिवी पर्स जैसे करने को तो इस देश में कई काम बाकी हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)