बिहार और बंगाल का ट्रेड मार्क बन चुका ‘नागिन डांस’ अब इंटरनेशनल ब्रांड बन चुका है

जल्दी ही ऑक्सफ़ोर्ड की डिक्शनरी में नागिन डांस शब्द को भी शामिल कर लिया जाएगा इसके बाद मैं भी उस ग्लानि और अपराधबोध से बाहर आ जाऊंगा

New Delhi, Mar 18 : नागिन डांस अब इंटरनेशनल ब्रांड बन गया है। अंतरराष्ट्रीय नृत्यांगना शोभना नारायण से एक बार बातचीत हो रही थी तो मैंने जिज्ञासावश और मजाक में ही नागिन डांस के बारे पूछा था। उन्होंने बड़ी गंभीरता से इस विधा का समर्थन किया था और सवाल पूछने के अपने उद्देश्य और नीयत पर मैं खुद ग्लानि महसूस कर रहा था। श्रीलंका में तिकोणीय क्रिकेट के दौरान बांग्लादेश के खिलाड़ियों ने जिस तरह नागिन डांस का प्रदर्शन किया उसके बाद तो बिहार के नर्तकों की बल्ले बल्ले हो गयी।

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जिस नृत्य का मजा वे केवल शादी विवाह में लिया करते थे वह सर्वकालीन हो गया। अब क्रिकेट मैच में भी इस कला का सार्वजनिक प्रदर्शन का मौका मिलेगा। बिहार झारखंड में दारू पीकर इस हुनर का सरेसडक परफॉर्म करके वाहवाही लूटने वाले हुनरमंदों को अब बड़ा कैनवास मिल गया है। दो दिनों से इस पर शोध कर रहा था। जो जानकारी मिली है उसके हिसाब से इस विधा का अविष्कार हरियाणा इलाके में हुआ था। लेकिन धीरे धीरे यह बाकी देश मे तो फैला लेकिन हरियाणा में ही लोप होता गया। राजस्थान में लोककला का एक रूप भी है नागिन डांस। लेकिन सबसे अधिक फला फूला बंगाल में। तब बंगाल और बिहार एक हुआ करते थे।

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बिहार में इसे लोक कला से अधिक मौका कला बना दिया गया। शादी ब्याह में जब मुफ्त के शराब का नशा जोर मारकर आयोजको के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन के लिए मजबूर करता है तब नागिन डांस पूरे शबाब पर होता है। कंक्रीट का सड़क हो या कंटीली राह नागिन डांस के कलाकारों के आड़े कोई बिसात नही रखता। फ़िल्म शोले में धर्मेंद्र की जान बचाने के लिए बसंती पत्थर और टूटे शीशों पर नाचती है। नागिन डांस का भी जुनून ऐसा ही होता है। बहरहाल बिहार और बंगाल का ट्रेड मार्क बन चुका यह नृत्य बंगला देश मे धूम मचाये हुए है। वैसे कला मर्मज्ञ बताते हैं कि बंगाल और बंगला देश के लोककला एक जैसे हैं इसलिए नागिन डांस वहां का भी धरोहर है। श्रीलंका में इसका विस्तार करने का श्रेय मुशफिकुर रहीम को जाता है। श्रीलंकाई खिलाड़ी अकिला धनंजय मुश्फिकुर के पहले शागिर्द हुए । अकिला के हुनरबंदी को नीचा दिखाने के लिए बंगला देश के बाकी खेल कलाकार ज्यादा ही जोश खरोश से मैदान में उतर गए।

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वैसे भारतीय सिनेमा जगत ने नागिन नृत्य पर बहुत से प्रयोग किये हैं। मन डोले, मेरा तन डोले वाले नागिन से नगीना तक इस नृत्य के अलग अलग आयाम देखने को मिले हैं। गाइड में वहीदा रहमान फिर रीना राय और फिर श्रीदेवी ने नागिन डांस को और ग्लैमरस बनाया। दरअसल इसके अविष्कार के पीछे कोई लय ताल, स्टेपिंग, हाव भाव का कोई व्याकरण है या नही इसका पता नही चल सका। शायद यह सद्यः जात विधा रही हो जो आगे चलकर एक संगठित कला के रूप में विकसित हुआ। सुनील गावस्कर ने इस डांस को मजाक ही मजाक में क्रिकेट का ट्रेंड मार्क बनाने की वकालत की है। अगर ऐसा हुआ तो जल्दी ही ऑक्सफ़ोर्ड की डिक्शनरी में नागिन डांस शब्द को भी शामिल कर लिया जाएगा इसके बाद मैं भी उस ग्लानि और अपराधबोध से बाहर आ जाऊंगा जो मैंने शोभना नारायण से बहुत हल्के में सवाल पूछकर महसूस किया था। जय भारत, जय नागिन डांस !

(वरिष्ठ पत्रकार योगेश किसलय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)