बिहार पॉलिटिक्स में ‘सुनामी’ की आहट, नीतीश-कुशवाहा की मुलाकात दे रहे नये संकेत

सरकारी कामकाज की बातों के बाद दोनों नेताओं के बीच राजनीतिक बातचीत भी हुई। नीतीश ने कुशवाहा को राजनीतिक भटकाव छोड़कर स्थिर होने की सलाह दी।

New Delhi, Mar 25 : बिहार में नये राजनीतिक ताने -बाने की आहट सुनाई पड़ रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आरएलएसपी प्रमुख और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की मुलाक़ात से राजनीतिक कयासबाजी शुरू हो गई है। नीतीश इधर लगातार अलग -अलग पार्टियों के प्रमुखों से मिल रहे हैं। हाल ही में एलजेपी प्रमुख रामविलास पासवान और उनके पुत्र चिराग पासवान से मुलाक़ात की थी। फिर जन अधिकारी पार्टी के प्रमुख पप्पू यादव से मुलाक़ात की। इस क्रम में ताजा मुलाक़ात उपेंद्र कुशवाहा से हुई। दोनों नेताओं की मुलाकात मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर हुई। जानकारी के मुताबिक, दोनों नेताओं के बीच केंद्रीय विद्यालय और शिक्षा के मुद्दे को लेकर बातचीत हुई है। उपेंद्र कुशवाहा की मुलाक़ात को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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सूत्रों के मुताबिक सरकारी कामकाज की बातों के बाद दोनों नेताओं के बीच राजनीतिक बातचीत भी हुई। नीतीश ने कुशवाहा को राजनीतिक भटकाव छोड़कर स्थिर होने की सलाह दी। nitish-kumarप्रकारांतर से इसे जेडीयू में शामिल होने का आमंत्रण माना जा रहा है।

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कुशवाहा नीतीश के विरोधी माने जाते हैं। जेडीयू से अलग होकर ही उन्होंने अपनी पार्टी बनाई थी। वे समता पार्टी के समय से नीतीश के साथ थे। लेकिन बाद में उनकी खटपट हो गई। नीतीश जब एनडीए से बाहर गए तब कुशवाहा एनडीए का हिस्सा बने थे। बाद में नीतीश पुनः एनडीए में आ गए। लेकिन दोनों के रिश्ते सहज नहीं हो पाये। हाल के दिनों में कुशवाहा लगातार नीतीश की कार्यशैली और बिहार सरकार के कामकाज पर सवाल उठाते रहे हैं। कुछ माह पूर्व उन्होंने बिहार में शिक्षा में सुधार को लेकर मानव श्रृंखला बनाई थी। इसमें सभी पार्टियों को आमंत्रित किया था ,लेकिन सिर्फ आरजेडी ही उसमे शामिल हुई। आरजेडी की ओर से लगातार यह दावा किया जाता रहा है कि कुशवाहा एनडीए छोड़कर महागठबंधन में आने वाले हैं। हालांकि कुशवाहा ने इसका खंडन कर दिया है। लेकिन उनके बयानों से एनडीए के प्रति उनकी तल्खी सामने आती रही है।

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ऐसे में इस मुलाक़ात के गंभीर राजनीतिक निहितार्थ से इंकार नहीं किया जा सकता है। पासवान से मुलाक़ात के बाद नीतीश ने धार्मिक उन्माद फैलानेवालों के खिलाफ सख्त बयान जारी किया था। प्रकारांतर से इसे बीजेपी नेताओं के खिलाफ माना गया। केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता गिरिराज सिंह के बयानों और भागलपुर मामले में केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के पुत्र की संलिप्तता के आरोपों से बिहार सरकार खासकर मुख्यमंत्री परेशान हैं। विपक्ष इसे मुद्दा बनाकर लगातार विधानसभा में हंगामा करता रहा है। इस परिपेक्ष्य में यह मुलाकात से कई तरह की सुगबुगाहटें शुरू हो गई हैं। इसे एनडीए के अंदर एक नए ध्रुवीकरण का प्रयास माना जा रहा है।

(वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)