हनुमानजी की तस्वीर पोस्ट कर कन्हैया कुमार ने कसा तंज, सोशल मीडिया पर वायरल

वही लोग जो सरकारी अस्पतालों की सुविधाएँ घटाकर बच्चों को ऑक्सीजन की कमी से मरने देते हैं और धर्म के नाम पर तमाशा करने पर करोड़ों रुपये खर्च कर देते हैं।

New Delhi, Apr 01 : पिछले साल हमारा देश 822 बार सांप्रदायिक दंगों की आग में झुलसा। जनकवि विद्रोही के शब्दों में कहूँ तो “ये आग लगी नहींं, बल्कि लगाई गई है”। कौन है इस आग के पीछे? वही लोग जो भारत को हथियारों का सबसे बड़ा ख़रीदार बनाते हैं और संतोषी को भूख से मरने पर मजबूर कर देते हैं। वही लोग जो सरकारी अस्पतालों की सुविधाएँ घटाकर बच्चों को ऑक्सीजन की कमी से मरने देते हैं और धर्म के नाम पर तमाशा करने पर करोड़ों रुपये खर्च कर देते हैं। वही लोग जो शिक्षा के अधिकार की आवाज़ उठाने पर लड़कियों को सड़क पर अधनंगा करवा देते हैं और भ्रष्टाचारियों को अरबों रुपये लेकर देश से भाग जाने देते हैं।

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2017 में सबसे ज़्यादा दंगे यूपी में हुए। वहाँ किसकी सरकार है? स्वास्थ्य सेवा के मामले में यूपी में सबसे बदतर हालात हैं। इस राज्य को गंदी राजनीति ने दंगों के मामले में आत्मनिर्भर बना दिया है। यहाँ से दंगाई एक्सपोर्ट करने वाले संगठन देश के कई हिस्सों में सांप्रदायिकता का ज़हर बो रहे हैं। जब राजनीति शिक्षा की सुपारी लेने लगे तब दंगाइयों को ही तो एक्सपोर्ट किया जाएगा! बिहार और बंगाल में जहाँ-जहाँ दंगे हो रहे हैं, वहाँ के लोगों ने बताया कि हिंसा करने वाले अधिकतर लोग बाहरी हैं। जिस रामनवमी को श्रद्धालु जनता “ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियाँ” और “पायो जी मैंने राम रतन धन पायो” जैसे भजनों से जोड़कर देखती आई है, उसे नफ़रत के सौदागरों ने “पाकिस्तान में भेजो या कत्लेआम कर डालो” जैसे बोलों वाले गानों से जोड़ना शुरू कर दिया है।

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लेकिन हमें निराश होने की ज़रूरत नहीं है। इस देश की मिट्टी के पास नफ़रत की राजनीति का हमेशा से जवाब रहा है। aurangabadपश्चिम बंगाल के आसनसोल ज़िले के इम्तदुल्लाह रशीद ने अपने बेटे के हत्यारों को माफ़ कर दिया। उन्होंने न केवल अपने इलाके में दंगों को रोक दिया, बल्कि पूरे देश को यह संदेश दिया कि प्रेम ही एकमात्र समाधान है। उनके जज़्बे को मैं सलाम करता हूँ।

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हनुमानजी की तस्वीर देखिए। जो लोग रामलीला में बच्चों को अपनी प्यारी हरकतों से गुदगुदाने वाले हनुमानजी की जगह ग़ुस्से से भरे हनुमानजी की तस्वीर लोगों के ज़ेहन में डाल रहे हैं, उन्हें हमें सफल नहीं होने देना है। हमें यह बात याद रखनी है:
“हिंद देश के निवासी सभी जन एक हैं,
रंग-रूप, वेश, भाषा चाहे अनेक हैं।
बेला, गुलाब, जूही, चंपा, चमेली,
प्यारे-प्यारे फूल गूँथे माला में एक हैं।”

(छात्रनेता कन्हैया कुमार के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)