New Delhi, Apr 02 : 16 जून 2016 को केंद्रीय बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि इस देश में कारखानों के साथ-साथ बड़े लोग ही बिजली की अधिक चोरी कर रहे हैं। बिजली कर्मचारियों व अधिकारियों से उनकी साठगांठ रहती है। गोयल राज्यों के बिजली मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने गुजरात का उदाहरण दिया था। यह भी कहा था कि बिजली कंपनियों को सन 2002 में 2500 करोड़ रुपए का सालाना घाटा हो रहा था। मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ ही समय में उसे मुनाफे में बदल दिया।
वहां बिजली चोरी के आरोप में भाजपा कार्यकत्र्ता भी जेल भेजे गए थे। एक लाख एफ.आई.आर. दर्ज हुए थे।
इस बीच चोरी कितनी कम हुई ? यदि नहीं तो चोरी रोकने में केंद्र व राज्य सरकरों को क्या -क्या दिक्कतें आ रही हैं ?
दरअसल बिजली चोरी का मामला विजय माल्या -नीरव मोदी बैंक लूट कांड की तरह ही है।
बल्कि उससे भी अधिक गंभीर।
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