‘हम अपने हीरो और अपने विलेन अपनी सहूलियत के हिसाब से चुनने लगे हैं’

हीरो (कथित) सलमान खान को 5 साल की सज़ा हुई, प्रतिक्रियाओं को देख सुनकर हैरान रह गया।

New Delhi, Apr 06 : मैं बतौर एक्टर (हीरो) सलमान का प्रशंसक कभी नहीं रहा, पर जितना कुछ भी सलमान के बारे में जाना और पढ़ा वो उन्हें एक अच्छे इंसान के तौर पर रखता रहा है। मैं नहीं कह सकता वो कितना सही या गलत रहा है।
सलमान को 5 साल की सज़ा हुई। प्रतिक्रियाओं को देख सुनकर हैरान रह गया।
एक शख्स ने कहा इतना रेपिस्ट घूम रहा है। उसको कुछ नहीं और इस बेचारे को 5 साल की सज़ा दे दी। हद अंधेरगर्दी है।

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एक और कॉमेंट आया , आह बड़ा गलत हुआ। अरे 5 साल से कम दे देता। ताकि बेल मिल जाती।एक साब तो अड़ गए बिदककर बोले जज गधा है। टीवी पर एक और पंखी अवतरित हुईं। उनसे रिपोर्टर ने हिट न रन की चर्चा कर दी। वो उत्साहित भयीं बोलीं अर्रे मैं तो कहती हूँ वो सच था तो भी उसका काम देखकर उसे छोड़ देना चाहिए। किसी ने कहा अर्रे इतना इतना क्राइम होता है, ठीक है गड़बड़ किया माफ कर देना चाहिए।
इनमें से ज़्यादातर वो लोग हैं जो सबके लिए समान न्याय व्यवस्था की बात करते हैं।

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अब जरा दूसरा पक्ष देखिए। जस्टिस खत्री जिन्होंने अपना काम ईमानदारी से किया उनका कोई जिक्र नहीं। जो बिना मीडिया के दबाव , सलमान की फैन फॉलोइंग के दबाव में आये , या सोचे कि उनको कुछ अनपढ़ लोग (कम से कम उन्हें तो मैं अनपढ़ ही कहूंगा जिन्हें कानून का क नहीं मालूम और झटके में कह देते हैं गलत फैसला है) जी भर के गरियाएँगे क्वांटम ऑफ सेंटेंस देते हैं।
ऐसे लोगों से क्या उम्मीद करें जिनके लिए पर्दे का हीरो असली है हीरो है और ईमानदार फैसला देने वाला विलेन।

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हां एक बात और। कल सलमान को हाइकोर्ट से बेल मिल सकती है, इतना ही नहीं वो हाइकोर्ट में अपील कर बरी भी हो सकते हैं। पर याद रखिये इससे जस्टिस खत्री दोषी नहीं हो जाएंगे। salman-khan0जो तथ्य उनके सामने आये जो तर्क उनके सामने रखे गए उसके मुताबिक उनका फैसला बिल्कुल दुरुस्त रहेगा।
लेकिन हमारा फैसला क्या? क्योंकि हम अपने हीरो और अपने विलेन अपनी सहूलियत के हिसाब से चुनने लगे हैं।

(टीवी पत्रकार राकेश पाठक के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)