कांग्रेस उपवास : टीवी भी कम कमाल का नहीं है, और ना ही कम हैं टीवी वाले

चार-छह घंटे के प्रोग्राम में कांग्रेस ने विरोधियों को आलोचना के चार सौ-छह सौ बिंदु पकड़ा दिए। ऊपर से उनके पास संबित पात्रा हैं जो चार-छह सौ को चार-छह हज़ार बना देने की कुव्वत रखते हैं।

New Delhi, Apr 09 : इस खेल के नियम सबके लिए एक जैसे नहीं हैं। अगर कांग्रेस को एक दिन का सांकेतिक उपवास करना है तो कांग्रेसियों को कई दिन पहले से खाना पीना छोड़ना होगा। हां, राजघाट पर एफडीआई के विरोध में नाच गाकर पिकनिक मनानेवाली अगर बीजेपी हो तो उसे ‘जनआंदोलन’ कहना अनिवार्य है। अपने अनोखे तरह के राष्ट्रवाद की गंगा में डुबकी लगाने वाली पार्टी के लिए सब माफ है। यहां तक कि योग करते वक्त अगर प्रधानसेवक जी गले में पड़े तिरंगे से मुंह भी पोंछ लें तो भी क्या। वो ऐसा कर सकते हैं।

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वो ऐसा इसलिए कर सकते हैं क्योंकि उन्हें ऐसा करने से कोई रोकनेवाला नहीं है। टीवी भी कम कमाल का नहीं है, और ना ही कम हैं टीवी वाले। उन्नाव में सामूहिक बलात्कार के बाद बलात्कारियों के हाथों ही अपने बाप को खो देनेवाली लड़की रो-रोकर योगी जी न्याय करो की गुहार लगा रही थी, लेकिन अचानक लज़ीज़ भठूरों ने सुबह से भूखे-प्यासे बैठे मीडियाकर्मियों को मोह लिया। आव ना देखा ताव, चला दी चार कांग्रेसियों की फोटो जो किसी गली की मशहूर दुकान पर बैठे छोले-भठूरे खा रहे थे। जो लोग फोटो में भठूरे खाते दिख रहे थे वो खासे एलीट कांग्रेसी कहलाए जाते हैं, मगर ऐसी सादी दुकान पर बैठे थे कि मैं देखकर ठिठक गया। उपवास से पहले कुछ खा पी लेने की मासूम सी व्यवस्था पर मैं उन्हें बेमतलब गाली नहीं दे सका। हिंदू व्रत के आगे -पीछे और मुसलमान रोज़े के आगे-पीछे खाते ही हैं। वो भी तब जब ये व्रत धार्मिक हैं और पूरे विधि विधान से किए जाते हैं। 

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हां, सांकेतिक उपवास में तय वक्त से कई घंटे लेट पहुंचनेवाले राहुल गांधी की व्यस्तता मैं नहीं समझ सका। उनके इंतज़ार में कांग्रेसी कार्यकर्ता और मीडिया वाले हलकान रहे। कार्यक्रम के व्यवस्थापकों को इतना पहले सभी को नहीं बुलाना चाहिए था। राहुल की देरी ने मीडिया और लोगों को मौका दिया कि वो मौके पर मौजूद दंगे के आरोपियों पर ध्यान दें। फिर भी, टाइटलर और उनसे पहले सज्जन कुमार फज़ीहत होने से पहले निकल लिए। समझ नहीं आया कि आए थे तो वो वाकई क्यों गए, और जाना ही था तो आने का तुक क्या था।

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खैर, चार-छह घंटे के प्रोग्राम में कांग्रेस ने विरोधियों को आलोचना के चार सौ-छह सौ बिंदु पकड़ा दिए। ऊपर से उनके पास संबित पात्रा हैं जो चार-छह सौ को चार-छह हज़ार बना देने की कुव्वत रखते हैं। cONGRESS Protestइनके पास तो ऐसे-ऐसे नेता हैं कि छोले-भठूरे वाले सवाल पर लटपटा गए। जवाब ना देते बना। जवाब भी दिया तो किसी स्कूली बच्चे की तरह डरते-डरते यही दिया कि खाए तो थे जी, मगर आठ बजे से पहले खाए थे।

(टीवी पत्रकार नितिन ठाकुर के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)