आसिफा अगर आपकी बेटी , पोती या लाड़ली होती तो ? बार -बार देखिए आसिफा को और विचलित होइए

मैं तो कहता हूं कि बार -बार आसिफा की तस्वीरें पोस्ट करिए . बार -बार . बार -बार लोगों को बताइए कि उसके साथ क्या हुआ . उसकी तस्वीर हम सबके चेहरे पर तमाचे की तरह है।

New Delhi, Apr 14 : कई साथियों का कहना है कि कठुआ में बर्बरता की शिकार हुई आसिफा की तस्वीर पोस्ट नहीं की जानी चाहिए . सामूहिक बलात्कार और हिंसा की शिकार मासूम सी बच्ची की तस्वीर उन्हें परेशान करती है . विचलित करती है . तकलीफ देती है . मेरा तो मानना है कि आसिफा की तस्वीर बार -बार पोस्ट की जानी चाहिए .

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अब नहीं तो कब विचलित होंगे . होइए विचलित . दिल और दिमाग पर चोट लगनी चाहिए . आत्मा कचोटनी चाहिए . आसिफा के साथ हुई बर्बरता शूल तरह आपके वजूद को चुभनी चाहिए . मैं तो कहता हूं कि बार -बार आसिफा की तस्वीरें पोस्ट करिए . बार -बार . बार -बार लोगों को बताइए कि उसके साथ क्या हुआ . उसकी तस्वीर हम सबके चेहरे पर तमाचे की तरह है . वहशी सोच को खत्म करना तो मुमकिन नहीं लेकिन शायद उस सोच का दायरा कुछ सीमित हो जाए. आसिफा के बारे में भी सोचिए और उनके बारे में भी , जो उसके गुनहगारों को बचाने के लिए जम्मू और कठुआ में हंगामा कर रहे हैं . तिरंगा लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं .

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इस मासूम की तस्वीर को बार -बार देखिए . कभी बेटी की तरह . कभी नातिन की तरह . कभी पोती की तरह . कभी बहन की तरह . इसके साथ हुई बर्बरता के बारे में बार -बार सोचिए . बौखलाइए . कांपिए . गुस्सा कीजिए . सोचिए कि ये लड़की अगर आपकी होती तो आप पर क्या गुजरती ? सोचिए कि आसिफा के साथ जो हुआ , वो आपकी लाड़ली के साथ होता तो आप क्या करते ? आप किस हाल में होते ? आप आसिफा की तस्वीर में इंसान को हैवान बनने के ट्रांसफॉरमेशन को देखिए . फिर सोचिए . बार -बार सोचिए कि कैसी दुनिया हम बनाना चाहते हैं .

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जब तक आप सोचेंगे नही , तब तक आपके भीतर हलचल नहीं होगी . आप सोचेंगे नहीं तो रेपिस्टों को बचाने वाले कठुआ के तिरंगाधारियों पर आपको कोफ्त नहीं होगी . उन वकीलों और नेताओं पर कोफ्त नहीं होगी , जो बलात्कारियों को बचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं . आठ साल की आसिफा की मां उसके कपड़ों को देखकर रोती है . उसकी किताबें देखकर रोती है . उसके चप्पल देखकर रोती है . उसके पिता अपनी बेटी के साथ हुई दरिंदगी के बारे में सोचकर आधी रात को उठ बैठते हैं . सिहरते रहते हैं . आप तो सिर्फ तस्वीर देखकर सिहर रहे हैं . सिहरिए कि हम कैसे समाज में रहते हैं . मासूम आसिफा में जिन्हें मुसलमान और बलात्कारियों में जिन्हें हिन्दू नजर आता है , वो भी इस बेटी की तस्वीर देखें . बार -बार देखें . शायद उनके भीतर का इंसान जाग जाए . आसिफा को नशे की दवा देकर कैद रखा गया . उसके साथ बार -बार दरिंदगी की गई .

भूखी -प्यासी एक गुड़िया छह दिन तक हैवानों का शिकार होती रही . यहां तक उसकी गुमशुदा आसिफा की तलाश में जुटा पुलिस वाला भी उसके मरने से पहले उसके साथ रेप करता है ये कहते हुए कि रुको , अभी मत मारो . मुझे रेप करने दो . जिस आसिफ के साथ ये सब हुआ , उसकी तस्वीर से आप बचना चाहते हैं ? बचने से काम चलेगा क्या ? विचलित होने से बचना चाहते हैं ? होइए विचलित . शायद कुछ बदले . बचने से तो कुछ बदलने वाला नहीं .

बलात्कार चाहे कठुआ की आसिफा के साथ हो या फिर देश के किसी हिस्से में रहने वाली किसी भी मासूम बच्ची या लड़की के साथ . बलात्कार इंसानों द्वारा किया जाना वाले जघन्यतम अपराध है . हैरत तो ये है कि इस अपराध में भी अपराधियों का धर्म देखकर उसे बचाने के लिए गोलबंदी हो रही है . सोशल मीडिया पर बहुत से भाई लोग यूपी – बिहार में हुई दूसरी घटनाओं की खबरें निकालकर पूछ रहे हैं कि आसिफा पर बोल रहे हैं तो इस पर बोलिए . आसिफा पर हंगामा क्यों , इस पर क्यों नहीं . उनकी सोच ही उनकी जेहनी हालत का सबूत है . मैं ऐसे लोगों पर वक्त खर्च नहीं करना चाहता . मैंने बीते छह महीनों में ही मासूमों के साथ बलात्कार की घटनाओं पर कम से कम बीस पोस्ट लिखी है . दिल्ली में आठ महीने से लेकर दो साल की मासूम बच्चियों के साथ दरिंदगी हुई . तब भी मैंने कई बार लिखा . यूपी , हरियाणा , एमपी से लेकर देश के कई राज्यों में मासूमों के साथ हर रोज दरिंदगी होती है . मैं हर ऐसी खबर पर विचलित होता हूं . लिखता रहता हूं . आसिफा के साथ जो हुआ , वो आप पहले जान लीजिए. चार्जशीट पढ़ लीजिए . अगर आपके भीतर थोड़ी भी इंसानियत होगी तो आप जरुर कांप जाएंगे .
लिहाजा अभी बात आसिफा ही करूंगा क्योंकि आप बात आसिफा की ही नहीं करना चाहते . आपने तब भी बात उन मासूमों के साथ हुई घटनाओं पर नहीं की थी . आज आप रिसर्चर बने हैं , ताकि हर उस शख्स से सवाल पूछ सकें , जो आसिफा का सवाल उठा रहे हैं .

(वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)