सरकारी भूमि पर कब्जा करने वालों के नाम जग जाहिर करे सरकार

यदि अतिक्रमणकारियों में कोई सरकारी या अर्ध सरकारी संस्थान में कर्मचारी हैं तो उसका वेतन -प्रमोशन वगैरह रोका जा सकता है।

New Delhi, Apr 20 : सवाल सिर्फ गोलक पुर का ही नहीं है। देश -प्रदेश के अनेक स्थानों में कानून को ठेंगा दिखा कर अनेक प्रभावशाली लोगों ने सरकारी जमीन पर पक्का निर्माण कर रखा है।
मुकदमे चलते हैं,सुनवाई होती है,पीढि़यां बीत जाती हैं। उधर जमीन के बिना सरकारी विकास व कल्याण के अनेक काम रुके रहते हैं। सरकारों को चाहिए कि वे अतिक्रमणकारियों के नाम-पता जग जाहिर करे।

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लोगों को पता तो चले कि वे महानुभाव कौन हैं। उनमें से शायद कुछ लोगों को शर्म आए। उन्हें नहीं तो उनके वत्र्तमान व भावी रिश्तेदारों को शर्म आए। सभ्य समाज में उनकी ‘महिमा’ गाई जाए ! उनके नाम मालूम हो जाएंगे तो अनेक लोग इस बात का भी अनुमान लगा लेंगे कि उन्हें मदद किन नेताओं से मिल रही है। यदि अतिक्रमणकारियों में कोई सरकारी या अर्ध सरकारी संस्थान में कर्मचारी हैं तो उसका वेतन -प्रमोशन वगैरह रोका जा सकता है। कानून इजाजत दे तो पेंशन भी। यदि इस मामले में कानून की कमी है तो उसे बनाया जाना चाहिए। यदि पटना के गोलक पुर का ही मामला लें तो दशकों पूर्व उस तीन एकड़ जमीन का अधिग्रहण पास के इंजीनियरिंग काॅलेज के विकास के लिए हुआ था।

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पर स्थानीय प्रशासन की साठगांठ या अनदेखी से उस पर अतिक्रमण होता चला गया। विकास चंद्र उर्फ गुड्डू बाबा का भला होPatna-High-Court-min-2 जिन्होंने अपनी जान हथेली पर लेकर इस संबंध में कानूनी लड़ाई शुरू की। पर पटना हाईकोर्ट के सख्त आदेश के बावजूद प्रशासन लचर साबित हो रहा है।

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क्या प्रशासन विकास चंद्र से भी कमजोर है ? खैर, गोलक पुर का चाहे जो हश्र हो ,पर ऐसे अन्य अतिक्रमणकारियों के भी ‘शुभ नाम’ तो अखबारों में पढ़कर लोग जान लें। encroachmentदशकों से यह मांग हो रही थी कि बैंकों से भारी कर्ज लेकर दबा लेने वालों के नाम सरकार उजागर करे।नहीं किया।नतीजतन इस बीच अनेक विजय माल्या और नीरव मोदी पैदा हो गए।

(वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)