मोदी के ‘हीरे’ से चौंधियाया है देश , जौहरी प्रमुख ‘ ने किया दिल्ली तलब

जुम्मा – जुम्मा आठ सप्ताह भी नहीं हुए हुए हैं बिप्लब देव को त्रिपुरा की गद्दी संभाले लेकिन पूरा देश आज उनके नाम से और उनके बयान से उन्हें जानने लगा है।

New Delhi, Apr 30 : सुबह -सुबह त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देव के बारे में पत्रकार अरुण पांडेय का दिलचस्प फेसबुक स्टेटस पढ़ने को मिला . अरुण ने लिखा – “ सभी न्यूज चैनलों और अख़बारों ने त्रिपुरा के सीएम बिप्लब देब का कवरेज बढ़ाने का फैसला किया है . मुख्यमंत्री जहाँ जहाँ जाएंगे वहाँ वहाँ कई – कई रिपोर्टर उनको कवर करेंगे . मिस वर्ल्ड, पान, गाय, इंटरनेट, महाभारत… नई नई जानकारियाँ का ख़ज़ाना . “ अरुण पांडेय ने तो ये स्टेटस अपने अटपटे बयानों के लिए चर्चा में बने रहने वाले बिप्लव देव पर तंज कसते हुए लिखा है लेकिन ये भी सच है कि अब जहां -जहां बिप्लब देव होंगे , वहां -वहां मीडिया के दर्जनों कैमरे तैनात होंगे . इस उम्मीद में पता नहीं उनके श्रीमुख से कौन से बयान झड़ जाए जो चैनलों पर दनादन चलने लगे . दिल्ली से संचालित होने वाले बड़े चैनलों की तरफ से छोटे रिपोर्टरों को साफ साफ आदेश होगा कि उनकी कोई भी रैली , कोई भी समारोह , कोई भी भाषण , कोई भी मीटिंग मिस न करे . वो देश के किसी भी हिस्से में हों , कैमरे उनका पीछा करेंगे . पता नहीं कब , कहां क्या बोल दें जो सुर्खियां बन जाएं . बवाल खड़ा दें . खबरों का रुख मोड़ दें .

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जुम्मा – जुम्मा आठ सप्ताह भी नहीं हुए हुए हैं बिप्लब देव को त्रिपुरा की गद्दी संभाले लेकिन पूरा देश आज उनके नाम से और उनके बयान से उन्हें जानने लगा है . वरना उत्तर -पूर्व के त्रिपुरा जैसे छोटे राज्य के नए -नवेले मुख्यमंत्री को भला कौन जानता ? कितना जानता ? सीएम बनने के बाद दो -चार चर्चा होती , बात खत्म . लेकिन बिप्लब देव लगातार सुर्खियों में हैं . चर्चा में हैं . विवादों में हैं . नेशनल मीडिया की हेडलाइन्स में हैं . त्रिपुरा चुनाव के पहले चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने अपनी रैलियों में कहा था – “ अब आपको माणिक नहीं चाहिए . माणिक से मुक्ति ले लो . आपको जरुरत है हीरे की . आपका माणिक जाएगा . हीरा आएगा “ . तो लीजिए माणिक की जगह ‘अनमोल हीरा’ त्रिपुरा को मिल गया है . ऐसा ‘हीरा’ , जिसकी परख करने वाले जौहरी भी उसकी चमक से चकाचौंध हो रहे होंगे . सुना है त्रिपुरा के इस हीरो को दिल्ली के जौहरियों ने दिल्ली बुलाया है . उनकी चमक चेक करने की जरुरत जो आन पड़ी है . हीरो को कहा गया है कि दो मई को जौहरी प्रमुख से मुलाकात करे .

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एकाध बार फिजूल के बयान पर फजीहत के बाद नेताओं को अक्सर ज्ञान प्राप्त हो जाता है . वो अपनी गलती दोहराने से बचने लगते हैं . लेकिन ये बात उन पर लागू होती है जिनमें आत्मविश्वास की कमी होती है . कन्विक्शन की कमी होती है . अपनी थ्यौरी पर भरोसा नहीं होता है . जो अपने थॉट को लेकर क्लियर नहीं होते हैं . त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देव इनमें से किसी कैटेगरी में नहीं आते . वो जब बोलते हैं तो थॉट लीडर की तरह बोलते हैं . पूरे आत्मविश्वास के साथ . ऐसे जैसे सुंदरता से लेकर रोजगार और महाभारत काल पर थॉट से लबालब होकर पहली बार कोई नई बात कह रहे हों . जब मीडिया में खिंचाई होने लगती है तो कभी -कभी थोड़ा बैक गियर लगाकर अपने बयान को रफू करने की कोशिश करते हैं लेकिन अपने मूल थॉट को दोबारा स्थापित करने की कोशिश से पीछे नहीं हटते .

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दूध बेचें और पान की दुकान खोलें ग्रेजुएट बेरोजगार
महाभारत काल में इंटरनेट होने के बयान के बाद देशव्यापी चर्चा के केन्द्र में आए बिप्लब देव ने ताजा भाषण में कहा है कि “ ग्रेजुएट युवा नौकरी के लिए कई सालों तक राजनीतिक दलों के पीछे पड़े रहते हैं . दस साल तक घूमते रहते हैं . दस साल वो गाय पाल लेता तो उसके पास दस लाख का बैंक बैलेंस होता “ . इसी बयान का एक दूसरा एक्सटेंशन भी है . उन्होंने ये भी कहा है कि युवाओं को नौकरी के पीछ भागदौड़ करने की बजाय पान की दुकान खोल लेनी चाहिए . जाहिर है सात सप्ताह पहले गाजे -बाजे और लोक लुभावन नारों के साथ जीत कर आए मुख्यमंत्री से लोग पान की दुकान खोलने और गाय का दूध बेचकर घर चलाने जैसे फार्मूले सुनकर चुप तो रहेंगे नहीं . गाय का दूध बेचने के लिए और पान की दुकान खोलने के लिए किसी को किसी मुख्यमंत्री के नायाब फार्मूले की जरुरत तो है नहीं . देश में लाखों लोग सैकड़ों सालों से ये काम कर ही रहे हैं . वैसे जैसे पकौड़े बेच रहे हैं . चुनाव के पहले तो आपने ये कहा नहीं था कि बेरोजगार ग्रेजुएट लड़के नौकरी का चक्कर छोड़कर गाय का दूध बेचें या पान की दुकान खोल लें . बिप्लब देव के इस बयान के बाद हर तरफ उनकी खिंचाई हो रही है .

न्यूज चैनलों पर उनके दिव्य ज्ञान की फजीहत हो रही है . सोशल मीडिया पर उनका माखौल उड़ाया जा रहा है . लोग यही सवाल पूछ रहे हैं कि चुनाव जीतने के बाद ही दूध बेचने के सुझाव क्यों दे रहे हैं . रैलियों में बोला होता कि छोड़ो नौकरी की चक्कर , बेचो दूध . खोलो पान की दुकान . तब तो देश के पीएम त्रिपुरा को हीरा देने के वायदे कर रहे थे . ये हीरा तो ऐसा निकला जो प्रदेश के ग्रेजुएट युवाओं को दूध बेचने और पान की दुकान खोलने का सुपर मौलिक आइडिया दे रहा है . यकीनन दूध बेचना या पान की दुकान खोलना रोजी रोटी कमाने का जरिया है . बहुत से लोग इसी जरिए का विस्तार देकर लाखों भी कमा रहे होंगे लेकिन इसके लिए बिप्लब देव के आइडिया की जरुरत है क्या ? क्या ये आइडिया देश के युवाओं को देने के लिए किसी बिप्लब देव की जरुरत है ? और अगर यही करना है तो ग्रेजुएट करने की भी क्या जरुरत है ? नौकरी और स्वरोजगार में फर्क नहीं है क्या ? फिर तो ऐसे सैकड़ों किस्म के स्वरोजगार हैं , जो सदियों से लाखों लोगों की आजीविका के साधन हैं . तब तो उन्हें किसी बिप्लब देव ने नहीं बताया था .

बिप्लब देव ने ऐसे ही कई और बयान पहले भी दिए हैं , जिस पर उनकी फजीहत हुई लेकिन वो कहां मानने वाले हैं . इसी शनिवार को उन्होंने अपने दिव्य ज्ञान के पिटारे से एक नया आइटम पेश किया था . सिविल इंजीनियरों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि सिविल सर्विस में मैकेनिकल इंजीनियर्स को नहीं जाना चाहिए . सिविल सर्विस सिविल इंजीनियर को जाना चाहिए क्योंकि उन्हें निर्माण का ज्ञान होता है . हैरत है कि कोई सीएम कैसे ऐसी बातें कर सकता है ? सिविल इंजीनियर और सिविल सर्विस में एक ही बात कॉमन है – सिविल . अब पता नहीं बिप्लब देव ने उस सीविल का मतलब क्या समझा ? उन्हें भवन निर्माण और समाज निर्माण एक ही जैसा कैसे लगा ? मैकेनिकल इंजीनियर में उन्होंने कौन का मैकेनिक वाला तत्व देख लिया कि उन्हें सिविल सर्विस में नहीं जाने की सलाह दे डाली . तभी तो मल्यालम लेखक एन एस माधवन ने लिखा है कि, “जब मोदी ने त्रिपुरा के लोगों से कहा था कि वे उन्हें हीरा देने वाले हैं, तो उन्होंने कल्पना नहीं की होगी कि यह इतना अद्भुत होगा ”

बिप्लब देव के बयानों के नयाब नमूने
18 अप्रैल बिप्लब कुमार देब ने कहा था कि इंटरनेट की खोज महाभारत काल में हुई थी . महाभारत का युद्ध सैटेलाइट के जरिए लाइव देखा जा रहा था। इसके सबूत में उन्होंने संजय द्वारा धृतराष्ट्र को महाभारत युद्ध का आंखों देखा हाल सुनाने की घटना का जिक्र किया था . तब इस बयान का काफी मजाक उड़ा था।
26 अप्रैल को उन्होंने एक कार्यक्रम में मिस वर्ल्ड कॉम्पिटीशन पर सवाल उठाए थे . उन्होंने कहा था कि 21 साल पहले डायना हेडन मिस वर्ल्ड खिताब जीतने के लायक नहीं थीं . उन्होंने ऐश्वर्या राय की तारीफों के पुल बांधते हुए कहा था कि वह सही मायने में भारतीय महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं।
अभी तो त्रिपुरा की कुर्सी पर विराजमान हुए उन्हें दो महीने भी नहीं हुए हैं . देखते रहिए इस हीरे की चमक से लोग कितने दिन तक चौंधियाते हैं …फिलहाल तो यही कह सकते हैं कि ‘ जौहरी प्रमुख ‘ के इस हीरे से चौंधिया गया है देश

(वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)