कोई तो लक्ष्मण रेखा तय करो !- Abhisar Sharma
आज विश्व प्रेस फ्रीडम दिवस पर प्रेस की आज़ादी पर सबसे बड़ा सवाल है. जानते हैं क्यों? सिर्फ इसलिए नहीं के मौजूदा सरकार अलग अलग तरीकों से पत्रकारों पर दबाव डालने का काम करती हैं।
New Delhi, May 03 : हम उस युग में जी रहे हैं जब पत्रकार के नाम पर अनाप शनाप झूठी बातें फैला दी जाती हैं और फिर संस्कार की दुहाई देने वाले कीड़े , कचरे और अपनी अपनी नालियों से निकल कर , आपको परेशान करने लगते हैं। फ़ोन करके आपको धमकाया जाता है , आपको परेशान किया जाता है। सवाल इनकी गालियों का नहीं। सवाल ये कि ये लोग मेरे आराध्य देव राम और शिव की तस्वीर लगा कर जितनी गन्दी और घटिया भाषा का प्रयोग करते हैं , उससे ये न सिर्फ मेरे धर्म को बदनाम कर रहे हैं , बल्कि वह इस सोच को मज़बूत कर रहे हैं के बीजेपी से इत्तेफ़ाक़ रखने वाले लोग, उनके समर्थक सिर्फ गंदगी कर सकते हैं।
आज विश्व प्रेस फ्रीडम दिवस पर प्रेस की आज़ादी पर सबसे बड़ा सवाल है. जानते हैं क्यों? सिर्फ इसलिए नहीं के मौजूदा सरकार अलग अलग तरीकों से पत्रकारों पर दबाव डालने का काम करती हैं। उससे जुडी संस्थाएं आप पर अंकुश लगाने का प्रयास करते हैं। बल्कि इसलिए भी के कुछ पत्रकार इस सरकार के सुपारी किलर बन गए हैं। इनके लिए अब भी विपक्ष से सवाल किये जाना चाहिए। देखकर हैरत होती है , जब सीनियर एंकर बहस के शो में विपक्ष से बीजेपी से भी ज़्यादा बढ़ चढ़ कर चढ़ाई करता है। अटैक करता है। हमला करता है।
कल ही एक वीडियो क्लिप देखा। एक टीवी शो में जब कांग्रेस के प्रवक्ता ने एंकर से पुछा के आप rafael समझौते पर, अमित शाह के बेटे की सम्पत्ति पर , पियूष गोयल के मामले पर डिबेट क्यों नहीं करते , और जब वह कांग्रेस प्रवक्ता एक नाटकीय अंदाज़ में एंकर के करीब पहुँच कर उनसे हाथ मिलाने लगा , तब एंकर ने उन्हें थप्पड़ मार दिया। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। ये बौखलाहट बहुत कुछ कहती है. ये दिखा रही है कि आप भी जानते हैं कि आप एक्सपोज़ हो चुके हैं. असली मुद्दों से भटक कर आप या तो विपक्ष या अल्पसंख्यक या फिर पिछड़े वर्गों के खिलाफ एक प्रोपेगंडा छेड़े हुए हैं , क्योंकि यह बीजेपी की सियासत को भाता है। मैंने कभी इतिहास में एंकर को विपक्ष से ऐसे लड़ते नहीं देखा। दंगा भड़काते नहीं देखा। सही पढ़ा आपने। दंगा भड़काते।
गलत बयानी करके, गलत तस्वीर पेश करके , बाकायदा एक सन्देश दिया जा रहा है। क्या कभी आपने इतिहास में बलात्कार के आरोपियों के पक्ष में रैली देखी थी? और सबसे बड़ा झूठ , कि एक गैंग रेप की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को गलत ढंग से पेश करके उसका प्रसार करना। क्यों? क्योंकि फलाना अखबार के मालिक के कुछ हित जुड़े हुए हैं सत्ताधारी पार्टी के साथ। गज़ब है यानी के। क्या इसलिए आप बलात्कार जैसे जघन्य अपराध को लेकर आप संवेदनहीन हो जाएंगे ? इतने बेरहम हो जायेंगे ? कुछ तो सोचो? कोई तो लक्ष्मण रेखा तय करो?
सत्ताधारी पार्टी जो कर रही है , वह उसका धर्म है। सियासी धर्म. मगर प्रेस की आज़ादी के लिए सबसे बड़ा खतरा खुद पत्रकार हैं। कुछ पत्रकार। उम्मीद है कुछ सालों बाद यह मुड़कर ज़रूर देखेंगे। कुछ और नहीं तो अपने बच्चों की सूरतों को देख लीजियेगा। समझ आ जायेगा।