उमा भारती की तीखी मिर्ची और बीजेपी नेताओं का डिनर

उमा भारती तो इन ‘ नाटककारों ‘ से बेहतर हैं , जिन्होंने ऐसे नाटकों का किरदार बनने से मना तो कर दिया।

New Delhi, May 05 : मोदी सरकार की केन्द्रीय मंत्री उमा भारती का ये बयान अपनी पार्टी के उन नेताओं , सांसदों और मंत्रियों की जीभ पर तीखी हरी मिर्च की तरह है , जो दलितों के घर भोजन करने के ‘देशव्यापी दिखावे ‘ की ड्यूटी पर हैं . अपने इलाके छतरपुर के एक गांव में उमा भारती ने दलितों के घर जाकर भोजन करने से इंकार करते हुए यहां तक कह दिया कि वो जमाना गया जब दलितों के घर बैठकर भोजन करना सामाजिक समरसता का सूत्र था . उमा भारती ने ये बयान ऐसे समय में दिया है जब बीजेपी के बड़े -छोटे नेता और मंत्री ‘ एक रात के दलित प्रेम का रेडीमेड पैकेज ’ लेकर निकले हैं .
अलग -अलग राज्यों में बीजेपी के अलग -अलग नेता जाकर दलितों के यहां भोजन करने और रात बिताने निकले हैं . तुम्हें अपना बना लिया का संदेश देने निकले हैं . आए दिन देश के अलग -अलग कोने से ऐसी तस्वीरें आ रही है , जिसमें किसी दलित के घर जमीन पर ‘जिमने’ वाले बीजेपी नेता दिख रहे हैं . दलित परिवार के लोग खाना परोस रहे हैं . नई -नई थालियों में नेताजी अपने लगुए -भगुए के साथ कतार में बैठकर स्वादू भोजन पा रहे हैं . दनादन तस्वीरें खींची जा रही है . देश को दिखाया जा रहा है कि बीजेपी दलितों को कितना प्रेम करती है .

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दलितों के घर में प्रायोजित तरीके से हो रहे लंच -डिनर की पोल कई बार खुल चुकी है , लेकिन डिनर का ये सियासी ड्रामा जारी है . कल ही योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा का वीडियो सामने आया है , जिसमें वो अलीगढ़ के दलित परिवार में बाहर से मंगाए गए ’ छप्पन भोग ‘ का सेवन करते दिख रहे हैं . दाल -मखनी , छोले -चावल, पालक पनीर , मिस्सी रोटी , तंदूरी रोटी , सलाह , रायता , मिठाई और साथ में मिनरल वाटर . मंत्री जी को कुछ मिनट बैठने और जिमने के लिए दलित के घर की दो गज जमीन की ही तो दरकार थी बाकी खाने की पूरी रेंज तो तो मुहैया करा ही दी गई थी ताकि हुजूर ‘डिनर विथ दलित’ के देशप्यापी प्रोग्राम का हिस्सा बन सकें .
मंत्री जी अपने लाव -लश्कर के साथ आए . खाए . दलित परिवार को धन्य -धन्य किया . फोटो खिंचवाया और कूलर – गद्दे से युक्त इंतजाम वाली जगह पर सोने चले . इसके पहले भी एक गांव से मुख्यमंत्री योगी की तस्वीर आई थी , जब उनके के लिए दलित के घर में एसी लगा दिया था गया था . उनके जाने के बाद हटा भी दिया गया था . उस वक्त खबरें ये भी आई कि उनको परोसी गई रोटी बीजेपी की मंत्री स्वाति सिंह ने बनाई थी . योगी को भोजन कराने के लिए बीजेपी के कई ‘कर्मयोगी’ उस दलित के घर पर मौजूद थे .

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बीजेपी के और भी कई मंत्रियों के लिए दलितों के घरों में ऐसे ‘बाहरी इंतजाम ‘ की खबरें लगातार आ रही हैं . योगी सरकार के ही एक मंत्री राजेन्द्र प्रताप सिंह ने एक दलित परिवार के यहां खाना खाने के बाद अपनी तुलना भगवान राम से ही कर दी . मंत्री महोदय के मुताबिक उन्होंने वही काम किया है , जो भगवान राम ने शबरी के बेर खाकर किया था . भरपेट भोजन करने के बाद राजेन्द्र प्रताप सिंह पहले से इंतजार कर रहे कैमरों के सामने नमूदार हुए और कहा – ‘ मैं यहां आया तो ज्ञान जी मां ने जब रोटी परोसी तो उन्होंने कहा कि मेरा उद्धार हो गया . ये कितनी बड़ी खाई थी . कितनी दूरी थी इंसान और इंसान के बीच . ये नेताओं ने किया था , आज दूर हो गया ‘. मंत्री इस भाव से कैमरों के सामने बयान दे रहे थे जैसे उन्होंने दलित के घर जूठन गिरा कर भगवान राम वाला काम किया हो .

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लखनऊ से पधारे मंत्रीजी ने दलित महिला के हाथ से रोटी खाकर उसका ‘उद्धार’ कर दिया और अपने काफिले के साथ आगे बढ़ गए . दोबारा मंत्री जी न तो इस दलित परिवार की खबर ले पाएंगे , न ही इस परिवार को कभी उनकी चौखट के भीतर दाखिल होने का मौका मिलेगा , न ही उसे कुछ हासिल होगा लेकिन उनके हाथ की दो रोटी खाकर मंत्री ने उन्हें धन्य जरुर कर दिया . बीजेपी के ऐसे ही ‘अवतारी राम ‘ शबरी के घर को पवित्र करने के लिए देश भर में घूम रहे हैं . ठाकुर साब, सिंह साब , मिश्रा जी , जयसवाल जी , प्रसाद जी , शर्मा जी , ओझा जी , त्यागी जी और ऐसे न जाने कितने उच्चकुल धारी बीजेपी नेता दलितों के घर जूठन गिराने की ड्यूटी पूरी करने में लगे हैं . ये सब इसलिए हो रहा है ताकि आने वाले चुनाव से पहले दलितों को जोड़ा जा सके . जो पहले से जुड़े हैं , उन्हें चटकने से रोका जा सके . खाने वाले को पता है कि ये नाटक है . खिलाने वाले को पता है कि ये नाटक है . दिखाने वाले को पता है कि ये नाटक है . फिर भी ये नाटक जारी है . जारी रहेगा . ऐसे में उमा भारती तो इन ‘ नाटककारों ‘ से बेहतर हैं , जिन्होंने ऐसे नाटकों का किरदार बनने से मना तो कर दिया . आपको बता दें कि दलितों के घर भोजन पीएम मोदी , अमित शाह से लेकर राजनाथ सिंह तक कर चुके हैं .
हाल के दिनों में बीजेपी नेताओं को लगने लगा है कि दलितों का बहुत बड़ा तबका उनकी पार्टी से नाराज है . ये नाराजगी एससी -एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और फिर देश भर में हुए बंद के बाद बढ़ी है . बीजेपी से दलितों के छिटकने की चिंता ने पीएम मोदी को भी अलर्ट कर दिया है . माना जा रहा है कि उन्होंने ही बीजेपी सांसदों और मंत्रियों को दलितों के गांवों में जाने , खाने और रात गुजारने का निर्देश दिया है . अब निर्देश है तो पालन तो होगा ही . चाहे जैसे हो .

(वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)