‘जिन्हें हम एरोगेंट और एमच्योर मान रहे होते हैं वो भी कभी-कभी इतिहास पलट देते हैं’
मेरा और रावत जी का तर्क यही था कि एक तो ये बंदा एमच्योर और एरोगेंट है और गोधरा कांड के बाद हुए दंगों का दाग भी उस पर लगा है।
New Delhi, May 10 : मोदी जी ने राहुल को इम्मैच्योर और एरोगेंट कहा तो मुझे बहुत पुराना एक किस्सा याद आ गया. हुआ यूँ कि देहरादून से दिल्ली की एकाध फ्लाइट्स मिस होने के कारण कुछ ऐसा संयोग बना कि श्री हरीश रावत जो उस समय केंद्र में मंत्री थे, श्री अजित डोभाल, जो आईबी से रिटायर हो चुके थे पर एनएसए नहीं बने थे और मै, जो उस समय उत्तराखंड में राज्य सूचना आयुक्त था, हम तीनों को दिल्ली आने के लिए शताब्दी में एक ही डब्बे में सवार होना पड़ा।
मैं दोनों को ही जानता था इसलिए बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया….बहस इतनी ज़बरदस्त थी कि हम तीनो अपनी आइल में खड़े थे और कई लोग हमारे इर्दगिर्द खड़े हो कर दिलचस्पी से हमारी बात सुन रहे थे.
उस समय तक मोदी जी राष्ट्रीय सीन में नहीं थे. चुनाव होने वाले थे. पार्टी में उनका विरोध शुरू भी नहीं हुआ था लेकिन भीतरखाने सब ये जान रहे थे कि बंदा अब गुजरात तक सीमित नहीं रहेगा. विश्वास मानिये उस समय तक मै तो कल्पना भी नहीं कर सकता था कि बीजेपी मोदी जी को पीएम का उम्मीदवार बनाएगी. लेकिन डोभाल जी आश्वस्त थे कि ऐसा होगा. उनका कहना था कि यही होना भी चाहिए. लेकिन जब उन्होंने हमारी राय मांगी तो हम दोनों ने ही इस बात को हवा में उड़ा दिया. हम दोनों का मानना था कि बीजेपी इतनी बड़ी गलती कर ही नहीं सकती और अगर उन्होंने ऐसा किया तो कांग्रेस स्वीप कर जाएगी.
मेरा और रावत जी का तर्क यही था कि एक तो ये बंदा ऐम्च्योर और एरोगेंट है और गोधरा कांड के बाद हुए दंगों का दाग भी उस पर लगा है. बहरहाल घंटों तक चली ये बहस किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँची. हम दिल्ली पहुंचकर अपने अपने रास्ते लग गए और उसके बाद जो हुआ वो इतिहास में दर्ज़ है…
जिन्हें हम एरोगेंट और एमच्योर मान रहे होते हैं वो भी कभी कभी इतिहास पलट देते हैं…